यूपी सरकार के इस कदम से नाराज हुए योगी के मंत्री संजय निषाद, कहा- हाईकोर्ट चलो
UP News: मंत्री संजय निषाद के इस बयान को लेकर यूपी की राजनीति में हलचल तेज हो गई है. इससे पहले समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद भी इस मामले पर बयान दे चुके हैं.

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए राज्य में पुलिस रिकॉर्ड और सार्वजनिक जगहों पर जाति लिखने और जाति के आधार पर रैली करने पर रोक लगाई है. अब योगी सरकार के इस फैसले को लेकर निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद ने नाराज नजर आ रहे हैं और उन्होंने हाईकोर्ट में भी अपील दाखिल करने की मांग की है.
भदोही में एक सभा के दौरान कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने कहा कि "जाति नहीं लिखेंगे तो कौन जानेगा, कौन पहचानेगा? देश में जातियों का गौरवशाली इतिहास रहा है, उन्हें सम्मान मिलना चाहिए. वहीं संजय निषाद के इस बयान को लेकर यूपी की राजनीति में हलचल तेज हो गई है. इससे पहले समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद भी इस मामले को लेकर बयान दे चुके हैं.
योगी सरकार के इस आदेश पर सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पांच सवाल उठाए. उन्होंने अपने एक्स अकाउंट पर योगी सरकार से पूछा 5000 सालों से मन में बसे जातिगत भेदभाव को दूर करने के लिए क्या किया जाएगा और वस्त्र वेशभूषा और प्रतीक चिन्हों के माध्यम से जाति प्रदर्शन से उपजे जातिगत भेदभाव को मिटाने के लिए क्या किया जाएगा.
नगीना सांसद चंद्रशेखर आजाद ने इस फैसले को बीजेपी सरकार की हताशा करार दिया. उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर लिखा सरकार इसे समानता का कदम बता रही है, लेकिन सच्चाई यह है कि यह फैसला जातिवाद को खत्म करने में नाकाम सरकार की हताशा और बहुजन समाज की आवाज दबाने की साजिश है.
क्या है योगी सरकार का आदेश
बता दें कि योगी सरकार ने पुलिस रिकॉर्ड और सार्वजनिक नोटिसों से सभी जातिगत संदर्भों को तत्काल हटाने और वाहनों पर जाति-आधारित स्टिकर लगवाने या नारे लिखवाने वालों पर मोटर वाहन अधिनियम के तहत जुर्माना लगाने का आदेश दिया है. योगी सरकार के इस आदेश को लेकर यूपी में सियासी हलचल तेज हैं.
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