लखनऊ में सहभोज के बहाने जुटे BJP के ब्राह्मण विधायक, पीएन पाठक के आवास पर बैठक, सियासी हलचल तेज
UP Politics: राजधानी लखनऊ में मंगलवार शाम को सहभोज के बहाने बीजेपी के करीब 40 ब्राह्मण विधायक एकत्रित हुए, जिसके बाद प्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई है.

उत्तर प्रदेश विधानसभा के शीतकालीन सत्र के बीच लखनऊ में भारतीय जनता पार्टी के ब्राह्मण विधायकों के सहभोज को लेकर सियासत गर्मा गई है. मंगलवार शाम को कुशीनगर से विधायक पी एन पाठक के सरकारी आवास पर ये सहभोज किया गया है. जिसमें बीजेपी के करीब 40 ब्राह्मण विधायक और एमएलसी सहभोज के बहाने एकत्रित हुए हैं. इस खबर के बाद सत्ताधारी पार्टी बीजेपी की नींद उड़ गई है.
इस कार्यक्रम को नाम तो सह-भोज का दिया गया था लेकिन इसके बहाने पार्टी के लगभग 40 ब्राह्मण विधायक और एमएलसी बीजेपी विधायक पीएन पाठक के घर पर एकजुट हुए. इस दौरान विधायकों को लिट्टी चोखा और मंगलवार व्रत का फलाहार परोसा गया. इस कार्यक्रम में नृपेन्द्र मिश्र के बेटे और एमएलसी साकेत मिश्र भी मौजूद थे. सूत्रों के मुताबिक इस दौरान कई अहम मुद्दों को लेकर चर्चा हुई है.
ब्राह्मण विधायकों के एकजुट होने पर सियासत तेज
इससे पहले मानसून सत्र के दौरान ऐसे ही बीजेपी के ठाकुर विधायक भी एकजुट हुए थे और अब ब्राह्मण विधायकों के एकजुट होने से प्रदेश की सियासत गर्मा गई है. कई सियासी जानकार इसके पार्टी के अंदर ही अंदर पक रही सियासी खिचड़ी के तौर पर देख रहे हैं जो 2027 के चुनाव से पहले पार्टी के लिए नुकसान दायक हो सकती हैं.
सहभोज कार्यक्रम में शामिल हुए ये विधायक
इस कार्यक्रम में शामिल कुछ महत्वपूर्ण नामों की जानकारी भी सामने आई हैं. जानकारी के मुताबिक विधायक पीएन पाठक के आवास पर हुए सहभोज कार्यक्रम में बीजेपी विधायक रत्नाकर मिश्र, उमेश द्विवेदी (MLC), प्रकाश द्विवेदी, रमेश मिश्र, शलभमणि त्रिपाठी, विपुल दूबे, राकेश गोस्वामी, रवि शर्मा, विनोद चतुर्वेदी, संजय शर्मा, विवेकानंद पाण्डेय पहुंचे.
इनके अलावा बीजेपी विधायक अनिल त्रिपाठी, अंकुर राज तिवारी, साकेत मिश्र, बाबूलाल तिवारी MLC, विनय द्विवेदी, सुभाष त्रिपाठी, अनिल पाराशर, कैलाशनाथ शुक्ला, प्रेमनारायण पाण्डेय, ज्ञान तिवारी, सुनील दत्त द्विवेदी, धर्मेंद्र सिंह भूमिहार MLC और अन्य विधायक भी मौजूद थे.
पहले ठाकुर विधायक और अब ब्राह्मण विधायकों के एकजुट होने के बाद बीजेपी के अंदर नेताओं के बीच पनप रहा अंसतोष साफ दिखाई दे रहा हैं. जो प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और भाजपा आलाकमान के सामने बड़ी चुनौती बन सकती हैं. 2027 से पहले पार्टी को इन सबको एकजुट करना जरूरी होगी नहीं तो आगामी चुनाव में बीजेपी को इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है.
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Source: IOCL
























