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ऑटो डीलर्स परेशान, कंपनसेशन सेस रिकवरी को लेकर सरकार से की ये अपील
FADA ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर कंपनसेशन सेस रिकवरी पर मदद मांगी है. आइए विस्तार से जानते हैं कि क्यों GST 2.0 के बाद डीलर्स को कैश फ्लो संकट का सामना करना पड़ रहा है.

प्रतीकात्मक तस्वीर
Source : freepik
फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशंस (FADA) ने सरकार से मदद की अपील की है. संगठन ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर कहा है कि GST 2.0 लागू होने के बाद पुराने कंपनसेशन सेस का प्रावधान खत्म हो गया है. लेकिन डीलर्स के इलेक्ट्रॉनिक क्रेडिट लेजर्स में अभी भी बड़ी मात्रा में वैध सेस बैलेंस पड़ा हुआ है. मौजूदा कानून के तहत यह क्रेडिट न तो CGST, SGST और न ही IGST में इस्तेमाल किया जा सकता है.
MSME डीलर्स पर संकट
- FADA अध्यक्ष सीएस विग्नेश्वर ने बताया कि अगर इस बकाया को समायोजित करने का कोई रास्ता नहीं निकला तो यह क्रेडिट पूरी तरह बेकार हो जाएगा. इसका सीधा असर MSME डीलर्स पर पड़ेगा. उनके वर्किंग कैपिटल पर दबाव बढ़ेगा और कैश फ्लो बिगड़ जाएगा.
GST काउंसिल का हालिया फैसला
- दरअसल, हाल ही में हुई 56वीं GST काउंसिल बैठक में मोटर व्हीकल्स पर लगने वाले कंपनसेशन सेस को GST दरों में मिला दिया गया है. इसका मतलब है कि आगे से कोई नया सेस लागू नहीं होगा. यही वजह है कि डीलर्स अब अपने पुराने सेस बैलेंस को इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं.
FADA की मांग
- संगठन ने सरकार से मांग की है कि 21 सितंबर तक जितना कंपनसेशन सेस बैलेंस डीलर्स के पास मौजूद है, उसे IGST या CGST क्रेडिट लेजर में ट्रांसफर कर दिया जाए. इससे डीलर्स इसे नियमित GST टैक्स लायबिलिटी को चुकाने में इस्तेमाल कर पाएंगे.
त्योहारों से पहले राहत की उम्मीद
- विग्नेश्वर ने कहा कि फेस्टिव सीजन आने वाला है और डीलर्स इस समय सबसे ज्यादा बिजनेस करते हैं. अगर इस मुद्दे का हल नहीं निकला तो डीलर्स को भारी परेशानी होगी. इसलिए उन्होंने सरकार से अपील की है कि इस मुद्दे को तुरंत प्राथमिकता देकर हल किया जाए. FADA का कहना है कि वे जल्द ही सरकार से मिलकर इस विषय पर चर्चा करना चाहते हैं.
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