शामली में रौद्र रूप दिखा रही है यमुना नदी, कई गावों में पानी घुसने से फसलें बर्बाद
Shamli News: यूपी के शामली के कैराना बॉर्डर पर यमुना का कहर लगातार जारी है जिसकी वजह से कई गांवों में पानी घुस गया है वहीं फसलें तबाह हो गई हैं.

यूपी के जनपद शामली के कैराना क्षेत्र में हरियाणा बॉर्डर पर यमुना नदी का रौद्र रूप अब साफ नजर आने लगा है. पहाड़ी इलाकों में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है. खतरे की स्थिति को देखते हुए शामली प्रशासन पूरी तरह सतर्क हो गया है और यमुना किनारे बसे सभी गांवों को अलर्ट मोड पर रखा गया है.
हथिनीकुंड बैराज से पानी आने के बाद बढ़ा यमुना का जलस्तर
बता दें मामला जनपद शामली के करण थाना क्षेत्र के यमुना हरियाणा बॉर्डर का है हथिनीकुंड बैराज से बीते दिनों तीन लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया था, जिसकी वजह से यमुना का जलस्तर लगातार ऊंचाई की ओर बढ़ता जा रहा है. सोमवार देर रात तक यमुना का जलस्तर 231.5 मीटर जो चेतावनी बिंदु को पार कर चुका था.
अगर यही रफ्तार जारी रही, तो हालात और बिगड़ सकते हैं. शामली के कैराना क्षेत्र में यमुना के किनारे बसे आधा दर्जन से अधिक गांवों में कटान के कारण नदी का पानी अब खेतों और सड़कों तक पहुंचने लगा है. कई जगहों पर तो पानी घरों की ओर भी बढ़ रहा है. इससे ग्रामीणों की चिंता बढ़ गई है.
किसानों को काफी नुकसान
सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को उठाना पड़ा है. हजारों बीघा में खड़ी फसलें पानी में डूब चुकी हैं. धान, मक्का, बाजरा और सब्जियों की फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है. किसान प्रशासन से मुआवजे की मांग कर रहे हैं.
ग्रामीणों का कहना है कि हर साल बारिश के मौसम में उन्हें इसी तरह नुकसान झेलना पड़ता है, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया. हालात की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन की ओर से राहत और बचाव दलों को तैनात कर दिया गया है.
गांवों में आ सकती है बाढ़
अगर यमुना का जलस्तर दो फीट और बढ़ता है, तो गांवों में बाढ़ जैसे हालात पैदा हो सकते हैं. इससे न केवल गांवों में पानी भरने का खतरा है, बल्कि हरियाणा और उत्तर प्रदेश के बीच सड़क संपर्क भी पूरी तरह से टूट सकता है. ऐसे में जरूरी सेवाओं और आपूर्ति श्रृंखलाओं पर भी असर पड़ सकता है.
प्रशासन ने कहा है कि स्थिति पर लगातार निगरानी रखी जा रही है और जरूरत पड़ने पर राहत शिविरों की व्यवस्था की जाएगी. लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने और प्रशासन के निर्देशों का पालन करने की अपील की गई है.
यमुना का यह उफान न सिर्फ प्राकृतिक आपदा का संकेत है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि आखिर कब तक सीमावर्ती गांवों के लोग इस संकट को हर साल झेलते रहेंगे ?
Source: IOCL





















