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किसान आंदोलन की आवाज बना Trolley Times, 'जुड़ेंगे,लड़ेंगे, जीतेंगे' हेडलाइन के साथ शुरू हुआ पहला एडिशन
किसान आंदोलन के चलते सिंघू बॉर्डर पर हज़ारों की संख्या में ट्रैक्टर ट्रॉली की कतारें कई किलोमीटर दूर तक लगी हुई हैं. कुछ ऐसी ही तस्वीर टीकरी बॉर्डर पर भी है. किसान आंदोलन के मंच से किसान नेताओ की कही बात हर ट्रैक्टर ट्रॉली तक पहुंचाने के लिये अब आंदोलन के अपने अखबार का इस्तेमाल किया जायेगा. चूंकि एक- एक ट्रॉली तक खबर पहुंचाने का ज़रिया ये अखबार होगा और इसे शुरू करने की योजना भी एक ट्रॉली में ही बनाई गई थी, इसलिये इस अखबार का नाम रखा गया है 'ट्रॉली टाइम्स'. शुक्रवार को अखबार का पहला एडिशन प्रकाशित किया गया. फिलहाल इसे सप्ताह में दो बार निकालने की योजना है. अखबार के पहले एडिशन की लीड स्टोरी का शीर्षक है 'जुड़ेंगे, लड़ेंगे, जीतेंगे'. 4 पन्नों के इस अखबार में पंजाबी और हिंदी दोंनो भाषाओं के लेखों को छापा गया है. कविता और कार्टून से लेकर आंदोलन की अलग-अलग तस्वीरों को अख़बार में जगह दी गई है.
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