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तालिबानियों ने मारी गोली… ज्योतिषीय योग, साहस और संघर्ष ने बनाया 16 की उम्र में नोबेल विजेता, जानिए मलाला यूसुफजई की प्रेरक कहानी!

Malala Yousafzai Story: पाकिस्तान की स्वात घाटी में जन्मीं मलाला यूसुफजई जिसने लड़कियों को बुनियादी हक दिलाने के लिए तालिबानियों से ली टक्कर, और कम उम्र नोबेल शांति पुरस्कार विजेता बनीं.

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Malala Yousafzai Motivational Story: मलाला यूसुफजई पाकिस्तान की स्वात घाटी में जन्मीं एक साधारण सी लड़की जिसने तालिबान की बंदूकों को अपने इस वाक्य से हरा दिया कि, लड़कियों को पढ़ने का पूरा अधिकार है.

जिसके बाद उनपर हमला हुआ, मौत के मुंह से वापस लौटकर उन्होंने जो किया, वो केवल बहादुरी ही नहीं, बल्कि सिस्टम को एक खुली चुनौती भी थी. मलाला की कहानी सच्ची प्रेरणा से कम नहीं हैं. 

मलाला यूसुफजई की कुंडली में क्या खास?

ज्योतिषीय नजरिए से देखा जाए तो किसी भी व्यक्ति में हिम्मत, शिक्षा और इंसाफ के लिए खड़े होने का स्वभाव तभी आता है, जब उसकी जन्म कुंडली में गुरु, बुध और मंगल की स्थिति मजबूत हो. जहां गुरु ज्ञान के कारक हैं, वहीं बुध विचारों में स्पष्टता लाने और मंगल जोखिम भरे कदम उठाने के लिए जिम्मेदार होता है. 

मलाला की कुंडली में ये तीनों ही ग्रह शुभ स्थिति में हैं. जिस वजह से बिगड़ती परिस्थितियों के बावजूद इन्होंने कभी हार मानना नहीं सीखा. मलाला का मूलांक 3 हैं, जो विद्रोही, नेतृत्व और अडिग मानसिकता के गुण को दर्शाता है. ज्योतीषीय संयोजन के हिसाब से उनके व्यक्तित्व में कभी न हार मानने की क्षमता है.

मलाला यूसुफजई कौन थी?

मलाला का जन्म 12 जुलाई 1997 में पाकिस्तान स्थित मिंगोरा में हुआ था. पाकिस्तान में एक बच्ची का होना कभी भी उत्सव की नजर से नहीं देखा जाता था. लेकिन उनके पिता जियाउद्दीन युसूफजई जिन्होंने मलाला को वो हर मौका दिया जो एक लड़के को मिलता है. 

मलाला के पिता एक शिक्षक थे और अपने गांव में ही छोटा सा स्कूल चलाते थे. लेकिन कुछ समय बाद स्वात घाटी पर तालिबान का कब्जा हो गया. उन्होंने कई चीजों पर प्रतिबंध लगा दिए, जैसे कि टीवी रखना, संगीत सुनना और उनके आदेशों को न मानने वालों को कठोर दंड से गुजरना पड़ता था. तालिबानियों ने लड़कियों के स्कूल जाने पर भी प्रतिबंध लगा दिया.

साल 2009 में जब मलाला मात्र 11 साल की थी, उन्होंने अपने सहपाठियों को अलविदा कह दिया, यह न जानते हुए कि, अब वो उनसे कभी मिल भी पाएगी या नहीं.

पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने दिया अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार

एक कार्यकर्ता के रूप में उन्होंने सार्वजानिक रूप से लड़कियों की हक की आवाजे उठाई और बीबीसी ऊर्दू पर अपने अनुभवों को लोगों के साथ शेयर किया. जिस वजह से वो कई लोगों के निशाने पर आ चुकी थी. 

साल 2011 में उन्हें अंतर्राष्ट्रीय बाल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया. उसी साल उनकी मुलाकात ततकालीन प्रधानमंत्री से हुई, जिन्होंने मलाला की बहादुरी के सम्मान में उन्हें राष्ट्रीय शांति पुरस्कार से नवाजा.

2012 में तालिबानी आतंकी ने मलाला के सिर में मारी गोली

साल 2012 में स्कूल से घर लौटते वक्त एक तालिबानी उनकी स्कूल बस में चढ़ा और पूछा कि, मलाला कौन है? इसके बाद बंदूकधारी तालिबानी ने मलाला के सिर के बायीं ओर गोली मारी.

घटना के 10 दिन बाद इंग्लैंड के बर्मिंघम के अस्पताल मलाला को होश आया तो डॉक्टरों और नर्सों ने उन्हें घटना की पूरी जानकारी दी. महीनों की सर्जरी के बाद मलाला ठीक हो गई.

12 जुलाई मलाला दिवस

साल 2013 अपने 16वें जन्मदिन के मौके पर उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भाषण देते हुए सभी लड़कियों को शिक्षा देने की बात कही. इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र ने 12 जुलाई को मलाला दिवस के रूप में मान्यता दी.

अपने पिता के सहयोग और प्रेरणा से उन्होंने मलाला फंड की स्थापना की, जो हर लड़की को पढ़ने, कुछ सीखने और अपना भविष्य खुद चुनने की अजादी देता है. 

साल 2014 में मलाला युसूफजई को नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जिसके साथ वो सबसे कम उम्र में नोबेल शांति पुरस्कार विजेता बन गई.

साल 2017 में उन्होंने Oxford यूनिवर्सिटी से दर्शनशास्त्र, राजनीति और अर्थशास्त्र की पढ़ाई शुरू की, वह हर दिन प्रयास करती कि, सभी लड़कियों को 12 साल की शिक्षा जरूर मिले.

साल 2021 में असर मलिक से किया निकाह

इसके लिए उन्होंने ब्राजील से लेकर नाइजीरिया और इराक के कई देशों की यात्रा कि, ताकि गरीबी, युद्ध, विवाह और लैंगिक भेदभाव की दशा झेल रही लड़कियों को उनका हक मिल सकें और वो स्कूल जा सकें. साल 2020 में उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी से स्नातक की उपाधि प्राप्त की.

साल 2021 में उन्होंने असर मलिक से शादी कर अपने जीवन में एक नए चैप्टर को शुरुआत किया. साल 2024 में उनके द्वारा स्थापिक मलाला फंड के 10 साल पूरा होने पर उन्होंने जश्न मनाया.

मलाला यूसुफजई की कहानी से क्या सीख सकते हैं?

मलाला यूसुफजई की कहानी किसी दया या संघर्ष से भरी कहानी नहीं, बल्कि उस समाज के खिलाफ थी, जो लड़कियों से उनकी बुनियादी हक शिक्षा भी छीनने की चाह रखता है. एक गोली से डरने की बजाए उन्होंने उसी डर को हथियार की तरह इस्तेमाल किया और समाज का एजेंडा ही बदलकर रख दिया.

तालिबानियों की धमकियों से लेकर संयुक्त राष्ट्र में सबसे कम उम्र में नोबेल शांति पुरस्कार पाने तक मलाला ने साबित किया कि, आवाज बेशक छोटी हो सकती है, लेकिन इरादे पहाड़ की तरह थे.आज मलाला फंड के जरिए करोड़ों लड़कियों की भविष्य की नींव को तैयार करने क काम किया जा रहा है.

मलाला यूसुफजई की कहानी यह सीख देती है कि, बदलाव किसी सरकार के जरिए नहीं बल्कि एक जिद, हिम्मत और सही आवाज से शुरू होती है. 

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.

अंकुर अग्निहोत्री ज्योतिष और धार्मिक विषय के जानकर हैं, ये बीते एक साल से abplive.com से जुड़े हुए हैं और विभिन्न विषयों पर लेखन कार्य कर रहे हैं. इन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी भोपाल से पत्रकारिता की डिग्री प्राप्त की है. दिल्ली में जन्मे अंकुर अग्निहोत्री को अंक शास्त्र, वैदिक ज्योतिष, वास्तु शास्त्र, स्वप्न शास्त्र में विशेष रुचि रखते हैं. ये डिजीटल प्लेट फॉर्म पर ज्योतिष को लोकप्रिय और इसकी विश्वनीयता को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास कर रहे हैं, इनका मकसद नई पीढ़ी को ज्योतिष, धर्म और आध्यत्म की शक्ति से रूबरू कराना है. ज्योतिष व धर्म के साथ इनको साहित्य पढ़ने और फिल्में देखने का भी शौक है.

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Frequently Asked Questions

मलाला यूसुफजई को किस वर्ष नोबेल शांति पुरस्कार मिला?

मलाला यूसुफजई को साल 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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