Pashupalan: पहली बार देसी नस्ल की 4 गायों की हुई जीनोम सिक्वेंसिंग, पशुपालन सेक्टर को होंगे ये सभी फायदे
Indigenous Cow Farming: IISER, भोपाल ने देसी नस्ल की 4 गायों का ड्राफ्ट जीनोम सिक्वेंस तैयार किया है, जिससे गाय की प्रजनन में सुधार, बेहतर प्रबंधन, पशु पालन उद्योग की क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी.
Cow Genome Sequencing: भारत में देसी गाय पालन का चलन बढ़ता जा रहा है. प्राकृतिक खेती से लेकर दूध उत्पादन तक देसी गाय को काफी प्रमोट किया जा रहा है. अब देसी गायों के जरिए पशुपालन सेक्टर की क्षमता बढ़ाने, बेहतर प्रबंधन और गायों की प्रजनन क्षमता में सुधार के लिए भारतीय विज्ञान शिज्ञा और अनुसंधान संस्थान (IISER) के वैज्ञानिकों ने ड्राफ्ट जीनोम सिक्वेंस तैयार किया है. देसी गाय पर पहली बार आजमाई गई जीनोम सिक्वेंसिंग की प्रोसेस में कासरगोड ड्वार्फ, कोसरगोड कपिला, वेचूर और ओगोंल की आनुवांशिक संरचना को सपलतापूर्वक प्रस्तुत किया है. इस रिसर्च में शामिल जीव विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. विनीत के शर्मा ने बताया कि देश में पहली बार देसी गायों का जीनोम अनुक्रम किया गया है, जिसका रिजल्ट काफी अच्छा रहा है. इससे पशुपालन सेक्टर का विस्तार और दूध उत्पादन बढ़ाने में भी खास मदद मिलेगी.
बढ़ेगा देसी गायों का साम्राज्य
आईआईएसईआर के वैज्ञानिकों ने देसी गायों में कासरगोड ड्वार्फ, कासरगोड कपिला, वेचूर और ओंगोल की आनुवांशिक संरचना का अध्ययन किया है, जिसके रिजल्ट से अब देसी गांव की प्रजनन क्षमता में सुधार, दूध उत्पादन में सुधार और बीमारियों की पहचान करने में खास मदद मिलेगी.
इस रिसर्च से जुड़े डॉ विनीत के. शर्मा बताते हैं कि देसी गायों पर इस तरह की जीनोम सिक्वेंसिंग से यह पता लगाने की कोशिश की गई कि ये गाय भारतीय वातारण में किस प्रकार अनुकूलित हुई हैं या वातावरण में ये गाय अपने आप को कैसे ढाल लेती हैं. इससे देसी नस्ल की गायों की संख्या और दूध उत्पादन को बढ़ाने में खास मदद मिलेगी.
क्या होती है जिनोम सीक्वेंसिंग
जानकारी के बता दें कि किसी भी जीव-पौधे या जानवर की संरचना व संचालन के निर्देशों के ग्रुप का ब्लूप्रिंट ही जीनोम कहलाता है, जिसमें जीव के बढ़ने, विकसित होने और सुचारू क्रियान्वयन के लिए आवश्यक जानकारियां मौजूद होती हैं.
आईआईएसईसीआर, भोपाल में हुई रिसर्च का उद्देश्य भी यही पता लगाना है कि यहां के वातावरण में भारतीय मूल की गाय किस तरह से खुद को ढ़ाल लेती हैं. यह दुनिया की पहली जीनोम सिक्वेंसिंग है, इसलिए इसे बायोआरएक्सआरवी में भी पब्लिश किया जा चुका है.
सबसे छोटी नस्ल है वेचूर गाय
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो जीनोम सिक्वेंसिंग के लिए शासकीय पशु चिकित्सालय और केरल की कपिला गौशाला के सैंपल शामिल किए गए हैं. इस रिसर्च से पता चला कि वेचूर ही दुनिया की सबसे छोटी नस्ल वाली गाय है. इस गाय की ऊंचाई से 28 फीट तक होती है, जबकि इस गाय के दूध में सबसे ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है.
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. किसान भाई, किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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