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पॉलीहाउस में सब्जी उगाकर मालामाल होंगे किसान, सरकार उठाएगी 65% तक का खर्च

पॉलीहाउस में किसान ऑफ सीजन सब्जियां आसानी से उगा सकते हैं. आधुनिक खेती के जरिये अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

भारत सरकार कृषि के विकास-विस्तार को बढ़ावा देने के लिये किसानों तक नई तकनीकें पहुंचा रही हैं. इन्हीं तकनीकों में शामिल है संरक्षित खेती की तकनीक. इस तकनीक के जरिये किसान बेमौसमी फसलों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. संरक्षित खेती की तकनीक के अंतर्गत विभिन्न सब्जियों, फलों और फूलों की खेती एक संरक्षित ढांचे में की जा सकती है. संरक्षित खेती के अंतर्गत पॉली हाउस और ग्रीन हाउस में खेती के विकल्प दिये जाते हैं.

पॉलीहाउस में खेती करने से किसानों को कई फायदे  मिलते हैं. इस तकनीक के जरिये एक प्लास्टिक के ढांचे में किसान ऑफ सीजन सब्जियां आसानी से उगा सकते हैं. खासकर, जिन किसानों के पास कृषि योग्य भूमि की कमी हो, वे पॉलीहाउस में सब्जियों की आधुनिक खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इससे खाली पड़ी भूमि का इस्तेमाल तो होगा ही, साथ ही अच्छी आमदनी के चलते शहरों की तरफ बढ़ता किसानों का पलायन भी रुक सकता है.

क्या है पॉलीहाउस

जानकारी के लिये बता दें कि पॉलीहाउस लोहे और प्लास्टिक की परतों से बना एक चारदिवारी ढांचा है, जो फसलों को कीड़ों, बीमारियों, मौसम की मार से बचाता है. एक बार लोहे से बना पॉलीहाउस की संरचना को करीब 8-10 वर्षों तक चलाया सकता है. लेकिन समय के साथ प्लास्टिक की परत खराब हो जाती है, जिसके चलते इसे साल दो साल में बदलना पड़ सकता है. हालांकि, इसके खर्च की लागत मिलने वाली आमदनी से वसूल हो जाती है.

कैसे करें इस्तेमाल

पॉलीहाउस खेती की एक बहुत ही कारगर और आसान तकनीक है. जिसे लगाने के लिये कृषि विभाग के विशेषज्ञ और अधिकारी खुद किसानों की मदद करते हैं. जानकारी के लिये बता दें कि पॉलीहाउस को जमीन से थोड़ी ऊंचाई पर उठाकर बनाया जाता है, जिससे कि सुरक्षित ढांचे में पानी का भराव न हो और कीट-रोगों का प्रकोप न पड़े. कृषि विशेषज्ञों की मानें तो सुबह के समय कुछ देर के लिये पॉलीहाउस के पर्दे खोल देने चाहिये, इससे फसल को प्रकृति का स्पर्श मिलता है.  

बाजार से नजदीकी इलाकों और यातायात की उपलब्धता वाले स्थान पर में पॉलीहाउस का ढांचा लगाया जाना चाहिये. ध्यान रखें कि पॉलीहाउस में उन्हीं सब्जियों, फलों और फूलों की फसल लगायें, जिसकी नजदीकी बाजार में मांग हो. इससे अच्छा मुनाफा लेने में काफी मदद मिलती है.

क्या हैं फायदे

कम जमीन से ज्यादा मुनाफा लेने के लिये पॉलीहाउस तकनीक का इस्तेमाल बेहद कारगर साबित होता है. इसका सबसे बड़ा फायदा यही है कि इस ढांचे में किसान देसी-विदेशी और मौसमी-बेमौसमी फसलों की खेती बेहद कम लागत में कर सकते हैं.

पॉलीहाउस में खेती करने के लिये टपक सिंचाई पद्धति का प्रयोग किया जाता है, जिससे पानी की काफी हद तक बचत होती है.

पॉलीहाउस का ढांचा एक बंद संरचना होती है, जिसमें कीड़ों की प्रवेश की संभावना कम रहती है,इससे कीटनाशकों के इस्तेमाल में भी बचत होती है

संरक्षित खेती का सबसे बड़ा फायदा सही है कि इसमें बीमारियों की संभावना बेहद कम रहती है.

पॉलीहाउस में खेती करने से बेमौसम बारिश, ओले, सूखा, गर्मी, तेज हवा और तूफान का खास असर नहीं होता और फसल सुरक्षित रहती है.

पॉलीहाउस में खेती करने से मानव श्रम और आर्थिक संसाधनों की खास बचत होती है.

इस तकनीक में फसलों को उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती, सिर्फ गोबर की खाद या केंचुआ खाद के इस्तेमाल से अच्छी उपज ले सकते हैं.

कितना खर्च आयेगा

आधुनिक खेती की तकनीक पॉलीहाउस में खेती को बढ़ावा देने के लिये खुद केंद्र सरकार और राज्य सरकारों ने सब्सिडी का प्रावधान रखा है. बात करें केंद्र सरकार की पॉलीहाउस में खेती के लिये भारत की सरकार 65 फीसदी आर्थिक अनुदान यानी 65% तक खर्चा उठाने के लिये तैयार है. वहीं राज्य सरकारें भी अपने हिसाब से किसानों के इस खर्च में अपना योगदान दे रही हैं.

कैसे करें संपर्क

पॉलीहाउस में खेती को बढ़ावा देने के लिये भारत सरकार ने राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना लागू की है. जिसके तहत संरक्षित ढांचे में खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. इतना ही नहीं, इस योजना के तहत सरकार की ओर से प्रशिक्षण का भी प्रावधान रखा गया है, जो कि किसानों के लिये  आवश्यक है. इच्छुक किसान चाहें तो अपने नजदीकी कृषि विज्ञान केंद्र, कृषि अधिकारी या किसी भी मान्यता प्राप्त कृषि विश्वविद्यालय में संपर्क कर सकते हैं.

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