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Uttarkashi Tunnel Collapse: 6 दिनों से टनल में कैसे रह रहे मजदूर? जल्द नहीं निकालने पर बढ़ेगा खतरा, शुरू हो जाएगी ये परेशानी

Uttarakhand Tunnel Accident: पिछले 6 दिनों से उत्तरकाशी की टनल में फंसे मजदूर अपनी जिंदगी के लिए जंग लड़ रहे हैं. उनको बचाने के लिए प्रशासन भी दिन रात एक किए हुए है.

Uttarkashi Tunnel Collapse: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में पिछले 6 दिनों से टनल में 40 मजदूर फंसे हुए हैं. रविवार को दिवाली के दिन ये हादसा हुआ था. तब से उनकी हालत कैसी होगी ये सोचने वाली बात है. राज्य सरकार के साथ साथ केंद्र सरकार भी इस मुश्किल मिशन को पूरा करने में पूरा सहयोग दे रही है. फिलहाल 24 मीटर तक ड्रिल कर दिया गया है, लेकिन फिर से कुछ मुश्किल आने लगी हैं. टनल में लगे सरिये खुदाई करने में परेशानी खड़ा कर रहे हैं. 

शुक्रवार को प्रशासन के द्वारा बड़ी मॉकड्रिल भी कराई गई है जिससे हर परिस्थिति में अभियान चलाया जा सके. टनल में हैवी ड्रिलिंग मशीन से ड्रिलिंग की कार्यवाही युद्धस्तर पर चल रही है. मौके पर तैनात पुलिस व आपदामोचन बल पुरी तरीके से अलर्ट है. पुलिस, NDRF, SDRF, ITBP, मेडिकल टीमों व अन्य आपदामोचन बलों द्वारा श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकालने व जरुरत पड़ने पर अन्य आपातालीन कवायदों का मॉक अभ्यास करवाया जा रहा है. 

फिलहाल सभी श्रमिक सुरक्षित

अधिकारी ने बताया कि अन्दर फंसे सभी श्रमिक सुरक्षित हैं, श्रमिकों को समय-समय पर रसद, पानी व ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है, साथ ही उनका मनोबल बनाये रखने के लिये परिजनों से लगातार बातचीत करवाई जा रही है. साइट पर पुलिस, NDRF, SDRF, ITBP व अन्य आपदामोचन बलों की टुकडियां 24 घंडे मुस्तैद हैं. किसी भी आपात स्थिति में त्वरित रेस्क्यू सेवाएं दी जायेंगी. प्रथमिक उपचार के लिए साइट के बाहर ही मेडिकल सहायता केन्द्र बनाये गये हैं. 


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चार और पाइप लाइन डाली जानी बाकी

मजदूरों को सुरंग से बाहर निकलने के लिए अब तक 6 पाइप लाइन डाली जा चुकी हैं और चार और डाली जानी हैं. लगभग 10 पाइप लाइनों के सहारे इन मजदूरों को बाहर निकालने की कवायद की जा रही है. एक पाइप की लंबाई लगभग 6 मीटर की है जब की चौड़ाई 3 फीट है. जिस मलबे को हटाना है उसकी लंबाई 70 फीट तक बताई जा रही है. अब तक कुल 24 मीटर तक ही खुदाई हो पाई है. 

कब बढ़ने लगेगी परेशानी?

अगर जल्द रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा नहीं होता है तो इन मजदूरों को अब परेशानी होनी शुरू हो जाएगी. जैसे लगातार ऑक्सीजन की कमी से बेहोश होना, खाने की कमी से हालत बिगड़ना, लाइट और ठंड की वजह से हाइपोथर्मिया, इस प्रकार के लक्षण शुरू हो जाएंगे. 6 दिन से चल रहे इस रेस्क्यू ऑपरेशन में अभी तक प्रशासन को सफलता नहीं मिल पाई है. 


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खत्म हो रहा जनरेटर का तेल

धीरे-धीरे जैसे वक्त निकलता जा रहा है वैसे-वैसे मजदूरों के लिए मुश्किलें बड़ी होती जा रही हैं. सूत्रों की मानें तो इन मजदूरों के पास अंदर एक जनरेटर था जिसकी मदद से यह लोग अंदर लाइट की रोशनी में रह रहे थे, लेकिन धीरे-धीरे उसका ईंधन भी खत्म होता जा रहा है. लाइट बंद हो जाने से खतरे और भी बढ़ सकता है.  


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हाई लेवल मीटिंग हुई

इस सबको लेकर आज शासन में एक बड़ी हाई लेवल की मीटिंग हुई है. जिसमें एसीएस राधा रतूड़ी ने बताया कि राज्य सरकार के साथ साथ केंद्र सरकार भी इस सब में लगातार लगी हुई है. हमने कुछ एक्सपर्ट मौके पर भेजे हैं. जो रेस्क्यू ऑपरेशन में मदद कर रहे हैं .कोशिश की जा रही है कि इनको आज शाम तक या देर रात तक निकाल लिया जाए. मशीन लगातार काम कर रही है, हर घंटे 3 से 5 मीटर तक खुदाई हो रही है. 

मजदूरों के परिजन नाखुश

वहीं बाहर मौजूद अन्य मजदूर और अंदर फंसे लोगों के परिजन खुश नहीं हैं. उनका कहना है कि मौके पर अधिकारी आ रहे हैं, जा रहे हैं, लेकिन रेस्क्यू ऑपरेशन कंप्लीट नहीं हो पा रहा है. लगातार मजदूरों के परिजनों के दिल की धड़कनें बढ़ती जा रही हैं. उनका कहना है कि 6 दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक हमारे लोगों को बाहर नहीं निकल गया है. एक दो बार मजदूरों की स्थानीय अधिकारियों से झड़प भी हुई है. 

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