एक्सप्लोरर

भारत बंद: यह एक दिन का गुस्सा नहीं है, जनता देख रही है कि दुरुपयोग तो संसद का भी होता है

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि एससी/एसटी अधिनियम का दुरुपयोग भी जमकर होता है. आपको याद होगा कि पिछले दिनों महाराष्ट्र में हुए विराट मराठा आंदोलन की एक प्रमुख वजह यह भी थी. लेकिन प्रश्न यह है कि इस दुरुपयोग का जिम्मेदार कौन है?

दो अप्रैल को आयोजित भारत बंद सफल रहा या असफल इसे देखने का एक नजरिया यह हो सकता है कि किस शहर की सांसें थम गईं और कहां कारोबार किसी तरह चलता रहा. मैं कहूंगा कि जहां तोड़-फोड़, हिंसा, हत्या और आगजनी नहीं हुई, वहां यह बंद सफल रहा और जहां बंद के नाम पर खूंरेजी हुई वहां यह बंद कलंकित हुआ. क्योंकि हिंसा का जवाब हिंसा नहीं हो सकती और अहिंसक आंदोलन से ही अपेक्षित परिणाम प्राप्त किए जा सकते हैं. हालांकि यह जांच का विषय है कि हिंसा बंद समर्थकों की तरफ से हुई या भीड़ में घुसे विघ्नकारियों ने हमेशा की तरह अपने मंसूबे पूरे करने की कोशिश की.

अनसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) के लोगों को भारत के सु्प्रीम कोर्ट द्वारा सख्त एससी/एसटी अधिनियम 1989 में किया गया संशोधन रास नहीं आया. यह भारत बंद इसे शिथिल करने पर केंद्र सरकार की आश्चर्यजनक खामोशी का नतीजा था. दिलचस्प बात यह है कि बंद की अगुवाई करने के लिए किसी नामचीन एससी/एसटी अथवा दलित नेता का चेहरा सामने नहीं था बल्कि इसे सफल बनाने के लिए जहां सोशल मीडिया और जमीनी दस्तों के माध्यम से अनाम-से कार्यकर्ताओं ने लोगों को जागरूक बनाने की कोशिश की, वहीं इसके विरोध में आरक्षण के मुद्दे को दाल-भात में मूसलचंद बनाने की कोशिश की गई.

बिहार-पश्चिम बंगाल के जलने को तो माफ कर दिया गया

यह बताने का प्रयास किया गया कि ऊंची जातियों की नाक में दम करने वाले एससी/एसटी अधिनियम में संशोधन उचित है, इसलिए भारत बंद को किसी सूरत में सफल नहीं होने देना है. जाहिर है कि जब शोषितों-उत्पीड़ितों के देशव्यापी आंदोलन में विरोधी शक्तियां सड़कों पर जोर आजमाइश करेंगी तो हिंसा की चिंगारी भड़क उठना तय है. आम लोगों का जीना मुहाल होना, जान-माल का नुकसान होना इसी का बाय-प्रोडक्ट है.

लेकिन यह तब भी हुआ था जब मंडल-कमंडल का टकराव हुआ, शिवसेना ने मुंबई की सांसें रोकीं, भिवंडी-भागलपुर-मुंबई-मुजफ्फरपुर, गुजरात आदि में दंगे कराए गए, राम मंदिर का आंदोलन हुआ, करणी सेना सड़कों पर उतरी या अभी हाल में जब बिहार और पश्चिम बंगाल को जलाया गया! लेकिन इसे शक्तिशाली वर्गों का विशेषाधिकार समझकर हमेशा नजरअंदाज किया जाता रहा है.

अब तक के बंद सामर्थ्यवान, संगठित एवं शक्तिशाली समुदायों-संगठनों द्वारा आयोजित किए जाते रहे हैं, जिनमें भीड़ को नंगा नाच करने की खुली छूट होती थी.

पहली बार इस पैमाने पर सड़क पर उतरे एससी/एसटी

भारत बंद: यह एक दिन का गुस्सा नहीं है, जनता देख रही है कि दुरुपयोग तो संसद का भी होता है

ऐसा पहली बार हुआ है कि एससी/एसटी और दलित समाज के लोग व्यापक पैमाने पर सड़कों पर उतरे, जिनमें महिलाओं की भागेदारी उल्लेखनीय रही. यह एकजुटता दशकों की एकतरफा हिंसा, उत्पीड़न, अपमान और अधिकारहनन का नतीजा थी. इस मरता क्या न करता वाले बंद की तुलना अगर 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से की जाए तो अतिशयोक्ति न होगी.

उस महासंग्राम ने पहली बार भारतीयों को यह अहसास कराया था कि महज कलम और रोटी को हथियार बनाकर महाबली अंग्रेजों से पंगा लिया जा सकता है और उन्हें पराजित भी किया जा सकता है. इस बंद ने भी दबे-कुचले लोगों को यह आत्मविश्वास दिया है कि अगर वे संगठित हो जाएं तो बिना किसी प्रचार-तंत्र के दमनकारी ताकतों को उन्हीं की शैली में जवाब दिया जा सकता है.

मामले पर अध्यादेश लाना चाहिए था

भारत बंद: यह एक दिन का गुस्सा नहीं है, जनता देख रही है कि दुरुपयोग तो संसद का भी होता है

यह देखना भी दिलचस्प रहा कि टीवी पर नथुने फुलाकर दबंगई का अभिनय करने वाले सत्तापक्ष के नेताओं की बॉडी लैंग्वेज बदली हुई नजर आई. दिन भर वे पुनर्विचार याचिका को आग ठंडा करने का औजार बनाते रहे. जबकि बंद समर्थकों का मानना है कि यह याचिका एक आंखों में धूल झोंकने से ज्यादा कुछ नहीं है; अध्यादेश लाना चाहिए था. क्योंकि जब तक पुनर्विचार याचिका पर फैसला नहीं आ जाता, अधिनियम को शिथिल करने वाला संशोधन लागू रहेगा. उनकी इस आशंका को बल मिलता है राजस्थान में घोड़ी पर घूमने वाले एक दलित युवक की हत्या से, जो संशोधन होते ही अंजाम दी गई थी.

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि एससी/एसटी अधिनियम का दुरुपयोग भी जमकर होता है. आपको याद होगा कि पिछले दिनों महाराष्ट्र में हुए विराट मराठा आंदोलन की एक प्रमुख वजह यह भी थी. लेकिन प्रश्न यह है कि इस दुरुपयोग का जिम्मेदार कौन है? बल्कि कानूनों का दुरूपयोग सबसे अधिक तो राजसत्ता द्वारा शोषित तबकों के संघर्षों को दबाने-कुचलने के लिए ही किया जाता रहा है.

दुर्बलों को सताते-सताते सबलों का यह संस्कार बन गया है कि वे अपनी हर अत्याचारी कुचेष्टा को स्वाभाविक और जन्मसिद्ध अधिकार मानने लगे हैं. इस अधिनियम की आड़ में वे एससी/एसटी समूह या व्यक्ति को चारा बनाकर आपसी वैमनस्य का निबटारा करते हैं. हमारे स्थानीय थाना-कचहरी किस तरह धनबल, जनबल और रसूख के दबाव में काम करते हैं, यह किसी से छिपा नहीं है. इससे बदले की भावना भी जागेगी ही.

इसी का नतीजा है कि कई बार एससी/एसटी के लोग मारपीट, गाली-गलौज, बलात्कार, जमीन विवाद, मवेशी चराने, पानी न भरने देने आदि के झूठे मुकदमों में ऊंची जाति के लोगों को फंसा देते हैं. एससी/एसटी अधिनियम 1989 का गांव-गांव में इस रूप में भय व्याप्त है कि अगर किसी हरिजन/आदिवासी को जातिसूचक गाली दी गई अथवा कोई अत्याचार किया गया तो सीधे गिरफ्तारी होगी.

इसके बावजूद दलितों, आदिवासियों का उत्पीड़न बदस्तूर जारी है. लेकिन अगर संशोधन करके गिरफ्तारी से पहले पुलिसिया जांच का अड़ंगा लगा दिया जाए तो समाज के मनबढ़ लोगों द्वारा इसे प्रभावित किए जाने से कौन रोकेगा? कानून तो पहले भी थे लेकिन इस अधिनियम को बनाने की जरूरत ही इसलिए महसूस की गई थी कि अत्याचार झेल रहे एससी/एसटी के लोगों की कोई सुनवाई नहीं होती.

दुरुपयोग तो संसद का भी होता है

भारत बंद: यह एक दिन का गुस्सा नहीं है, जनता देख रही है कि दुरुपयोग तो संसद का भी होता है

वैसे हमारे यहां किस कानून का दुरुपयोग नहीं होता? क्या दहेज प्रथा, घरेलू हिंसा, बाल-मजदूरी, बाल विवाह, भ्रूणहत्या, आरटीई, आरटीआई, 498 ए आईपीसी, 151 सीआरपीसी आदि कानूनों का सदा सदुपयोग ही होता है? लेकिन इसका अर्थ यह तो नहीं है कि इन्हें शिथिल कर दिया जाए! जनता देख रही है कि दुरुपयोग तो संसद का भी होता है.

कई लोग भारत बंद को सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ हुआ आंदोलन बता रहे हैं. जबकि इसे दलितों और एससी/एसटी के खिलाफ उग्रतर होती हिंसा के खिलाफ संचित हुए विस्फोट के तौर पर देखा जाना चाहिए और राहत इंदौरी के इस शेर से सबक हासिल करना चाहिए-

मैं जानता हूं के दुश्मन भी कम नहीं लेकिन हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है!

लेखक से ट्विटर पर जुड़ने के लिए क्लिक करें- https://twitter.com/VijayshankarC और फेसबुक पर जुड़ने के लिए क्लिक करें- https://www.facebook.com/vijayshankar.chaturvedi

(नोट- उपरोक्त दिए गए विचार व आंकड़े लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज ग्रुप सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.)

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

'मेरे घर आइए, साथ में एक्सरसाइज करेंगे और जूड़ो लड़ेंगे', किरेन रिजिजू ने राहुल गांधी को दिया ये जवाब, Video
'मेरे घर आइए, साथ में एक्सरसाइज करेंगे और जूड़ो लड़ेंगे', किरेन रिजिजू ने राहुल गांधी को दिया ये जवाब, Video
नवंबर में दिल्ली नहीं बल्कि ये शहर रहा देश में सबसे ज्यादा प्रदूषित, रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा
नवंबर में दिल्ली नहीं बल्कि ये शहर रहा देश में सबसे ज्यादा प्रदूषित, रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा
Tere Ishk Mein Box Office Day 9: 'तेरे इश्क में' गजब कर रही, 'धुरंधर' के सामने बनने जा रही 100 करोड़ी!
'तेरे इश्क में' गजब कर रही, 'धुरंधर' के सामने बनने जा रही 100 करोड़ी!
दक्षिण अफ्रीका से ODI सीरीज जीतने के बाद विराट कोहली का खास बयान, कहा- मैंने 2-3 साल...
दक्षिण अफ्रीका से ODI सीरीज जीतने के बाद विराट कोहली का खास बयान, कहा- मैंने 2-3 साल...
ABP Premium

वीडियोज

Renuka Chowdhury: डॉग विवाद पर रेणुका चौधरी ने दिया सीधा और सख्त जवाब | Charcha With Chitra
पति के अफेयर की प्राण घातक बीवी ! | Sansani | Crime News
Babri Masjid: 6 दिसंबर...बाबरी मस्जिद को लेकर नया बवंडर! | TMC | Indigo Flight | Indigo Crisis
Putin India Visit: Vladimir Putin ने India दौरे पर वो पा लिया… जो 4 साल में खोया था |ABPLIVE
IndiGo flight Cancelled: यात्रियों के टिकट कैंसिल करने के पीछे बड़ी साजिश? | Janhit With Chitra

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'मेरे घर आइए, साथ में एक्सरसाइज करेंगे और जूड़ो लड़ेंगे', किरेन रिजिजू ने राहुल गांधी को दिया ये जवाब, Video
'मेरे घर आइए, साथ में एक्सरसाइज करेंगे और जूड़ो लड़ेंगे', किरेन रिजिजू ने राहुल गांधी को दिया ये जवाब, Video
नवंबर में दिल्ली नहीं बल्कि ये शहर रहा देश में सबसे ज्यादा प्रदूषित, रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा
नवंबर में दिल्ली नहीं बल्कि ये शहर रहा देश में सबसे ज्यादा प्रदूषित, रिपोर्ट में चौंकाने वाला दावा
Tere Ishk Mein Box Office Day 9: 'तेरे इश्क में' गजब कर रही, 'धुरंधर' के सामने बनने जा रही 100 करोड़ी!
'तेरे इश्क में' गजब कर रही, 'धुरंधर' के सामने बनने जा रही 100 करोड़ी!
दक्षिण अफ्रीका से ODI सीरीज जीतने के बाद विराट कोहली का खास बयान, कहा- मैंने 2-3 साल...
दक्षिण अफ्रीका से ODI सीरीज जीतने के बाद विराट कोहली का खास बयान, कहा- मैंने 2-3 साल...
'ऐसा एक्शन होगा, जो मिसाल बनेगा और पूरा एविएशन सेक्टर...', राम मोहन नायडू की इंडिगो को चेतावनी
'ऐसा एक्शन होगा, जो मिसाल बनेगा और पूरा एविएशन सेक्टर...', राम मोहन नायडू की इंडिगो को चेतावनी
500KM की दूरी का 7500 रुपये... इंडिगो संकट के बीच सरकार का बड़ा फैसला, मनमाना किराया वसूली पर रोक
500KM की दूरी का ₹7500... इंडिगो संकट के बीच सरकार का बड़ा फैसला, मनमाना किराया वसूली पर रोक
​सेंट्रल संस्कृत यूनिवर्सिटी में निकली वैकेंसी, सैलरी जानकार उड़ जाएंगे होश
​सेंट्रल संस्कृत यूनिवर्सिटी में निकली वैकेंसी, सैलरी जानकार उड़ जाएंगे होश
स्टेज पर फोटो खिंचाने आई बहन पर फूटा दुल्हन का गुस्सा! ऐसे घूरा कि सोशल मीडिया पर मच गया धमाल- वीडियो वायरल
स्टेज पर फोटो खिंचाने आई बहन पर फूटा दुल्हन का गुस्सा! ऐसे घूरा कि सोशल मीडिया पर मच गया धमाल
Embed widget