एक्सप्लोरर

72 हूरें हो या 'द केरल स्टोरी', ऐसी फिल्में सामाजिक राजनीति व राजनीतिक समाज से प्रेरित, नहीं होना चाहिए इनमें तथ्यों से घालमेल

पहले 'कश्मीर फाइल्स', फिर 'द केरला स्टोरी' और अब '72 हूरें' 'अजमेर 92'...एक के बाद एक ऐसी फिल्में जो उन मसलों पर बात करती हैं, जिनको अब तक हश-हश करके दबा दिया जाता था, जिन पर बात करना विवादित माना जाता है. इन पर फिल्में बनाने को राजनीति और खास विचारधारा से भी प्रेरित बताया जाता है, जिसका अंतिम मकसद संमुदाय विशेष को बदनाम करना बताया जाता है. यह मामले का पूरा सच है, या आईना दिखाने को विवाद माना जाने लगा है? 

जिस तरह मेरी, आपकी और तमाम लोगों की विचारधारा होती है, राजनीति होती है, उसी तरह एक फिल्मकार की भी विचारधारा हो सकती है, राजनीति हो सकती है, आइडियोलॉजी हो सकती है. एक और बात य होती है कि जिस राजनीति की किसी समय विशेष में प्रमुखता होती है, उस नैरेटिव को, उस राजनीति को आगे बढ़ाने में भी एक सुविधा होती है, उस नैरेटिव का अपना समय होता है. राजनीति से मेरा आशय केवल सरकार या सत्ताधारी दल या समूह नहीं है, क्योंकि उसको भी सपोर्ट मिल रहा है तो सोसायटी से ही मिलता है. इस समर्थन से भी फिल्कार को सहयोग मिलता है और बनाने का नजरिया भी. जहां तक समुदाय विशेष को फिल्मों से निशाना बनाने की बात है, वह पूरा सच नहीं है.

पिछले दिनों कई ऐसी फिल्में आई हैं, जो दक्षिणपंथी सोच के नजदीक दिखती हैं. जैसे, 'गुमनामी' फिल्म आई थी. नेताजी पर बनी उस फिल्म का भी दक्षिणपंथी रुझान था. जाहिर है, कि समाज में जिस तरह का माहौल रहता है, वैसी फिल्में बनती हैं, जैसे अभी जिस तरह का माहौल है, उस तरह की फिल्में बनें तो उसे फाइनांसर भी मिलेंगे, उसे दर्शक भी मिलने की संभावना अधिक होगी और फिल्म के हिट होने की संभावना होगी. साथ ही, फिल्मकारों की सरकारों से अपेक्षा यही तो होती है कि वे टैक्स-फ्री कर दें फिल्म को, तो इसलिए भी फिल्में एक खास नजरिए से बनती हैं. 

फिल्मकारों की अपनी राजनीति, अपनी विचारधारा

जहां तक राजनीति या मुद्दे की बात है, तो आप कहानी अपने नजरिए से लिखें, उसमें दिक्कत नहीं है, लेकिन तथ्यों को ठीक रखें. जैसे 'द केरल स्टोरी' में आपने मान लिया कचहरी में जाकर कि तीन ही लड़कियों का मसला है, लेकिन उससे पहले आपने लिख दिया था कि 30 हजार लड़कियों की कहानी है. उसी तरह 'बहत्तर हूरें' के ट्रेलर में शुरुआती दो फ्रेमों में ही तथ्यात्मक गलती है. उसमें ट्विन टावर्स पर अटैक को 2011 में दिखा दिया, जबकि 2001 में वह अटैक हुआ था. दूसरे मुंबई में जो हमला ताज होटल पर हुआ था, वह 2008 में हुआ था, लेकिन उसको भी आप 2011 में दिखा रहे हैं. दूसरा सवाल फॉलोअप का है. फिल्में बनाकर, राजनीतिक माहौल बनाकर लोग लिमिटेड क्यों हो जाते हैं, आप जिस राजनीति को, नैरेटिव को अपनी फिल्मों के जरिए दिखाना चाहते हैं, उसका फॉलआउट आखिर क्या है, आप उसे कहां तक ले जाना चाहते हैं? ये एक ऐसा सवाल है, जिसे पूछा जाना चाहिए. 

अपनी राजनीति दिखाएं, तथ्यों को न बिगाड़ें

फिल्में अपने समय के हिसाब से होती हैं और उसी हिसाब से उनकी आलोचना और बड़ाई भी होती है. अभी पिछले साल '72 हूरें' के डायरेक्टर ने कहा था कि फिल्मोद्योग पर वामपंथियों का कब्जा है. ऐसा पूरी तरह सच नहीं है. आप 1950 के दशक की बात करें. गुरुदत्त का मामला लीजिए. उनकी कुछ फिल्मों को फेमिनिस्ट लॉबी ने कहा है कि वे महिला-विरोधी आख्यान समेटे हैं. बी आर चोपड़ा कि फिल्म है 'गुमराह'..उसका कुल मिलाकर कहना है कि औरत को पारिवारिक दायरे में रहना चाहिए. उसकी भी आलोचना हुई. मणिरत्नम की फिल्म 'रोजा' की आलोचना हुई. उनको कहा गया कि वह समुदाय विशेष को बुरी लाइट में दिखा रहे हैं. 'बॉम्बे' फिल्म का दृश्य है कि मुस्लिम नायिका जा रही है अपने नायक से मिलने. तो, रास्ते में बंदरगाह पर के एंकर से लिपटकर उसका बुर्का फट जाता है, उतर जाता है.

फिल्मकार का वह दिखाने का तरीका है कि वह लिबरेट हो रही है, भविष्य की ओर जा रही है. उसकी भी आलोचना हुई थी. इन सब के आलोक में यह कहना कि एक ही तरह की विचारधारा हावी है, यह गलत होगा. बहुत से लोग जो नेहरू और कांग्रेस को सपोर्ट करते थे, उन्होंने इमरजेंसी के समय मिसेज गांधी की मुखालफत की थी. सिनेमा में विचारधार हमेशा से रही है. दक्षिण भारत का क्या ही कहना, जहां लंबे समय से सिनेमा और राजनीति एक-दूसरे के साथ चले हैं. 

फिल्में मनोरंजन के लिए, संदेश अंतर्निहित

फिल्में मनोरंजन का साधन तो हैं हीं. अगर आप किसी भी मैसेज को प्रवचन या भाषण बना देंगे तो थिएटर में कोई भी नहीं आएगा, उसके लिए अलग प्लेटफॉर्म्स हैं. हालांकि, आप कुछ कह रहे हैं तो एक मैसेजिंग तो उसमें हो ही जाती है. आप एक कहानी कह रहे हैं, कलात्मक माध्यम से कह रहे हैं तो उसमें संदेश तो आ ही जाता है. अब आपसे कुछ उम्मीदें तो रहती ही हैं कि आप ढंग से कहानी को प्रजेंट करें, निर्देशन ठीक हो, गाना-बजाना ठीक हो और उसी में आपका संदेश गुंथा हो. अब इसमें आपत्ति किसी को नहीं है कि आप अपनी राजनीति को अपनी फिल्मों से दिखाएं, लेकिन यह अपेक्षा तो रहेगी ही कि आप दर्शकों को गलत तथ्य न बताएं, उनकी भावनाओं का दोहन मात्र न करें और उन्हें गलत राह पर न डालें. आप पाकिस्तान के शोएब मंसूर को ले लीजिए, उन्होंने 'खुदा के लिए' जैसी फिल्म बनाई, जिसमें इस्लामी कट्टरपंथ की क्या कायदे से धुलाई की है. उसी तरह अभी हंसल मेहता की फिल्म आई है, 'फराज'. वह बांग्लादेश में हुए धमाकों पर है. उसमें भी जो संदेश है, वह बहुत स्पष्ट है. तो, कहने का मतलब ये है कि आप दर्शकों की चेतना या उसके पैसों से न खेलें. बाकी, सब तो ठीक ही है. 

फिल्मकारों की अपनी राजनीति है, वे उसे बढ़ाने के लिए फिल्म बना रहे हैं. हालांकि, किसी भी एक तरह की फिल्मे सब सफल हो ही रही हैं, वैसा भी नहीं है. 'पृथ्वीराज' बहुत बुरी तरह फ्लॉप हुई. 'पठान' और 'पुष्पा' आयी तो लगा कि केवल मनोरंजन के लिए भी फिल्में बन सकती हैं. तो, आपका एजेंडा हो, नैरेटिव हो, राजनीति हो, कुछ भी हो, लेकिन दर्शक बहुत समझदार है. आपको इस मुगालते से निकल जाना चाहिए कि कोई केवल दक्षिणपंथी या वामपंथी है तो वह थिएटर में जाकर फिल्म देख लेगा.

[उपरोक्त विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. ये जरूरी नहीं कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]  

View More

ओपिनियन

Sponsored Links by Taboola
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h

टॉप हेडलाइंस

ISI के निशाने पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, खतरे को देखते हुए सुरक्षा बढ़ाई,  Z+ सिक्योरिटी मिली हुई
ISI के निशाने पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, खतरे को देखते हुए सुरक्षा बढ़ाई, Z+ सिक्योरिटी मिली हुई
लालू की संपत्ति को लेकर सम्राट चौधरी के बयान से सियासी बवाल, RJD बोली- 'कानून हाथ में लेने की...'
लालू की संपत्ति को लेकर सम्राट चौधरी के बयान से सियासी बवाल, RJD बोली- 'कानून हाथ में लेने की...'
'BJP के ऐतिहासिक प्रदर्शन को...', तिरुवनंतपुरम में फहराया भगवा तो शशि थरूर का आया पहला रिएक्शन, जानें क्या कहा?
'BJP के ऐतिहासिक प्रदर्शन को...', तिरुवनंतपुरम में फहराया भगवा तो शशि थरूर का आया पहला रिएक्शन, क्या कहा?
पाकिस्तान की सरेआम बेइज्जती, ICC से खफा हो गया PCB; 2026 टी20 वर्ल्ड कप से जुड़ा है मामला
पाकिस्तान की सरेआम बेइज्जती, ICC से खफा हो गया PCB; 2026 टी20 वर्ल्ड कप से जुड़ा है मामला
ABP Premium

वीडियोज

Kanpur News: कानपूर में दिखा  नकाबपोश बदमाशों का तांडव , 3 सेकेंड में घर पर फेंके 3 बम
BJP State President: क्या बदलेगा नए BJP अध्यक्ष के आने से? | UP News | BJP | Mahadangal
Commodities Market में Copper की ज़बरदस्त Rally: 35% Jump और $12,000 का Level | Paisa Live
West Bengal Elections: 'महिलाएं रसोई के औजारों के साथ तैयार रहें', जनता को क्यों भड़का रही ममता?
Trump Tariff: टैरिफ के चक्कर में अपने ही देश में घिरे ट्रंप, शुरू हुई बगावत! |ABPLIVE

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
ISI के निशाने पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, खतरे को देखते हुए सुरक्षा बढ़ाई,  Z+ सिक्योरिटी मिली हुई
ISI के निशाने पर केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान, खतरे को देखते हुए सुरक्षा बढ़ाई, Z+ सिक्योरिटी मिली हुई
लालू की संपत्ति को लेकर सम्राट चौधरी के बयान से सियासी बवाल, RJD बोली- 'कानून हाथ में लेने की...'
लालू की संपत्ति को लेकर सम्राट चौधरी के बयान से सियासी बवाल, RJD बोली- 'कानून हाथ में लेने की...'
'BJP के ऐतिहासिक प्रदर्शन को...', तिरुवनंतपुरम में फहराया भगवा तो शशि थरूर का आया पहला रिएक्शन, जानें क्या कहा?
'BJP के ऐतिहासिक प्रदर्शन को...', तिरुवनंतपुरम में फहराया भगवा तो शशि थरूर का आया पहला रिएक्शन, क्या कहा?
पाकिस्तान की सरेआम बेइज्जती, ICC से खफा हो गया PCB; 2026 टी20 वर्ल्ड कप से जुड़ा है मामला
पाकिस्तान की सरेआम बेइज्जती, ICC से खफा हो गया PCB; 2026 टी20 वर्ल्ड कप से जुड़ा है मामला
विलेन से पहले कॉमिक रोल्स में खूब चमके 'रहमान डकैत', ओटीटी पर अवेलेबल हैं ये कल्ट मूवीज
विलेन से पहले कॉमिक रोल्स में खूब चमके 'रहमान डकैत', ओटीटी पर अवेलेबल हैं ये कल्ट मूवीज
बिहार कैबिनेट के नए विभागों का हुआ बंटवारा, CM नीतीश कुमार के पास सिविल विमानन की जिम्मेदारी
बिहार कैबिनेट के नए विभागों का हुआ बंटवारा, CM नीतीश कुमार के पास सिविल विमानन की जिम्मेदारी
ब्रिटेन से पाकिस्तान तक पहुंचा H3N2 'सुपर फ्लू' का खतरनाक स्ट्रेन, इससे भारत को कितना खतरा?
ब्रिटेन से पाकिस्तान तक पहुंचा H3N2 'सुपर फ्लू' का खतरनाक स्ट्रेन, इससे भारत को कितना खतरा?
IPL में नौकरी करने के लिए कहां मिलती है डिटेल, कितनी योग्यता होनी बेहद जरूरी?
IPL में नौकरी करने के लिए कहां मिलती है डिटेल, कितनी योग्यता होनी बेहद जरूरी?
Embed widget