एक्सप्लोरर

घोसी चुनाव में बीजेपी की हार: क्या बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने विपक्ष को दिखा दिया आईना?

स्थानीय जानकारों का कहना है कि मायावती ने दारा सिंह को मात देने के लिए ही प्रत्याशी नहीं उतारने का फैसला किया. एक वक्त दारा की गिनती बीएसपी के कद्दावर नेताओं में होती थी.

2 पार्टियों के राष्ट्रीय अध्यक्ष, 2 उपमुख्यमंत्री और करीब 2 दर्जन मंत्रियों को उतारने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी घोसी उपचुनाव में साइकिल के रफ्तार को नहीं रोक पाई. मतगणना के पहले राउंड से आखिरी राउंड तक सपा के सुधाकर सिंह बीजेपी के दारा सिंह चौहान पर बढ़त बनाने में कामयाब दिखे. इधर, योगी सरकार में मंत्री संजय निषाद ने घोसी में हार का ठीकरा दारा सिंह चौहान पर ही फोड़ दिया.

चुनाव आयोग के मुताबिक, सपा उम्मीदवार सुधाकर सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी और बीजेपी उम्मीदवार दारा सिंह चौहान को 42,759 मतों से हराया है. सुधाकर सिंह को अब तक 1,24,427 वोट जबकि दारा सिंह चौहान को 81,668 वोट मिले हैं. 

संजय निषाद के मुताबिक दारा की वजह से ही घोसी में हार हुई है. हालांकि, घोसी रिजल्ट को लेकर सियासी गलियारों में कई मायने निकाले जा रहे हैं. जानकारों का कहना है कि मायावती ने आखिरी वक्त में जिस तरह से फैसला किया, वो भी दारा के हार में अहम फैक्टर साबित हुआ.

मायावती ने पहले चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया और चुनाव से पहले अपने कोर वोटरों को कन्फ्यूज कर दिया. 

मायावती ने कैसे बिगाड़ा दारा का खेल,  2 प्वॉइंट्स...

1. पहले उम्मीदवार नहीं उतारा- घोसी बीएसपी का गढ़ माना जाता है. वर्तमान में पार्टी के अतुल राय घोसी सीट से सांसद हैं. आजमगढ़ की तरह यहां भी बीएसपी के उम्मीदवार उतारे जाने की चर्चा थी. 

कई दावेदार लखनऊ की परिक्रमा भी कर आए, लेकिन मायावती ने कैडर को साफ संदेश दे दिया कि घोसी के मैदान में उतरकर उर्जा नहीं बर्बाद करेंगे. इसके बाद यहां चुनाव बीजेपी और सपा में आमने-सामने की हो गई. हालांकि, मैदान में कुल 10 उम्मीदवार थे. 

स्थानीय जानकारों का कहना है कि मायावती ने दारा सिंह को मात देने के लिए ही प्रत्याशी नहीं उतारने का फैसला किया. एक वक्त दारा की गिनती बीएसपी के कद्दावर नेताओं में होती थी, लेकिन 2015 में उन्होंने मायावती को धोखा देकर बीजेपी का दामन थाम लिया.

मायावती के उम्मीदवार की वजह से 2017 और 2019 के चुनाव में सुधाकर सिंह को हार का सामना करना पड़ा था. 2017 के चुनाव में मायावती ने अब्बास अंसारी को मैदान में उतारा था. अंसारी को 81 हजार वोट मिले. सपा के सुधाकर सिंह तीसरे नंबर पर पहुंच गए.

2019 में फागू चौहान के राज्यपाल बनने के बाद घोसी में उपचुनाव का बिगुल बजा. मायावती ने इस बार अब्दुल कय्यूम अंसारी को मैदान में उतारा. सपा से सुधाकर सिंह तो बीजेपी से विजय राजभर मैदान में थे. 

यह उपचुनाव सुधाकर सिंह 2 हजार वोट से हार गए. बीएसपी कैंडिडेट को करीब 51 हजार वोट मिले.

2. वोटरों के लिए एक लाइन का संदेश- प्रत्याशी नहीं उतारने के बाद नामांकन से लेकर चुनाव प्रचार तक मायावती खामोश रहीं, जिसके बाद माना जा रहा था कि मायावती के वोट बीजेपी में ट्रांसफर हो जाएंगे. 2022 के विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर ऐसा हो भी चुका है.

घोसी विधानसभा सीट पर करीब 1.20 लाख दलित वोटर्स हैं. 2022 के चुनाव में मायावती के उम्मीदवार को 55 हजार वोट मिले थे. 

बीजेपी ने इन वोटरों को साधने के लिए एक साथ कई मोर्चे पर रणनीति तैयार की. पार्टी के दिग्गज नेता दलित बस्तियों में डोर-टू-डोर अभियान में शामिल हुए. बीजेपी दलितों को वेलफेयर स्कीम के जरिए भी लुभाने की कोशिश की.

लेकिन अंतिम वक्त में मायावती ने खेल ही पलट दिया. बीएसपी के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने मायावती के हवाले से एक लाइन का संदेश जारी किया. इसमें कहा गया कि बीएसपी के वोटर्स बूथ पर वोट देने न जाएं. अगर जाते भी हैं, तो नोटा बटन दबाकर आएं.

मायावती की अपील का असर भी हुआ और पिछले 6 साल के 4 चुनाव में पहली बार घोसी के मतदान प्रतिशत में कमी आई. इस बार सिर्फ 50.03 प्रतिशत वोट ही पड़े. नोटा को करीब 1000 वोट मिले. 

क्या सिर्फ बीएसपी की वजह से हारी बीजेपी?

पूर्वांचल की राजनीति पर नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार विभूति नारायण चतुर्वेदी कहते हैं- मायावती अगर चुनाव लड़तीं, तो शायद बीजेपी को कुछ फायदा हो सकता था, लेकिन चुनाव हारने की सबसे बड़ी वजह पार्टी के उम्मीदवार थे. दारा सिंह चौहान की छवि एक दलबदलू नेता की बन गई थी. 

चतुर्वेदीआगे कहते हैं- दारा के खिलाफ शुरू से ही लोगों में नाराजगी थी. घोसी की जनता उनके अवसरवाद से तंग आ चुकी थी. दारा के मुकाबले सुधाकर की छवि जमीनी नेता की रही है. 

बीजेपी के बागी और दारा के खिलाफ प्रचार करने वाले उज्जवल मिश्रा घोसी की हार को पार्टी हाईकमान की हार बताते हैं. मिश्रा के मुताबिक हाईकमान ने जबरन दारा को कार्यकर्ताओं पर थोपने का प्रयास किया, जिसे लोगों ने नहीं कबूला.

घोसी उपचुनाव के बाद अब 2 सवाल...

चुनाव न लड़कर भी मायावती ने दिखाई ताकत?
घोसी में उपचुनाव न लड़कर भी मायावती ने अपनी ताकत दिखा दी है. जीत के अंतर और 2022 में मायावती के उम्मीदवारों को मिले वोट में ज्यादा का फासला नहीं है. जानकारों का मानना है कि घोसी उपचुनाव के बाद मायावती की अनदेखी राजनीतिक दलों के लिए आसान नहीं होगा.

आजमगढ़, बलिया, घोसी, गाजीपुर, मेरठ, आगरा, अलीगढ़ जैसी जगहों पर अभी भी बीएसपी का दबदबा कायम है.

आजमगढ़ में मायावती चुनाव लड़कर पहले ही सपा का खेल बिगाड़ चुकी है. लोकसभा में यूपी की करीब 40 सीटों पर समीकरण उलट-पलट करने में मायावती अभी भी सक्षम हैं. 

2022 के चुनाव में मायावती की पार्टी को भले एक सीट पर जीत मिली हो, लेकिन बीएसपी का वोट प्रतिशत तब भी करीब 12 फीसदी के आसपास था. उत्तर प्रदेश में दलित वोटरों की संख्या करीब 21 प्रतिशत है, जिसमें 13 प्रतिशत जाटव और 8 प्रतिशत गैर जाटव शामिल हैं.

उत्तर प्रदेश में दलितों के लिए लोकसभा में 17 सीट रिजर्व है. 2019 में बीएसपी को इनमें से 2 पर जीत मिली थी, जबकि 8 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी. मछलीशहर सीट पर बीएसपी के त्रिभुवन राम सिर्फ 181 वोट से चुनाव हारे. 

क्या नए समीकरण का इशारा है?
2020 के बाद से मायावती पर अप्रत्यक्ष रूप से बीजेपी को फायदा पहुंचाने का आरोप लगता रहा है. 2022 के चुनाव में पश्चिमी यूपी के कई सीटों पर मायावती के वोट बीजेपी में ट्रांसफर हो गए. इस वजह से सपा गठबंधन के उम्मीदवारों की हार हो गई.

विधानसभा चुनाव के बाद आजमगढ़ सीट पर लोकसभा के उपचुनाव हुए. मायावती ने यहां से शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को उम्मीदवार बना दिया. गुड्डू जमाली 2 लाख 66 हजार वोट लाने में कामयाब रहे, जो सपा की हार की बड़ी वजह बनी. 

बीजेपी इस सीट पर सिर्फ 12 हजार वोटों के अंतर से जीत हासिल की. इसके बाद सपा ने खुले तौर पर मायावती को बीजेपी का बी टीम बताकर प्रचार शुरू कर दिया, लेकिन घोसी के उपचुनाव में मायावती के स्टैंड ने राजनीत जानकारों को फिर से चौंका दिया है.

2019 में गठबंधन से पहले इसी तरह मायावती ने उपचुनाव में अघोषित रूप से सपा का समर्थन किया था. उस वक्त गोरखपुर में लोकसभा का उपचुनाव हुआ था, जिसमें सपा ने अपने सिंबल पर निषाद पार्टी के प्रवीण निषाद को मैदान में उतारा था. 

बीएसपी के समर्थन से अखिलेश यादव ने बीजेपी के गोरखपुर किला को ध्वस्त कर दिया था. बीजेपी यहां 1989 से चुनाव जीतती आ रही थी.  

और पढ़ें
Sponsored Links by Taboola

टॉप हेडलाइंस

ओमान में पीएम मोदी का वेलकम देखकर हिल गया मुस्लिम वर्ल्ड? पाक एक्सपर्ट चिढ़कर बोले- भारत को इतनी तवज्जो और पाकिस्तान...
ओमान में पीएम मोदी का वेलकम देखकर हिल गया मुस्लिम वर्ल्ड? पाक एक्सपर्ट चिढ़कर बोले- भारत को इतनी तवज्जो और पाकिस्तान...
Exclusive: धर्मेंद्र यादव की इस मांग पर पीएम नरेंद्र मोदी ने हंसते हुए खुद दिया जवाब, फिर...
Exclusive: धर्मेंद्र यादव की इस मांग पर पीएम नरेंद्र मोदी ने हंसते हुए खुद दिया जवाब, फिर...
Osman Hadi Death: 'भारत से बात कर तुरंत...' शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में उबाल, इंकलाब मंच ने दी बड़ी चेतावनी
'भारत से बात कर तुरंत...' शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में उबाल, इंकलाब मंच ने दी बड़ी चेतावनी
8.6 करोड़ रुपये मिलते ही बदला मन? IPL 2026 के लिए यू-टर्न मार सकते हैं जोश इंग्लिश!
8.6 करोड़ रुपये मिलते ही बदला मन? IPL 2026 के लिए यू-टर्न मार सकते हैं जोश इंग्लिश!

वीडियोज

Global Markets पर हुआ असर, Bank of Japan ने बढ़ाए Interest Rates | Paisa Live
Nitish Kumar Hijab Controversy: हिजाब मामले में ये क्या कह गए Giriraj Singh, सुन रह जाएंगे हैरान! |
अब UPI पर भी मिलेगा Credit – Google Pay का बड़ा धमाका | Paisa Live
Nitish Kumar Hijab Controversy: नीतीश का 'हिजाब कांड', जारी है हंगामा | Bihar | Viral Video
SEBI का बड़ा फैसला , Physical Shares, IPO और Debt Market में राहत | Paisa Live

फोटो गैलरी

Petrol Price Today
₹ 94.72 / litre
New Delhi
Diesel Price Today
₹ 87.62 / litre
New Delhi

Source: IOCL

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
ओमान में पीएम मोदी का वेलकम देखकर हिल गया मुस्लिम वर्ल्ड? पाक एक्सपर्ट चिढ़कर बोले- भारत को इतनी तवज्जो और पाकिस्तान...
ओमान में पीएम मोदी का वेलकम देखकर हिल गया मुस्लिम वर्ल्ड? पाक एक्सपर्ट चिढ़कर बोले- भारत को इतनी तवज्जो और पाकिस्तान...
Exclusive: धर्मेंद्र यादव की इस मांग पर पीएम नरेंद्र मोदी ने हंसते हुए खुद दिया जवाब, फिर...
Exclusive: धर्मेंद्र यादव की इस मांग पर पीएम नरेंद्र मोदी ने हंसते हुए खुद दिया जवाब, फिर...
Osman Hadi Death: 'भारत से बात कर तुरंत...' शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में उबाल, इंकलाब मंच ने दी बड़ी चेतावनी
'भारत से बात कर तुरंत...' शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में उबाल, इंकलाब मंच ने दी बड़ी चेतावनी
8.6 करोड़ रुपये मिलते ही बदला मन? IPL 2026 के लिए यू-टर्न मार सकते हैं जोश इंग्लिश!
8.6 करोड़ रुपये मिलते ही बदला मन? IPL 2026 के लिए यू-टर्न मार सकते हैं जोश इंग्लिश!
Raat Akeli Hai 2 Review: एक पूरे परिवार के मर्डर की ये मिस्ट्री दिमाग घुमा देगी, नवाजुद्दीन सिद्दिका का कमाल परफॉर्मेंस
रात अकेली है 2 रिव्यू: एक पूरे परिवार के मर्डर की ये मिस्ट्री दिमाग घुमा देगी
दही की प्लेट में निकला मरा हुआ चूहा, ग्राहक ने ढाबे पर ही बना लिया वीडियो; अब हो रहा वायरल
दही की प्लेट में निकला मरा हुआ चूहा, ग्राहक ने ढाबे पर ही बना लिया वीडियो; अब हो रहा वायरल
Pundrik Goswami Controversy: गार्ड ऑफ ऑनर देने का क्या है नियम, किसे दिया जाता है और किसे नहीं? कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी मामले के बीच जानें जवाब
गार्ड ऑफ ऑनर देने का क्या है नियम, किसे दिया जाता है और किसे नहीं? कथावाचक पुंडरीक गोस्वामी मामले के बीच जानें जवाब
दिल्ली की खराब हवा में कितना सुरक्षित आपका घर, बैठे-बैठे ऐसे कर सकते हैं टेस्ट
दिल्ली की खराब हवा में कितना सुरक्षित आपका घर, बैठे-बैठे ऐसे कर सकते हैं टेस्ट
Embed widget