गेहूं खरीद शुरू होने से पहले सीएम योगी आदित्यनाथ ने किसानों से की ये काम न करने की अपील
Uttar Pradesh News: योगी सरकार ने 1 अप्रैल से गेहूं खरीद शुरू करने का ऐलान कर दिया है. ऐसे में कटाई के बाद खेतों में बची पराली को लेकर सरकार ने इसे जलाने के बजाए कम्पोस्टिंग करने का सुझाव दिया है.

Harvesting of Rabi crops in UP: रबी फसलों की कटाई शुरू हो गई है. कुछ हफ्तों में गेहूं भी कटने लगेगा. इस बीच, योगी सरकार ने 1 अप्रैल से गेहूं खरीद शुरू करने का ऐलान कर दिया है. लेकिन कटाई के बाद खेतों में बची पराली को जलाना आपकी जमीन की उर्वरता और पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा बन सकता है.
गेहूं या धान की फसल कटने के बाद खेतों में बची पराली को कई किसान जला देते हैं. इससे खेत की मिट्टी में मौजूद जरूरी पोषक तत्व नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटाश (NPK)नष्ट हो जाते हैं. यही नहीं, जमीन में अरबों की संख्या में पाए जाने वाले फायदेमंद बैक्टीरिया और फफूंद भी खत्म हो जाते हैं. इससे मिट्टी की उर्वरता कम होती है और अगली फसल की पैदावार प्रभावित होती है.
पराली जलाने पर 15 हजार का जुर्माना
पराली जलाने से पर्यावरण को भी नुकसान होता है. धुएं से वायु प्रदूषण बढ़ता है, जिससे सांस की बीमारियां होने का खतरा रहता है. खासकर उत्तर भारत के कई राज्यों में पराली जलाने से हर साल भारी प्रदूषण फैलता है. इसे रोकने के लिए सरकार ने पराली जलाने पर ₹15,000 तक जुर्माना लगाने का प्रावधान किया है.
सरकार किसानों को पराली जलाने की बजाय उसकी कम्पोस्टिंग करने के लिए जागरूक कर रही है. कम्पोस्टिंग करने से पराली प्राकृतिक खाद में बदल जाती है, जिससे मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है. विशेषज्ञों के मुताबिक, पराली में 0.5% नाइट्रोजन, 0.6% फॉस्फोरस और 1.5% पोटाश होता है. अगर इसे खेत में ही सड़ाया जाए, तो मिट्टी को यह पोषक तत्व वापस मिल जाते हैं, जिससे 25% तक खाद की बचत होती है और खेती की लागत कम हो जाती है.
स्ट्रॉ डीकंपोजर से 10 दिन में बनेगा खाद
एनबीआरआई (नेशनल बॉटनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट) ने एक खास ‘स्ट्रॉ डीकंपोजर’ बनाया है, जो फंगस और बैक्टीरिया की मदद से केवल 10 दिन में पराली को खाद में बदल सकता है. इसकी कीमत सिर्फ ₹100 प्रति हेक्टेयर है. योगी सरकार ने पराली के व्यावसायिक इस्तेमाल को भी बढ़ावा दिया है. पराली से कम्पोस्ट खाद, कागज, बिजली और बायो-सीएनजी (कंप्रेस्ड बायोगैस) बनाई जा सकती है. कई जिलों में बायो-सीएनजी प्लांट भी लगाए जा रहे हैं, जिससे किसान अपनी पराली बेचकर पैसा कमा सकते हैं.
- गहरी जुताई- पराली को खेत में पलटकर मिट्टी में मिला दें और सिंचाई कर दें.
- यूरिया छिड़काव- प्रति एकड़ 5 किलो यूरिया डालने से पराली जल्दी सड़कर खाद बन जाएगी.
- बायो-डीकंपोजर का प्रयोग- एनबीआरआई का स्ट्रॉ डीकंपोजर इस्तेमाल करें.
- बायोगैस प्लांट को बेचें- बायो-सीएनजी संयंत्रों में पराली की खरीद हो रही है.
इफको के एरिया मैनेजर ने क्या बोला?
इफको के एरिया मैनेजर डॉ. डीके सिंह के अनुसार, “पराली जलाने की घटनाओं को रोकने के लिए किसानों को जागरूक करना जरूरी है. अगर किसान इसे ऑर्गेनिक खाद के रूप में इस्तेमाल करें, तो मिट्टी की उर्वरता बनी रहेगी और खेती की लागत भी घटेगी.”
सरकार की कोशिश है कि पराली जलाने के बजाय उसे उपयोगी बनाया जाए, जिससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहे और किसानों को भी फायदा हो. इसलिए अगर आप भी अपने खेत की मिट्टी को जिंदा रखना चाहते हैं, तो पराली जलाने के बजाय इसे कम्पोस्टिंग या अन्य उपयोगों में लगाएं.
यह भी पढ़ें- यूपी में अब नहीं मिलेंगे 10 से 25 हजार रुपये के स्टांप, योगी सरकार का बड़ा फैसला
टॉप हेडलाइंस
Source: IOCL
























