गुजरात में ब्रिज टूटने से नौ लोगों की हुई मौत, क्या किसी के खिलाफ केस दर्ज कर सकता है पीड़ितों का परिवार?
Gujarat Pull Collapsed: गुजरात में बारिश की वजह से गिरा पुल जिसमें 10 लोगों की जा चुकी है जान. क्या पीड़ितों का परिवार हादसे के लिए किसी के खिलाफ दर्ज करवा सकता है केस? जानें जवाब.

आज सुबह गुजरात में एक बड़ा हादसा हुआ. आनंद और वडोदरा जिलों को जोड़ने वाला गंभीरा पुल भारी बारिश की वजह से ढह गया. यह दुर्घटना बुधवार सुबह करीब 8 बजे हुई. जब पुल से कई वाहन गुजर रहे थे. पुल के टूटते ही चार से ज्यादा वाहन सीधे नदी में गिर गए. अब तक इस हादसे में 10 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है. जबकि कई अन्य लापता हैं.
ऐसे में पीड़ित परिवारों के मन में सवाल उठता है कि क्या इस तरह की दुर्घटना को सिर्फ प्राकृतिक आपदा मानकर छोड़ दिया जाए. या फिर किसी की लापरवाही की जांच होनी चाहिए? और सबसे अहम बात क्या पीड़ित परिवार किसी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं? चलिए आपको बताते हैं इसका जवाब.
क्या पीड़ितों का परिवार किसी के खिलाफ केस कर सकता है?
गुजरात में हुए इस पुल हादसे में जान गंवाने वाले पीड़ितों का परिवार बिल्कुल इस मामले में अगर चाहे तो केस दर्ज करवा सकता है. लेकिन उसके लिए कुछ कानूनी पहलुओं को समझना जरूरी है.अगर जांच में यह साबित होता है कि पुल की हालत खराब थी और समय रहते मरम्मत नहीं की गई. तो संबंधित सरकारी विभाग या कॉन्ट्रैक्टर पर लापरवाही का मामला बन सकता है.
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भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 के तहत गैर-इरादतन हत्या का केस भी दर्ज किया जा सकता है. इसके अलावा पीड़ित परिवार मुआवज़े की मांग को लेकर सिविल केस भी दाखिल कर सकते हैं. हादसा भले ही बारिश के चलते हुआ हो या फिर किसी तकनीकी खामी के चलते. अगर इसमें किसी इंसान की लापरवाही क्या किसी तरह की कोई कमी नजर आती है. तो जरूर केस दर्ज करवाया जा सकता है.
कितनी हो सकती है सजा?
अगर जांच में लापरवाही की बात सामने आती है. और भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 के तहत गैर-इरादतन हत्या का आरोप साबित हो जाता है. तो ऐसे में तीन से पांच साल तक की सजा हो सकती है. कुछ मामलों में यह सजा बढ़कर दस साल तक भी हो सकती है. खासकर अगर लापरवाही बेहद गंभीर हो. इसके अलावा आरोपी पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है.
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लापरवाही किस स्तर की थी अदालत इस हिसाब से सजा की अवधि तय करती है. यानी इस हादसे में कितने लोगों की जान गई, कितने लोगों को नुकसान हुआ. इसके अलावा आपको बता दें अगर इसमें कोई सरकारी एजेंसी और ठेकेदार शामिल होता है. तो उनके खिलाफ अपराधिक केस के साथ-साथ विभागीय कार्रवाई भी हो सकती है. ठेकेदार का लाइसेंस भी रद्द हो सकता है.
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