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मुद्दे की बात: विपक्ष पर अमित शाह का जुबानी हमला
लोकतंत्र में सवाल अगर किसी व्यवस्था का है...तो उस पर असहमति भी हो सकती है...लेकिन असहमति अगर अव्यवस्था बन जाए...तो हालात से निपटने की चुनौती बड़ी हो जाती है...ऐसे में तर्क के साथ सख्ती भी दिखानी पड़ती है...यही वजह है कि गृह मंत्री अमित शाह ने जब देश के सबसे बड़े सूबे की राजधानी से ये कहा कि कितना भी विरोध हो जाए...सीएए वापस नहीं होगा...तो समझना मुश्किल नहीं कि इस पर हो रहे विरोध न केवल बेमानी रह गए...बल्कि सियासी गणित बिठाने से ज्यादा कुछ नहीं...
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