Astrology: कुंडली में बनने वाला ये योग, दांपत्य जीवन में लाता है भयंकर परेशानी
Astrology: ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक़, हर व्यक्ति की कुंडली में ग्रह नक्षत्रों का योग कोई न कोई शुभ-अशुभ योग जरुर बनाता है. कुंडली में ऐसा योग भी बनता है जिसके प्रभाव से नपुंसकता आती है.
Astrology, Impotent Yog in Kundali: भारतीय दर्शन और वैदिक ज्योतिष में मानव जीवन के हर क्रियाकलाप के बारे में वर्णन किया गया है. इसमें स्त्री-पुरुष के संबंधों और उनके रिलेशनशिप को लेकर भी विस्तृत चर्चा की गई है. इस संबंध में इतना व्यापक चर्चा शायद ही कहीं मिलती हो.
वैदिक ज्योतिष में ग्रहों, नक्षत्रों और राशियों को भी स्त्री, पुरुष और नपुंसक के रूप में श्रेणीबद्ध किया गया है. इन्हीं ग्रहों की कुंडली में स्थिति के मुताबिक़ लोगों में संबंध बनाने की इच्छा निर्भर होती है. व्यक्ति की कुंडली में जब ग्रहों की स्थिति अशुभ या कमजोर होती है तो उनमें नपुंसकता आती है.
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, स्त्री-पुरुष के मध्य शारीरिक संबंधों के बारे में जानकारी करने के लिए व्यक्ति की कुंडली में सातवें और आठवें घर पर विचार किया जाता है. जिस व्यक्ति की कुंडली में यह दोनों घर सही नहीं होते उन लोगों में नपुंसकता की संभावना होती है. ऐसे व्यक्ति शारीरिक संबंधों में इंटरेस्ट नहीं लेते हैं.
इन लोगों का दांपत्य जीवन उतार-चढ़ाव भरा रहता है. आइए जानें कौन सी ऐसी स्थिति होती है जिससे लोगों में शारीरिक संबंधों के प्रति अरुचि होती है और नपुंसकता का भाव आता है.
कौन से ग्रह हैं स्त्री और कौन से हैं पुरुष
ज्योतिष शास्त्र के 9 ग्रहों में:-
- पुरुषत्व प्रधान ग्रह - सूर्य, मंगल, गुरु, राहु
- स्त्री प्रधान ग्रह - चंद्रमा, शुक्र
- नपुंसक ग्रह- बुध, शनि और केतु
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक ये 9 ग्रह ही लोगों में स्त्री पुरुष और नपुंसक गुणों को अपनी स्थिति के अनुसार प्रकट करते हें.
वहीं 12 राशियों में:
- पुरुष प्रधान 6 राशियां - मेष, मिथुन, सिंह, तुला, धनु, कुंभ
- स्त्री प्रधान राशियां - वृष, कर्क, कन्या, वृश्चिक, मकर और मीन
जब पुरुष राशि में स्त्री ग्रह और स्त्री राशि में पुरुष ग्रह आते हैं तो इनका प्रभाव भी लोगों पर अलग-अलग प्रकार से होता है.
कुंडली की यह स्थिति लाती है नपुंसकता का भाव
- जिस व्यक्ति की कुंडली में राहु या शनि दूसरे भाव में, बुध आठवें भाव में और चंद्रमा 12वें भाव में हो तो ऐसे लोगों में कामेच्छा की कमी या शारीरिक दुर्बलता या नपुंसकता का भाव आता है.
- कुंडली में जब कर्तरी योग बना हो अर्थात कुंडली में चंद्रमा के दोनों ओर पाप ग्रह बैठे हों तो लोगों में नपुंसकता आती है.
- कुंडली में कर्तरी योग बना हो और फिर कुंडली के 8वें स्थान पर शनि, केतु या बुध में से कोई भी नपुंसक ग्रह हो तो ऐसे व्यक्ति में नपुंसकता या कामेच्छा की कमी होती है.
- कुंडली में आठवें भाव में केवल बुध हो और उस पर किसी भी शुभ ग्रह (गुरु, शुक्र, चंद्रमा) की दृष्टि न हो तो ऐसे लोग शारीरिक संबंध बनाने में इंटरेस्ट नहीं लेते हैं.
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