सरकारी नौकरियों में कैसे होता है प्रमोशन? जानें क्या हैं नियम
सरकारी नौकरियों में प्रमोशन के लिए नियम प्राइवेट नौकरियां से थोड़े अलग होते हैं. अलग विभागों की अलग नौकरियों में इसके लिए अलग नियम बनाए गए हैं. चलिए जानते हैं कैसे होता है सरकारी नौकरी में प्रमोशन.
आजकल प्राइवेट नौकरियों के बजाय लोगों को आकर्षक सरकारी नौकरियों की तरफ बढ़ा है. इसका सबसे बड़ा कारण है जॉब सिक्योरिटी. प्राइवेट नौकरियों में जॉब सिक्योरिटी नहीं होती. लेकिन सरकारी नौकरी में उम्र भर की जॉब सिक्योरिटी होती है. हर नौकरी की तरह सरकारी नौकरियों में भी प्रमोशन के लिए मापदंड बनाए जाते हैं. सरकारी नौकरियों में प्रमोशन के लिए नियम कानून प्राइवेट नौकरियां से थोड़े अलग होते हैं. अलग-अलग विभागों की अलग-अलग नौकरियों में इसके लिए अलग नियम कायदे बनाए गए हैं. चलिए जानते हैं कैसे होता है सरकारी नौकरी में प्रमोशन.
कैसे होता है सरकारी नौकरियों में प्रमोशन
प्राइवेट नौकरी की तरह सरकारी नौकरी में प्रमोशन सालाना सैलरी बढ़ाने के आधार पर नहीं होता. यह आपके बिहेवियर और वर्किंग एबिलिटी आपने किस तरह से कोई काम पूरा किया है. इस पर निर्भर करता है. हर सरकारी कर्मचारी को सालाना अपने काम की एग्जीक्यूशन रिपोर्ट बनानी होती है जिस APAR कहा जाता है. जिसमें एंप्लॉई के काम, उसकी ड्यूटी उसके टारगेट, अचीवमेंट और अगर कोई काम में कुछ रुकावट आई है.
तो उसे उसके बारे में लिखना होता है. कर्मचारी को रिपोर्ट अपने रिपोर्टिंग ऑफिसर को सौंपनी होती है. जिसमें वह 10 अंक के आधार पर उसका आंकलन करता है. सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के अनुसार प्रमोशन के लिए 10 में से कम से कम 6 नंबर वालों को हुई तवज्जो दिए जाने का प्रावधान है.
रुक सकता है तीन साल के लिए प्रमोशन
जूनियर लेवल के अधिकारियों की प्रमोशन के लिए कम से कम 4 अंक लेने जरूरी होते हैं. समान्य तौर पर आधिकारी इतने नंबर ले लेते हैं. रिपोर्टिंग अधिकारी अक्सर जूनियर लेवल के अधिकारियों की रिपोर्ट को बिना टीका टिप्पणी किया फाइल कर लेते हैं. लेकिन अगर सरकारी कर्मचारी की एनुअल रिपोर्ट में रिपोर्टिंग अधिकारी ने नेगेटिव रिमार्क्स दे दिए. तो फिर ऐसे मौके पर उस कर्मचारी का प्रमोशन 3 साल के लिए रुक सकता है.
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