यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- इस साल कांवड़ यात्रा नहीं होगी, कांवड़ संघ यात्रा स्थगित करने के लिए तैयार
Kanwar Yatra 2021 in UP: यूपी के वकील वैद्यनाथन ने कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने बैठक बुलाई. सभी कांवड़ संघ यात्रा स्थगित करने को तैयार हैं. इसलिए इस साल यात्रा नहीं होगी.
Kanwar Yatra 2021 in UP: कांवड़ यात्रा को लेकर यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दायर कर दिया है. यूपी सरकार ने कहा है कि इस साल कांवड़ यात्रा नहीं होगी. यूपी सरकार के वकील वैद्यनाथन ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि सभी कांवड़ संघ यात्रा स्थगित करने के लिए तैयार हैं. इसलिए इस साल यात्रा नहीं होगी.
यूपी के वकील वैद्यनाथन ने कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद सरकार ने बैठक बुलाई. सभी कांवड़ संघ यात्रा स्थगित करने को तैयार हैं. इसलिए इस साल यात्रा नहीं होगी.
बता दें कि उत्तर प्रदेश में इस साल कांवड़ यात्रा रद्द कर दी गई है. अपर मुख्य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल ने शनिवार को इस बात की जानकारी दी थी. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की अपील के बाद कांवड़ संघों ने यात्रा रद्द करने का निर्णय लिया. कांवड़ यात्रा 25 जुलाई से शुरू होनी थी.
25 जुलाई से सावन का महीना शुरू होने जा रहा है
25 जुलाई से सावन का महीना शुरू होने जा रहा है. सावन का महीना भगवान शिव और उनके उपासकों के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं. भगवान शिव को खुश करने के लिए हर साल लाखों श्रद्धालु कांवड़ यात्रा निकालते हैं. मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव भक्तों की सारी मनोकामना पूरी करते हैं.
यात्रा शुरू करने से पहले श्रद्धालु बांस की लकड़ी पर दोनों ओर टिकी हुई टोकरियों के साथ किसी पवित्र स्थान पर पहुंचते हैं और इन्हीं टोकरियों में गंगाजल लेकर लौटते हैं. इस कांवड़ को लगातार यात्रा के दौरान अपने कंधे पर रखकर यात्रा करते हैं, इस यात्रा को कांवड़ यात्रा और यात्रियों को कांवड़िया कहा जाता है. पहले के समय लोग नंगे पैर या पैदल ही कांवड़ यात्रा करते थे. हालांकि अब लोग बाइक, ट्रक और दूसरे साधनों का भी इस्तेमाल करने लगे हैं.
जानिए- क्या है कांवड़ यात्रा का इतिहास
कहा जाता है कि भगवान परशुराम भगवान शिव के परम भक्त थे. मान्यता है कि वे सबसे पहले कांवड़ लेकर बागपत जिले के पास 'पुरा महादेव' गए थे. उन्होंने गढ़मुक्तेश्वर से गंगा का जल लेकर भोलेनाथ का जलाभिषेक किया था. उस समय श्रावण मास चल रहा था. तब से इस परंपरा को निभाते हुए भक्त श्रावण मास में कांवड़ यात्रा निकालने लगे.
ट्रेडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
and tablets