Paddy Procurement: इस राज्य में दो जिले ऐसे, जहां के एक भी किसान ने सरकारी केंद्र पर धान नहीं बेचा, किसान भी हुए बेहाल
उत्तर प्रदेश, बिहार के बाद अब झारखंड में भी लचर धान खाद देखी जा रही है. यहां दो जिलों में केंद्रों पर कोई किसान धान बेचने ही नहीं पहुंचा है. राज्य में लक्ष्य के सापेक्ष धान खरीद बेहद सुस्त बनी हुई है.
Paddy Procurement In Jharkhand: देश के कई राज्यों में धान खरीद चल रही है. कुछ राज्यों में धान खरीद पूरी होने वाली है. उत्तर प्रदेश में धान खरीद बेहद सुस्त है. यूपी सरकार ने किसानों को इतनी रियायत दी है कि किसान जब भी धान लेकर मंडी पहुंचेंगे. उनका धान खरीदा जाएगा. बिहार में धान खरीद का बुरा हाल है. यहां लक्ष्य पूरा हो गया है, जबकि अधिकांश जिलों में किसान धान ही नहीं बेच पाए हैं. अब उन्हें औने पौने दामों पर धान बेचना पड़ रहा है. अब ऐसी ही तस्वीर एक और राज्य से सामने आई है. यहां भी किसान अपना धान नहीं बेच पा रहे हैं.
झारखंड में 2 जिलों में किसान सरकारी केंद्रों तक नहीं पहुंचे
राज्य सरकार के जो आंकड़े सामने आए हैं. उनके अनुसार, झारखंड के दो जिले के किसान धान बिक्री के मामले में संकट से जूझ रहे हैं. हालत यह है कि राज्य के साहेबगंज और दुमका जिलों में धान खरीद को एक महीना गुजर गया है. लेकिन एक भी किसान धान बेचने सरकारी केंद्रों पर नहीं पहुंचा है.
8 लाख मीट्रिक टन था धान खरीद का लक्ष्य
झारखंड में धान खरीद की एक महीना गुजर चुका है. लेकिन धान खरीद की प्रगति रिपोर्ट बहुत अच्छी नहीं है. इस साल धान खरीद का आंकड़ा 8 लाख मीट्रिक टन रखा गया है, लेकिन खरीद के आंकड़े इसके आसपास फटकते नहीं दिख रहे हैं. किसानों का कहना है कि पिछले साल भी राज्य में धान खरीद की स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी. इस बार हालात उतने ठीक नहीं हैं. बताया गया है कि दिसंबर 2022 में शुरू हुई धान खरीद इस साल अप्रैल तक चलेगी. लेकिन जो धान खरीद के हालात हैं. वो इस साल भी लक्ष्य पूरा करते नहीं दिख रहे हैं.
धान खरीद के इतने बुरे हाल क्यों हुए
झारखंड में पिछले साल सूखे ने बहुत परेशान किया. झारखंड के 22 से 24 जिलों के 226 प्रखंड गंभीर सूखे की चपेट में आ गए. सूखा अधिक पड़ने की वजह से धान की बुवाई नहीं हो सकी. बुवाई अधिक नहीं हुई तो धान खरीद के उत्पादन में भी गिरावट दर्ज की गई. अब किसानों के सामने संकट यह आया है कि कुछ किसान इसलिए धान नहीं बेच पाए, क्योंकि उनकी जरूरत के लिए धान रखना जरूरी था. कुछ किसान ऐसे भी रहें, जिन्हें तुरंत पैसे की जरूरत थी और सरकारी केंद्र नहीं दे पाते तो उन्होंने निजी केंद्रों पर बेच दिया.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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