Navratri 2025: मां चंद्रघंटा की आराधना से दूर होगी नकारात्मक ऊर्जा, जानें पूजा विधि और महत्व
Navratri Day 3 2025: नवरात्रि तीसरा दिन मां चंद्रघंटा का है, इस दिन आराधना और पूजा से भक्तों को भय से मुक्ति मिलती है और शक्ति व सकारात्मक ऊर्जा का वरदान मिलता है.

Maa Chandraghanta: शारदीय नवरात्रि का तीसरा दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा को समर्पित है. इन्हें वीरता और शौर्य की देवी कहा गया है. इनके मस्तक पर अर्धचंद्र है और गले में झंकारती घंटी.
यह रूप मां के भक्तों को को अदृश्य शक्तियों से रक्षा देता है. शास्त्रों में वर्णन है कि मां चंद्रघंटा की पूजा से दुष्ट आत्माएं, नकारात्मक शक्तियां और मानसिक विकार दूर हो जाते हैं. प्रश्न उठता है - आख़िर मां चंद्रघंटा की आराधना से नकारात्मक ऊर्जा क्यों कांप उठती है?
मां चंद्रघंटा का स्वरूप: सिंह पर आरूढ़ योद्धा देवी
देवी चंद्रघंटा के दस हाथ हैं, जिनमें अलग-अलग शस्त्र और कमल-संकल्प धारण हैं. यह रूप सिंह पर सवार होकर असुरों का संहार करता है. सिंह का प्रतीक ही भय पर विजय और साहस है.
शिवपुराण और देवीभागवत के अनुसार, देवी का घंटा ऐसा दिव्य अस्त्र है, जिसकी ध्वनि से तीनों लोकों में भय का नाश और साहस का उदय होता है.
घंटा नाद और नकारात्मक ऊर्जा का संबंध
घंटे की ध्वनि केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक नहीं है, बल्कि एक वैज्ञानिक कंपन भी उत्पन्न करती है. कैसे आइए समझते हैं-
- ध्वनि की तरंगें: मंदिरों में घंटा बजाने से निकलने वाली ध्वनि 125 से 250 हर्ट्ज़ तक जाती है. यह कंपन मस्तिष्क की तरंगों (ब्रेन वेव्स) को संतुलित करता है.
- नकारात्मक कंपन का विनाश: जब घंटा बजता है तो उसकी तरंगें आस-पास के वायुमंडल में फैली नकारात्मक ऊर्जा को तोड़कर दूर करती हैं.
मां चंद्रघंटा के प्रतीक में यह निहित है कि उनकी साधना से न केवल मानसिक भय दूर होता है, बल्कि आसपास की नकारात्मक तरंगें भी समाप्त हो जाती हैं.
देवी भागवत पुराण में कहा गया है कि चन्द्रकलाधरा देवी घंटानादप्रिये शुभा. तया पूज्ये ह्ययं लोको न भयस्य पतत्यधः॥ अर्थात अर्धचंद्र धारण करने वाली और घंटानाद की प्रिय देवी चंद्रघंटा की आराधना से लोकों का भय नष्ट होता है.
मार्कंडेय पुराण (दुर्गा सप्तशती) में उल्लेख है कि जब देवासुर संग्राम में दैत्य उग्र हो गए, तब मां चंद्रघंटा की घंटा ध्वनि से सम्पूर्ण ब्रह्मांड गूंज उठा और असुर भयभीत होकर भागने लगे.
मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक प्रभाव
- भय से मुक्ति - मां के भक्तों को को यह विश्वास मिलता है कि देवी उसके चारों ओर एक सुरक्षात्मक कवच बना रही हैं.
- आत्मबल में वृद्धि - घंटा नाद और देवी की ध्यान साधना से मस्तिष्क में सेरोटोनिन और डोपामाइन जैसे हार्मोन सक्रिय होते हैं, जो आत्मविश्वास बढ़ाते हैं.
- अदृश्य शक्तियों का नियंत्रण - धार्मिक मान्यता है कि चंद्रघंटा साधना से प्रेत-बाधा, टोना-टोटका और तांत्रिक प्रभाव निष्प्रभावी हो जाते हैं.
मां चंद्रघंटा और साउंड हीलिंग
आज के युग में Sound Healing एक बड़ा वैज्ञानिक क्षेत्र बन चुका है. तिब्बती बाउल्स, मंत्रोच्चारण और घंटियों का उपयोग करके मन और शरीर की चिकित्सा की जाती है. यही अवधारणा मां चंद्रघंटा की पूजा में प्राचीनकाल से मौजूद है.
मंत्र ॐ देवी चंद्रघंटायै नमः का उच्चारण 108 बार करने से वातावरण में ध्वनि तरंगें निर्मित होती हैं, जो मां के भक्तों को की ऑरा (ऊर्जा-क्षेत्र) को शुद्ध करती हैं.
जीवन में व्यावहारिक महत्व
यदि घर में लगातार तनाव और विवाद हो तो मां चंद्रघंटा की पूजा शांति और सकारात्मकता लाती है. देवी की साधना से मानसिक अस्थिरता कम होती है साथ ही तंत्र-मंत्र या नकारात्मक शक्तियों के प्रभाव से मुक्ति मिलती है.
उपाय और साधना विधि
- सुबह स्नान करके पीले या सुनहरे वस्त्र पहनें.
- मां चंद्रघंटा के चित्र या प्रतिमा पर अर्धचंद्र और घंटी का ध्यान करें.
- धूप, दीप और सुगंधित पुष्प अर्पित करें.
- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे का जप 108 बार करें.
- पूजा के बाद घर के मुख्य द्वार पर घंटा या घुंघरू टांग दें.
या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
जो देवी सम्पूर्ण प्राणियों में शक्ति रूप से स्थित हैं, उन्हें बार-बार नमन है. यही शक्ति मां चंद्रघंटा की पूजा में प्रकट होती है, जो मां के भक्तों को को निर्भय बनाती है और नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करती है.
मां चंद्रघंटा केवल पौराणिक देवी नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ध्वनि-ऊर्जा की मूर्ति हैं. उनकी पूजा और साधना से वातावरण की नकारात्मकता मिटती है, मां के भक्तों को का मनोबल बढ़ता है और जीवन में सुरक्षा व साहस की अनुभूति होती है.
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