विश्व हर्बल इनसाइक्लोपीडिया: दुनिया की सबसे बड़ी औषधीय परंपराओं की हर्बल इनसाइक्लोपीडिया तैयार
World Herbal Encyclopedia: आचार्य बालकृष्ण ने वर्ल्ड हर्बल विश्वकोष को तैयार किया है. यह सीरीज 111 खंडों में है और इसे औषधीय पौधों व चिकित्सा परंपराओं का वैश्विक अभिलेखागार माना जा रहा है.

आचार्य बालकृष्ण ने हाल ही में ऐसा काम किया है जिसे अब तक का सबसे बड़ा हर्बल प्रयास कहा जा रहा है. वर्ल्ड हर्बल इनसाइक्लोपीडिया (WHE) नाम की यह श्रृंखला 111 खंडों में फैली है और इसे औषधीय पौधों व चिकित्सा परंपराओं का वैश्विक अभिलेखागार माना जा रहा है.
आज के दौर में जहां बड़े से बड़ा शोध प्रोजेक्ट कुछ सौ पन्नों तक सीमित रहता है, वहीं पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण ने ऐसा कार्य किया है जिसे अब तक का सबसे विशाल हर्बल संकलन कहा जा सकता है.
इनसाइक्लोपीडिया की संरचना
इस इनसाइक्लोपीडिया की संरचना बेहद व्यवस्थित है. शुरुआती 102 खंड दुनिया भर के औषधीय पौधों का विस्तृत विवरण पेश करते हैं. इन्हें वैज्ञानिक क्रम से व्यवस्थित किया गया है, जहां छोटे पौधों से लेकर बड़े पौधों तक का वर्गीकरण मिलता है. 103वां खंड परिशिष्ट के रूप में है, जिसमें अतिरिक्त औषधीय पौधों को जोड़ा गया है.
इसके बाद सात खंड ऐसे हैं जो सीधे पौधों से हटकर चिकित्सा प्रणालियों और उनके इतिहास पर केंद्रित हैं. इसमें नौ प्रमुख चिकित्सा परंपराओं और लगभग एक हजार उपचार पद्धतियों का उल्लेख है. अंतिम खंड इस महाग्रंथ की तैयारियों, प्रक्रियाओं और पृष्ठभूमि को दर्ज करता है.
50 हजार प्रजातियां दर्ज
आंकड़ों के लिहाज से यह काम किसी भी मौजूदा संदर्भ पुस्तक से कहीं आगे है. लगभग 50 हजार पौधों की प्रजातियां इसमें दर्ज हैं, जो 7,500 से अधिक वंशों में विभाजित हैं. इनके साथ 1.2 मिलियन स्थानीय नाम दर्ज किए गए हैं, जो दुनिया की दो हजार से अधिक भाषाओं से जुटाए गए हैं.
इतना ही नहीं, करीब ढाई लाख पौधों के पर्यायवाची और छह लाख से अधिक सन्दर्भ भी जोड़े गए हैं. इसमें प्राचीन पांडुलिपियां, पारंपरिक चिकित्सा ग्रंथ, आधुनिक वैज्ञानिक शोध और फील्ड स्टडीज तक शामिल हैं.
बॉटनिकल लाइन ड्रॉइंग्स और पेंटिंग्स इसमें जोड़ी गई
इस ग्रंथ को केवल शब्दों तक सीमित नहीं रखा गया है. लगभग 35 हजार बॉटनिकल लाइन ड्रॉइंग्स और 30 हजार कैनवस पेंटिंग्स इसमें जोड़ी गई हैं, जो पौधों के पत्ते, फूल, जड़ और तनों की पहचान को आसान बनाती हैं. शोधकर्ताओं के लिए यह वैज्ञानिक दृष्टि से सहायक है, वहीं आम पाठक के लिए यह दृश्य सामग्री ज्ञान को सरल भाषा में समझने में मददगार बनती है.
लोक-परंपराओं का संकलन भी इस परियोजना की बड़ी विशेषता है. इसमें दो हजार से अधिक जनजातीय समुदायों की जानकारी दर्ज की गई है. इनके जरिए न केवल स्थानीय उपयोग और घरेलू उपचार सामने आते हैं बल्कि सांस्कृतिक संबंध भी दर्ज होते हैं.
कुल मिलाकर, लगभग 2,200 लोक नुस्खे और 964 पारंपरिक प्रथाएं इस संग्रह में शामिल हैं. यह हिस्सा क्लिनिकल शोध का दावा नहीं करता, बल्कि उन जानकारियों को सुरक्षित करता है जो अब तक ज्यादातर मौखिक परंपराओं में ही मौजूद थीं.
ये संग्रह डिजिटल तौर पर भी विकसित है
इस संग्रह को और व्यापक बनाने के लिए डिजिटल रूप भी विकसित किया गया है. WHE Portal नामक ऑनलाइन मंच पर इसका डेटा उपलब्ध है, जिससे शोधकर्ताओं और संस्थानों को आसान खोज और उपयोग की सुविधा मिलेगी.
हालांकि फिलहाल इसकी प्रतियां बहुत सीमित संख्या में ही वितरित की गई हैं. यही कारण है कि अब तक इसकी पहुंच मुख्य रूप से शैक्षणिक जगत, वनस्पतिशास्त्रियों और सांस्कृतिक इतिहासकारों तक रही है. भविष्य में इसका प्रभाव इस पर निर्भर करेगा कि शोध और शैक्षणिक जगत इसे किस हद तक अपनाता है और डिजिटल मंच को कितना व्यापक उपयोग मिलता है.
विशेषज्ञों का मानना क्या है?
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस काम की सबसे बड़ी ताकत इसका पैमाना और विविधता है. वैज्ञानिक नामों को स्थानीय भाषाओं से जोड़ना, पारंपरिक और ऐतिहासिक जानकारी को एक साथ रखना और औषधीय ज्ञान को व्यवस्थित रूप से प्रस्तुत करना.
हालांकि कुछ सीमाएं भी साफ हैं. इसकी सामग्री का स्वतंत्र विशेषज्ञों द्वारा सत्यापन नहीं हुआ है और यह पूरी तरह एक ही व्यक्ति की देखरेख में तैयार हुआ है. इसके अलावा संस्कृत नामों का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय टैक्सोनॉमी मानकों से तालमेल में मुश्किल पैदा कर सकता है.
वर्ल्ड हर्बल इनसाइक्लोपीडिया क्या काम करता है?
कुल मिलाकर, वर्ल्ड हर्बल इनसाइक्लोपीडिया को किसी व्यावहारिक मेडिकल गाइडबुक की तरह नहीं बल्कि दीर्घकालिक अभिलेख परियोजना के रूप में देखना चाहिए. यह ज्ञान को सुरक्षित रखने, व्यवस्थित करने और सुलभ बनाने का काम करता है.
इसका मुख्य उपयोग संस्थानों, शोधकर्ताओं और संरक्षण से जुड़े विद्वानों के लिए होगा. उपचार या दवा विकास के लिए यह शुरुआती संदर्भ मात्र बनेगा, जबकि इसकी असली अहमियत परंपरागत औषधीय ज्ञान को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने में है.
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Source: IOCL
























