उत्तराखंड में UCC के 'लिव-इन रिलेशनशिप' प्रावधान पर विवाद, हाईकोर्ट में दी गई चुनौती, आज होगी सुनवाई
Uttarakhand News: उत्तराखंड में 27 जनवरी 2025 से लागू हुई समान नागरिक संहिता को लेकर भीमताल निवासी ने ने हाइकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. इस याचिका पर न्यायाधीश 12 फरवरी को सुनवाई करेंगे.

UCC in Uttarakhand: उत्तराखंड में 27 जनवरी 2025 से लागू हुई समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को लेकर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब इस कानून के 'लिव-इन रिलेशनशिप' के प्रावधान को नैनीताल हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. याचिकाकर्ता ने इसे व्यक्तिगत स्वतंत्रता के खिलाफ और असंवैधानिक बताया है. इस मामले की सुनवाई 12 फरवरी 2025 को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ में हो सकती है.
इससे पहले, मुस्लिम सेवा संगठन समेत कई अल्पसंख्यक संगठनों ने यूसीसी के विभिन्न प्रावधानों पर विरोध दर्ज कराया था. अब हाईकोर्ट में इस मामले पर सुनवाई होने जा रही है, जिससे उत्तराखंड में लागू यूसीसी की वैधता को लेकर कानूनी बहस तेज हो गई है.
भीमताल निवासी ने UCC के विभिन्न प्रावधानों को कोर्ट में दी चुनौती
भीमताल निवासी और पूर्व छात्र नेता सुरेश सिंह नेगी ने समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के विभिन्न प्रावधानों को जनहित याचिका (PIL) के रूप में हाईकोर्ट में चुनौती दी है. यूसीसी के तहत लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाले जोड़ों के लिए अनिवार्य रजिस्ट्रेशन का प्रावधान किया गया है. यदि कोई जोड़ा बिना रजिस्ट्रेशन के लिव-इन रिलेशनशिप में रहता है, तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई हो सकती है.
- कानूनी सजा का प्रावधान: बिना रजिस्ट्रेशन लिव-इन रिलेशनशिप में रहने पर 6 माह की जेल या 25,000 रुपये का जुर्माना या फिर दोनों हो सकते हैं.
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हनन: याचिकाकर्ता का कहना है कि यह कानून व्यक्तिगत स्वतंत्रता और निजता (Right to Privacy) के खिलाफ है.
- अल्पसंख्यकों के वैवाहिक नियमों की अनदेखी: याचिका में मुस्लिम, पारसी और अन्य समुदायों की अलग-अलग वैवाहिक परंपराओं की अनदेखी करने का भी आरोप लगाया गया है.
याचिका की सुनवाई नैनीताल हाईकोर्ट की मुख्य न्यायाधीश नरेंद्र और न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की खंडपीठ में 12 फरवरी को सूचीबद्ध की गई है. इस पर कोर्ट क्या सुनवाई करता है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा. उत्तराखंड सरकार द्वारा लागू की गई समान नागरिक संहिता में लिव-इन रिलेशनशिप को लेकर नए नियम बनाए गए हैं.
1. अनिवार्य रजिस्ट्रेशन
- हर लिव-इन कपल को यूसीसी लागू होने की तिथि से 1 महीने के भीतर रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य होगा.
- नए लिव-इन रिलेशनशिप में आने वाले जोड़ों को रिलेशनशिप शुरू होने के 1 महीने के भीतर पंजीकरण कराना होगा.
2. ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में रजिस्ट्रेशन
- लिव-इन रिलेशनशिप का रजिस्ट्रेशन डिजिटल पोर्टल और ऑफलाइन माध्यम दोनों से किया जा सकता है.
3. जनजातीय समुदाय को छूट
- यदि लिव-इन में रहने वाले दो में से कोई एक व्यक्ति जनजातीय समुदाय से है, तो उसे इस कानून से बाहर रखा गया है.
4. रजिस्ट्रेशन न कराने पर सजा
- बिना रजिस्ट्रेशन लिव-इन में रहने पर 6 महीने की जेल, 25,000 रुपये का जुर्माना, या दोनों सजा का प्रावधान है.
भीमताल निवासी सुरेश सिंह नेगी की जनहित याचिका के अलावा, देहरादून निवासी एलमसुद्दीन सिद्दीकी ने भी नैनीताल हाईकोर्ट में यूसीसी के कई अन्य प्रावधानों को चुनौती दी है. अल्पसंख्यकों के रीति-रिवाजों की अनदेखी की गई है. मुस्लिम समुदाय की शादी, तलाक और उत्तराधिकार के पारंपरिक नियमों को हटाकर समान नागरिक संहिता लागू कर दी गई है. पारसी समुदाय के विवाह संबंधी नियमों को यूसीसी में शामिल नहीं किया गया है.
मुस्लिम सेवा संगठन भी यूसीसी का सड़क से लेकर कोर्ट तक विरोध कर चुका है. उन्होंने कहा था कि यह कानून अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकारों पर हमला है.
1. उत्तराखंड पहला राज्य
- उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है, जहां यूसीसी पूरी तरह लागू कर दिया गया है.
2. एक समान कानून
- अब सभी नागरिकों पर एक समान विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और लिव-इन रिलेशनशिप के नियम लागू होंगे.
3. लिव-इन रिलेशनशिप को कानूनी दायरे में लाना
- अनिवार्य रजिस्ट्रेशन के माध्यम से लिव-इन रिलेशनशिप में पारदर्शिता लाने की कोशिश की गई है.
4. अवैध विवाहों पर रोक
- बहुविवाह, नाबालिग विवाह और अवैध संबंधों पर सख्ती की गई है.
12 फरवरी को हाईकोर्ट में यूसीसी पर क्या होगा?
12 फरवरी 2025 को हाईकोर्ट में सुनवाई के बाद तय होगा कि यूसीसी के 'लिव-इन रिलेशनशिप' प्रावधानों को वैध माना जाएगा या नहीं. अगर कोर्ट याचिका स्वीकार करता है, तो सरकार को इस कानून में बदलाव करने पड़ सकते हैं. अगर याचिका खारिज होती है, तो उत्तराखंड में यूसीसी के तहत बने सभी नियम लागू रहेंगे.
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता को लागू करने के बाद 'लिव-इन रिलेशनशिप' के प्रावधानों पर विवाद खड़ा हो गया है. अनिवार्य रजिस्ट्रेशन और बिना रजिस्ट्रेशन सजा के प्रावधान को लेकर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. यह मामला अब कानूनी लड़ाई का रूप ले चुका है और इस पर 12 फरवरी को नैनीताल हाईकोर्ट में सुनवाई होने जा रही है. यदि कोर्ट इस कानून में संशोधन की बात कहता है, तो उत्तराखंड सरकार को इसमें बदलाव करना पड़ सकता है.
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Source: IOCL





















