उत्तराखंड: पहला आधुनिक मदरसा 50 लाख की लागत से हुआ तैयार, रिटायर्ड फौजी देंगे शिक्षा
मदरसे में सामान्य स्कूलों की तरह सभी विषय पढ़ाए जाएंगे. इसमें उच्च गुणवत्ता वाले कक्ष, आधुनिक फर्नीचर, कम्प्यूटर लैब और स्मार्ट बोर्ड जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं. ये मस्जिद 50 लाख की लागत से बना है.

Uttarakhand News: उत्तराखंड का पहला आधुनिक मदरसा, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मॉडर्न मदरसा, देहरादून के रेलवे स्टेशन के निकट मुस्लिम कॉलोनी में बनकर तैयार हो गया है. इसे उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने करीब 50 लाख रुपये की लागत से विकसित किया है. वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने घोषणा की कि यह मदरसा मार्च 2025 से शैक्षणिक सत्र के साथ छात्रों के लिए खुल जाएगा. इस मदरसे को आधुनिक तकनीक और सुविधाओं से लैस किया गया है, जो पारंपरिक और आधुनिक शिक्षा का बेहतरीन संयोजन पेश करेगा.
इस मदरसे में सामान्य स्कूलों की तरह सभी विषय पढ़ाए जाएंगे. इसमें उच्च गुणवत्ता वाले कक्ष, आधुनिक फर्नीचर, कम्प्यूटर लैब और स्मार्ट बोर्ड जैसी सुविधाएं उपलब्ध हैं. खास बात यह है कि छात्रों को अरबी के अलावा वैकल्पिक भाषा के रूप में संस्कृत सीखने का भी मौका मिलेगा. शादाब शम्स के मुताबिक, मदरसे में छात्रों को निःशुल्क शिक्षा, किताबें और स्कूल ड्रेस दी जाएगी. यह कदम आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों के लिए शिक्षा सुलभ बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है.

आधुनिक मदरसे में रिटायर्ड फौजी देंगे शारीरिक शिक्षा
इस आधुनिक मदरसे की एक और खासियत यह है कि यहां छात्रों को शारीरिक शिक्षा देने के लिए रिटायर्ड फौजियों को प्रशिक्षक के रूप में नियुक्त किया जाएगा. ये प्रशिक्षक छात्रों को न केवल शारीरिक रूप से फिट बनाएंगे बल्कि उनके अंदर देशभक्ति और अनुशासन का भाव भी विकसित करेंगे. मदरसे के निर्माण के दौरान आसपास के 10 छोटे-छोटे मदरसों को बंद कर दिया गया है. इन सभी मदरसों के बच्चों को अब इस बड़े और आधुनिक मदरसे में स्थानांतरित कर दिया गया है. वक्फ बोर्ड का मानना है कि इस तरह के विलय से मदरसों का प्रबंधन आसान होगा और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा.
शादाब शम्स ने बताया कि वक्फ बोर्ड का लक्ष्य इस साल के अंत तक प्रदेश में 8 से 10 ऐसे आधुनिक मदरसों का निर्माण करना है. इन मदरसों को सीबीएसई के एनसीईआरटी पाठ्यक्रम के अनुरूप विकसित किया जाएगा. सुबह के सत्र में सामान्य शिक्षा और शाम के सत्र में धार्मिक शिक्षा दी जाएगी. छात्र अपनी पसंद से कुरान, इस्लामिक इतिहास, या अन्य धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन का विकल्प चुन सकते हैं. वक्फ बोर्ड इन मदरसों की खाली संपत्तियों का उपयोग अपनी आय बढ़ाने के लिए करेगा. इससे न केवल मदरसों का बेहतर प्रबंधन होगा बल्कि बोर्ड की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी.
सभी बच्चों को निशुल्क शिक्षा मिले- वक्फ बोर्ड अध्यक्ष
वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स का कहना है कि उनका उद्देश्य एक ऐसा भारत बनाना है जहां सभी बच्चों को समान शिक्षा और अवसर मिले. उन्होंने कहा, "हम चाहते हैं कि मदरसे बच्चों के लिए शिक्षा का केंद्र बनें, जहां वे बेहतर भविष्य के लिए तैयार हो सकें." हालांकि, इस पहल का मुस्लिम समुदाय के कुछ वर्गों से विरोध हो रहा है. वे वक्फ बोर्ड पर मदरसों का नाम बदलने और उन्हें 'स्कूल' कहने का दबाव बना रहे हैं. वहीं, कुछ लोगों का यह भी मानना है कि पारंपरिक मदरसों की जगह आधुनिक मदरसों को बढ़ावा देने से धार्मिक पहचान कमजोर हो सकती है.
वक्फ बोर्ड वर्तमान में उत्तराखंड में 117 मदरसे संचालित कर रहा है. प्रदेश में कुल 419 मदरसे पंजीकृत हैं, जबकि 800 से 1000 अवैध रूप से संचालित होने का अनुमान है. वक्फ बोर्ड की योजना मदरसों की संख्या कम करने और उनकी गुणवत्ता बढ़ाने की है. डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मॉडर्न मदरसा उत्तराखंड में शिक्षा सुधारों की दिशा में एक बड़ा कदम है. यह मदरसा न केवल पारंपरिक और आधुनिक शिक्षा का संगम प्रस्तुत करेगा बल्कि छात्रों को देशभक्ति और सामाजिक जिम्मेदारी के लिए प्रेरित भी करेगा. हालांकि, इसके खिलाफ उठ रही आवाजों को समझदारी और संवाद से हल करना जरूरी है ताकि शिक्षा के इस मिशन में कोई बाधा न आए.
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