उत्तराखंड के वीरान गांवों में लौटी रौनक, युवाओं ने थामा हाथ तो 43% का रिवर्स पलायन
Uttarakhand News: रिपोर्ट के अनुसार 39% प्रवासियों ने कृषि को अपने रोजगार का आधार बनाया. इनमें जैविक खेती, बागवानी, सब्जी उत्पादन, मशरूम, मसाले, औषधीय पौधे, मधुमक्खी पालन और पुष्प उत्पादन शामिल हैं.

उत्तराखंड में लंबे समय से जारी पलायन की समस्या के बीच अब राहत की किरण दिखने लगी है. राज्य के वीरान होते गांव एक बार फिर आबाद हो रहे हैं. पलायन निवारण आयोग की ताज़ा रिवर्स पलायन सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, अब तक कुल 6,282 प्रवासी वापस अपने गांव लौट चुके हैं, जिनमें सबसे बड़ी हिस्सेदारी 25 से 35 वर्ष आयु वर्ग के 43% युवा प्रवासियों की है. यह आंकड़ा बताता है कि रोजगार और बेहतर भविष्य की तलाश में शहरों का रुख करने वाले युवा अब गांव को नई उम्मीदों के साथ अपना भविष्य बना रहे हैं.
रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 25 वर्ष से कम आयु वर्ग के 28.66% और 35 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के 29.09% लोगों ने भी गांव वापसी की है. इस रिवर्स पलायन में पौड़ी जिले ने पहला स्थान हासिल किया, जहां 1213 प्रवासी वापस लौटे हैं. इसके बाद अल्मोड़ा (976) और टिहरी (827) का स्थान है. चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर, पिथौरागढ़, रुद्रप्रयाग, चंपावत, नैनीताल और देहरादून जैसे जिले भी इस बदलाव के साक्षी बने हैं. सबसे कम संख्या यूएस नगर (38) से लौटने वालों की रही.
युवाओं ने गांव में खोले आजीविका के नए रास्ते
गांव लौटे प्रवासी अब विभिन्न क्षेत्रों में स्वरोजगार शुरू कर रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार 39% प्रवासियों ने कृषि को अपने रोजगार का आधार बनाया है. इनमें जैविक खेती, बागवानी, सब्जी उत्पादन, मशरूम, मसाले, औषधीय पौधे, मधुमक्खी पालन और पुष्प उत्पादन शामिल हैं. 21.5% ने पर्यटन क्षेत्र में कदम रखते हुए होमस्टे, होटल, रेस्टोरेंट, कैटरिंग और यात्रा सेवाओं जैसी गतिविधियां शुरू की हैं. 18% लौटे लोग पशुपालन में सक्रिय हुए हैं, जिनमें डेयरी, बकरी, भेड़ और पोल्ट्री पालन के साथ मत्स्य पालन भी शामिल है.
कोरोना महामारी के दौरान रोजगार संकट और शहरों की मुश्किल परिस्थितियों ने प्रवासियों को अपने गांव लौटने के लिए प्रेरित किया. रिपोर्ट के अनुसार विदेशों में रहने वाले 169 प्रवासी भी गांव वापस आए हैं, जिनमें सबसे ज्यादा 66 टिहरी जिले के हैं. इसके अलावा देश के अन्य राज्यों से 4769 लोग और राज्य के भीतर पलायन करने वाले 1,127 लोग अपने गांवों में लौटे हैं.
गांवों में फिर से हलचल बढ़ी
रिवर्स पलायन से पहाड़ के गांवों में नई ऊर्जा दिखाई दे रही है. गांवों में फिर से हलचल बढ़ी है, खेतों में हरी-भरी फसलें नजर आ रही हैं और युवा अपनी जड़ों से जुड़कर नए अवसर तलाश रहे हैं. यह बदलाव न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देता है, बल्कि पहाड़ की सांस्कृतिक धरोहर को भी पुनर्जीवित कर रहा है.
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Source: IOCL





















