अरे मैं ही कलेक्टर हूं... जब जनसुनवाई में बड़े साहब को पहचान न पाया बुजुर्ग, वीडियो ने जीता दिल
दतिया के कलेक्टर स्वप्निल वानखेड़े की जनसुनवाई के दौरान एक दिलचस्प और मानवीय दृश्य देखने को मिला.

सोशल मीडिया पर कई तरह की वीडियो हमेशा वायरल होते रहते है, जो कभी हमें हंसाते हैं और कुछ हमें गुस्सा भी दिलाती हैं. ऐसा ही एक वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बहुत तेजी से वायरल हो रहा है, जिसे देखकर आपको हंसी भी आएगी और उस व्यक्ति की नादानी देखकर आपको थोड़ा तरस भी आएगा. वीडियो में दिख रहा है कि दतिया के कलेक्टर साहब की जनसुनवाई के दौरान एक ऐसा दिलचस्प और मानवीय दृश्य देखने को मिला जिसने पूरे माहौल को हल्का-फुल्का बना दिया.
कलेक्टर स्वप्निल वानखेड़े जनता की समस्याएं सुन रहे थे, तभी पेंशन की समस्या लेकर एक बुजुर्ग व्यक्ति वहा पहुंचे. वीडियो में दिख रहा है कि वह बुजुर्ग व्यक्ति कलेक्टर स्वप्निल वानखेड़े के सामने खड़े होकर बार-बार कहता है कि आवेदन वह “साहब” को ही देंगे. हालांकि उस व्यक्ति को जरा भी अंदाजा नहीं था कि सामने बैठा व्यक्ति ही कलेक्टर है. वह अपनी बात को बार-बार दोहराते हैं कि वह साहब को ही अपनी समस्या और आवेदन साहब को ही देंगे. कई बार समझाने और कर्मचारियों के भरोसा दिलाने के बाद आखिरकार उन्होंने मान लिया कि यही कलेक्टर स्वप्निल वानखेड़े हैं. तब जाकर बुजुर्ग व्यक्ति ने अपना आवेदन सौंपा. यह छोटा-सा वीडियो उस बुजुर्ग व्यक्ति की सरलता और नादानी को बखूबी दर्शाता है.
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वीडियो ने सोशल मीडिया पर जीता लोगों का दिल
इस वायरल वीडियो ने पूरे सोशल मीडिया का ध्यान अपनी तरफ खींचा और लोगों ने इस वीडियो को सराहा और कलेक्टर स्वप्निल वानखेड़े के नरम मिजाज की भी तारीफ की. इस वायरल वीडियो को इंस्टाग्राम पर अब तक 2 लाख 30 हजार से ज्यादा लाइक्स मिल चुके हैं और लाखों की संख्या में इस वीडियो को देखा जा चुका है.
लोगों के कमेंट्स में क्यों झलक रही है कलेक्टर की सादगी की तारीफ
सोशल मीडिया पर आए इन कमेंट्स से साफ दिखता है कि दतिया कलेक्टर स्वप्निल वानखेड़े का सरल और विनम्र स्वभाव लोगों को कितना प्रभावित करता है. बुजुर्ग व्यक्ति को इसलिए यकीन नहीं हुआ कि वह कलेक्टर हैं क्योंकि इतने बड़े अधिकारी का इतना सीधा-सादा व्यवहार लोगों को हैरान कर गया. कमेंट्स में लोगों ने उनकी सादगी, नेकदिल स्वभाव, ईमानदारी और जनता से जमीन से जुड़े तरीके की खुलकर तारीफ की है. कई यूजर्स ने लिखा कि आजकल तो छोटे कर्मचारी भी अकड़ में रहते हैं इसलिए इतना नम्र अधिकारी देखकर बुजुर्ग भी भ्रमित हो गए होंगे. कुल मिलाकर लोग मानते हैं कि अगर हर अधिकारी ऐसा हो जाए तो व्यवस्था और भी बेहतर हो जाएगी.
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Source: IOCL






















