Mohini Ekadashi 2023: मोहिनी एकादशी कल है, जानें इस एकादशी का पौराणिक महत्व और रोचक कथा
Mohini Ekadashi Katha: मोहिनी एकादशी का व्रत कल यानी 1 मई को रखा जाएगा. मोहिनी एकादशी में जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है.
Mohini Ekadashi Date: हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व माना गया है. हिंदू पंचांग के अनुसार, साल भर में 24 एकादशियां पड़ती है. इन सबमें मोहिनी एकादशी बेहद फलदायी मानी गई है. पुराणों के अनुसार जो व्यक्ति इस एकादशी का व्रत करता है उसे जीवन में कभी भी संकटों का सामना नहीं करना पड़ता है. इस एकादशी के व्रत से जीवन में धन और समृद्धि बनी रहती है.
मोहिनी एकादशी के उपवास से मोह के बंधन खत्म हो जाते हैं. शास्त्रों के अनुसार जो व्यक्ति विधि-विधान से भगवान विष्णु की साधना करते हुए मोहिनी एकादशी का व्रत और रात्रि जागरण करता है, उसे वर्षों की तपस्या का पुण्य प्राप्त होता है. इस बार मोहिनी एकादशी का व्रत कल यानी 1 मई को रखा जाएगा. मोहिनी एकादशी में जगत के पालनहार भगवान श्रीहरि विष्णु के मोहिनी स्वरूप की पूजा-अर्चना की जाती है. आइए जानते हैं भगवान विष्णु के मोहिनी स्वरूप से जुड़े इस कथा के बारे में.
भगवान विष्णु ने क्यों लिया था मोहिनी का रूप
पौराणिक कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन हुआ तो अमृत प्राप्ति के बाद देवताओं और असुरों में आपाधापी मच गई थी. ताकत के बल पर देवता असुरों को हरा नहीं सकते थे.सभी देवता एकसाथ मिलकर भगवान विष्णु के पास गए और इस समस्या हल निकालने की विनती की. इसके बाद भगवान विष्णु मोहिनी का रूप धारण कर असुरों के सामने गए.
भगवान विष्णु का मोहिनी रूप इतना लुभावना था कि उन्हें देखते ही असुर अपनी सुधबुध खो बैठे. मोहिनी ने इन असुरों को अपने मोह माया के जाल में फंसाकर सारा अमृत देवताओं को पिला दिया. इससे देवताओं ने अमरत्व प्राप्त किया. इस कारण इस एकादशी को मोहिनी एकादशी कहा गया.
मोहिनी एकादशी पूजन विधि
इस दिन व्रती को मन से भोग-विलास की भावना त्यागकर भगवान विष्णु का स्मरण करना चाहिए. सूर्योदय काल में जल में हल्दी डालकर, स्नान करके साफ वस्त्र धारण कर भगवान सूर्य को जल चढ़ाएं. भगवान विष्णु के सामने व्रत करने का संकल्प लें. संकल्प के बाद षोडषोपचार सहित श्री विष्णु की पूजा अर्चना करनी चाहिए. एकादशी पर भगवान विष्णु को अक्षत, पीले मौसमी फल या पीले रंग की मिठाई, नारियल और मेवे का भोग लगाएं और उन्हें पीले वस्त्र अर्पित करें.
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