एक्सप्लोरर

संजय सिंह की गिरफ्तारी से आम आदमी पार्टी की छवि को लगेगा गहरा धक्का, केजरीवाल तक भले न पहुंचे आंच पर होगा पार्टी का नुकसान

संजय सिंह गिरफ्तार हो गए. 5 अक्टूबर को प्रवर्तन निदेशालय ने आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह को गिरफ्तार किया और कोर्ट ने उनको 5 दिनों की रिमांड दे दी. अब संजय सिंह का सामना उनके सहयोगियों से कराया जाएगा और शराब घोटाले के हरेक पहलू की जांच की जाएगी. हालांकि, आम आदमी पार्टी हमेशा की तरह यह कह रही है कि उसके नेताओं को फंसाया गया है और यह सब मोदी सरकार की हताशा को दिखाता है. राजनीति के इतर अगर देखें तो अरविंद केजरीवाल की छवि पर बेहद नकारात्मक असर पड़ा है. लोग अब सवाल पूछ रहे हैं कि अगला नंबर कहीं केजरीवाल का ही तो नहीं है, हालांकि केजरीवाल की अब तक कहीं कोई संलिप्तता नहीं दिखी है और आ.आ.पा. के नेताओं पर भी आरोप ही लगे हैं, कुछ भी पुख्ता नहीं है. 

गिरफ्तारी को दिया जाएगा राजनीतिक रंग 

संजय सिंह की गिरफ्तारी के मामले में दो पहलू हैं और दोनों पर ही हमें ध्यान देना चाहिए. इसमें तो कोई शक नहीं है कि दिल्ली में जो नयी आबकारी नीति आम आदमी पार्टी की सरकार ने बनायी थी, उस पर सवाल उठे थे और उपराज्यपाल सक्सेना जी ने इसकी जांच सीबीआई को सौंप दी. ईडी और सीबीआई की जांच के बाद ही ये सब हो रहा है. सत्येंद्र जैन का मामला अलग है, लेकिन मनीष सिसोदिया पहले ऐसे व्यक्ति थे, जो इसी आबकारी नीति के मामले में जेल गए हैं. संजय सिंह अब दूसरे नेता हैं. यह बात ठीक है कि संजय सिंह की गिरफ्तारी संसद के विशेष सत्र के बाद हुई और अब जब देश में चुनाव की दस्तक सुनाई दे रही है, उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही चुनाव आयोग तीन राज्यों -छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और राजस्थान-की तारीखें घोषित कर सकता है.

जाहिर है, ऐसे में विपक्ष तो इन गिरफ्तारियों पर सवाल उठाएगा ही. इंडिया गठबंधन नाम से जो विपक्षी जमावड़ा है, वह भी इसको मुद्दा बनाएंगे ही. आम आदमी पार्टी भी उस गठबंधन का हिस्सा है और भले ही यह आश्चर्य की बात है कि जो आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़कर ही राजनीतिक परिदृश्य पर उभरी थी, उसके नेता इस तरह एक के बाद एक पकड़े जा रहे हैं. इस पर सवाल तो उठेगा ही. हालांकि, भारत की यह खासियत है कि यहां हरेक चीज को राजनीति के नजरिए से देखा जाता है. अब, प्रवर्तन निदेशालय द्वारा की गयी गिरफ्तारी हो या फिर और कुछ हो, हरेक बात आखिरकार राजनीतिक चश्मे से ही देखी जाती है. 

आम आदमी पार्टी की कोशिश भी यही है कि पूरा देश राजनीतिक के चश्मे से इन गिरफ्तारियों को देखें. अगर आप देखें कि अरविंद केजरीवाल जिस तरह से इन मुद्दों पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं, वह पैटर्न एक ही है. मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी के वक्त भी यही हुआ था और संजय सिंह की गिरफ्तारी के समय भी यही हुआ था. केजरीवाल ने मासूम बयान दिए, दोनों के घर पर गए और फैसला दे दिया कि ईडी को कुछ नहीं मिलेगा. सवाल लेकिन यह है कि जो पार्टी भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से पैदा हुई है, पूरी दुनिया में जिसे कौतूहल की नजर से देखा गया, भारत में तो लोगों ने समझ लिया था कि अब देश ही बदल रहा है, लेकिन उसी पार्टी के नेता एक के बाद एक भ्रष्टाचार के आरोपित निकलें तो कहीं न कहीं उनकी साख पर सवाल उठता है, क्रेडिबिलिटी को धक्का लगता है. जहां तक संजय सिंह की बात है तो उत्तर प्रदेश में इनकी छवि बहुत अच्छी नहीं है.

एक वरिष्ठ पत्रकार ने तो यह तक कह दिया है कि संजय सिंह के पक्ष में खड़ा होना यूपी के एक छुटभैए डॉन के पक्ष में खड़े होते हैं. तो, कहींं न कहीं उनका अतीत भी है. भले ही आम आदमी पार्टी इसको राजनीतिक तौर पर पेश करे, लेकिन पार्टी की चुनावी संभावनाओं पर तो सवाल उठेगा, लोग कहीं न कहीं उनमें अपना भरोसा खो देगा. अगर यह सिर्फ राजनीति होती तो हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया की जमानत बार-बार खारिज क्यों और कैसे कर रही है?

केजरीवाल तक नहीं पहुंचेगी आंच

आप देखेंगे कि केजरीवाल तक अभी की जांच का कोई सिरा नहीं पहुंचा है. इसकी वजह ये है कि वह खुद आइआरएस रहे हैं, आर्थिक मामलों के ही विशेषज्ञ हैं. शायद इसीलिए, वे सीधे-सीधे कहीं संलिप्त नजर नहीं आते. दूसरी बात ये कि ये सभी राजनेता हैं, तो इनके साथ जांच एजेंसियां किसी दोयम-तिरहम दर्जें के अपराधी की तरह व्यवहार नहीं करेगी. जब तक केजरीवाल के खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं मिलेंगे, तब तक केजरीवाल को तो कुछ नहीं कहा जाएगा, लेकिन हां परसेप्शन तो बन ही रहा है, धारणाएं तो बदल ही रही हैं. आज ही दफ्तर आने के क्रम में लोगों की बाचतीत से यह पता चला कि केजरीवाल के प्रति भी धारणाएं बदल रही हैं. लोग कह रहे हैं कि अरे, वो तो घाघ है और पता नहीं वो क्या इस्तीफा देगा? तो, जांच की आंच भले उन तक न पहुंचे, लेकिन केजरीवाल को लोगों की सहानुभूति कम मिलेगी या नहीं मिलेगी, यह भी तय है. जो हम धारणाओं का संकट कहते हैं, वह केजरीवाल के साथ होने लगा. 

अरविंद केजरीवाल ने जब राजनीति शुरू की थी, तो पत्रकारों के मन में, न्यूज रूम मे भी एक सहानुभूति थी. 2010-11 के दौरान कांग्रेस को छोड़ दें तो उनको सभी का साथ मिला था. जब अन्ना हजारे का अनशन हुआ था, तो सारी दलीय सीमाएं टूट गयी थीं और देश एक उम्मीद की नजर से उनकी तरफ देख रहा था. चाहे जंतर-मंतर का प्रदर्शन हो या संसद के सामने का, भारतीय चेतना परेशान थी. अरविंद केजरीवाल को दूरदराज के गांवों से लेकर दिल्ली की सड़कों तक समर्थन मिला था. नॉर्थ ईस्ट हो या राजस्थान की ढाणी, सभी तबके और जमात के लोगों ने उनको समर्थन दिया.

उनकी जब पार्टी बनी तो पहला आर्थिक योगदान प्रख्यात वकील शांतिभूषण ने दिया, जेएनयू के प्रोफेसर आनंद कुमार भी काफी सक्रिय थे. हालांकि, अपनी राजनीति जब उन्होंने शुरू कीं तो अपने आसपास के लोगों, जैसे प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, कुमार विश्वास, आशुतोष, आनंद कुमार इत्यादि को जिस तरह से छोड़ा, उससे भी धारणा काफी खराब बनी है. इससे किसी बड़े नागरिक आंदोलन की आशा तो खत्म हो गयी है. यह आंदोलन देशव्यापी था और दलीय सीमाओं के परे था. 1974 का आंदोलन भी ऐसा ही था, लेकिन अन्ना आंदोलन बहुत बड़ा था. भरोसे और साख का संकट तो खड़ा हुआ है और इसके लिए आम आदमी पार्टी की वही राजनीति जिम्मेदार है, जिसका लगातार विरोध कर वह सत्ता तक पहुंची है. 

[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]

और देखें

ओपिनियन

Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

India-Pakistan Relations: कारगिल युद्ध के 25 साल बाद पाकिस्तान का कबूलनामा, अटल बिहारी वाजपेयी को याद कर नवाज शरीफ ने मानी ये गलती
कारगिल युद्ध के 25 साल बाद पाकिस्तान का कबूलनामा, अटल बिहारी वाजपेयी को याद कर नवाज शरीफ ने मानी ये गलती
Lok Sabha Election 2024: अखिलेश यादव समेत तीन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज, जानें क्या है पूरा मामला?
अखिलेश यादव समेत तीन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज, जानें क्या है पूरा मामला?
Delhi Chief Secretary: दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को दूसरी बार मिला सेवा विस्तार, 6 महीने पहले सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुकी है AAP
दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को दूसरी बार मिला सेवा विस्तार, 6 महीने पहले सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुकी है AAP
Hardik Pandya Divorce: हार्दिक-नताशा तलाक की खबरों ने लिया नया मोड़, करीबी दोस्त का हैरतअंगेज़ खुलासा
हार्दिक-नताशा तलाक की खबरों ने लिया नया मोड़, करीबी दोस्त का हैरतअंगेज़ खुलासा
metaverse

वीडियोज

PM Modi On ABP: स्वार्थी लोगों ने ब्रह्मोस का एक्सपोर्ट रोका-पीएम मोदी का बड़ा बयान | Loksabha PollsLoksabha Election 2024: मोदी की आध्यात्म यात्रा..'हैट्रिक' का सार छिपा ? | ABP NewsPM Modi On ABP: 2024 चुनाव के नतीजों से पहले पीएम मोदी का फाइनल इंटरव्यू | Loksabha ElectionPM Modi On ABP: पीएम मोदी से पहली बार जानिए- किस विपक्षी नेता के वे पैर छूते थे | Loksabha Election

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
India-Pakistan Relations: कारगिल युद्ध के 25 साल बाद पाकिस्तान का कबूलनामा, अटल बिहारी वाजपेयी को याद कर नवाज शरीफ ने मानी ये गलती
कारगिल युद्ध के 25 साल बाद पाकिस्तान का कबूलनामा, अटल बिहारी वाजपेयी को याद कर नवाज शरीफ ने मानी ये गलती
Lok Sabha Election 2024: अखिलेश यादव समेत तीन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज, जानें क्या है पूरा मामला?
अखिलेश यादव समेत तीन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज, जानें क्या है पूरा मामला?
Delhi Chief Secretary: दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को दूसरी बार मिला सेवा विस्तार, 6 महीने पहले सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुकी है AAP
दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार को दूसरी बार मिला सेवा विस्तार, 6 महीने पहले सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे चुकी है AAP
Hardik Pandya Divorce: हार्दिक-नताशा तलाक की खबरों ने लिया नया मोड़, करीबी दोस्त का हैरतअंगेज़ खुलासा
हार्दिक-नताशा तलाक की खबरों ने लिया नया मोड़, करीबी दोस्त का हैरतअंगेज़ खुलासा
'जवान', 'पठान' या 'एनिमल' नहीं, इस फिल्म को 2023 में हुआ सबसे ज्यादा मुनाफा! यहां देखें टॉप 5 की लिस्ट
'जवान', 'पठान' या 'एनिमल' नहीं, इस फिल्म को 2023 में हुआ खूब मुनाफा!
वैक्सीन बनाने वालों को कम से कम कितनी सैलरी देता है सीरम इंस्टिट्यूट? रकम सुनकर उड़ जाएंगे होश
वैक्सीन बनाने वालों को कम से कम कितनी सैलरी देता है सीरम इंस्टिट्यूट? रकम सुनकर उड़ जाएंगे होश
शरीर में है B12 की कमी तो कुछ ऐसे दिखते हैं लक्षण, जानें एक सेहतमंद व्यक्ति में कितना होना चाहिए लेवल?
शरीर में है B12 की कमी तो कुछ ऐसे दिखते हैं लक्षण, जानें एक सेहतमंद व्यक्ति में कितना होना चाहिए लेवल?
टूरिज्म में आया उछाल, 119 देशों की सूची में 39वें स्थान पर आया भारत, क्या हैं इसके संकेत
टूरिज्म में आया उछाल, 119 देशों की सूची में 39वें स्थान पर आया भारत, क्या हैं इसके संकेत
Embed widget