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Bihar Voter List Verification पर SC ने ECI से पूछा सवाल, Aadhaar को पहचान क्यों नहीं? | Sandeep Chaudhary
बिहार में वोटर लिस्ट की स्पेशल इंटेंसिव रिविजन (SIR) और पहचान के सवाल पर राजनीतिक घमासान जारी है. सुप्रीम कोर्ट में 11 याचिकाएं दाखिल की गईं, जिसमें कोर्ट ने वोटर लिस्ट की समीक्षा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने चुनाव आयोग से उसकी शक्ति, तरीके और समय को लेकर सवाल पूछे हैं. चुनाव आयोग ने वोटर आईडी कार्ड को दस्तावेज मानने से इनकार कर दिया है, जबकि पिछले साल 2024 के लोकसभा चुनाव में लगभग 8 करोड़ लोगों ने इसी के आधार पर वोट डाला था. आधार को नागरिकता का प्रमाण न मानने पर भी सवाल उठे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को सुझाव दिया है कि आधार, मतदाता पहचान पत्र और राशन कार्ड को पहचान के दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाए. कोर्ट ने यह भी पूछा कि नागरिकता तय करने का काम गृह मंत्रालय का है, चुनाव आयोग इसमें क्यों हस्तक्षेप कर रहा है. 26 जुलाई तक ड्राफ्ट वोटर रोल तैयार होगा और मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी. विपक्ष आरोप लगा रहा है कि यह कवायद पिछले दरवाजे से नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजंस (NRC) को थोपने की कोशिश है. आम आदमी पर अपनी पहचान स्थापित करने की जिम्मेदारी आ गई है, जबकि पहले चुनाव आयोग घर-घर जाकर सेल्फ डिक्लेरेशन के आधार पर काम करता था. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा है कि जब आधार कार्ड एक महत्वपूर्ण पहचान पत्र है, तो उसे मतदाता सूची के पुनरीक्षण में क्यों नहीं माना जा रहा है. विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया के समय पर भी सवाल उठाए हैं, क्योंकि यह बिहार में आगामी चुनावों से कुछ महीने पहले शुरू की गई है. उनका आरोप है कि यह फर्जी मतदाताओं को हटाने के नाम पर वास्तविक मतदाताओं को सूची से बाहर करने का प्रयास है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने अवलोकन में कहा है कि आधार कार्ड, राशन कार्ड और वोटर आईडी कार्ड को इसमें शामिल किया जाए.
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