UP Animal Husbandry Scam: पशुओं की दवा खरीद में 50 करोड़ का घोटाला, एक महीने में जांच रिपोर्ट देने का निर्देश
जम्मू की फर्म के जरिए सप्लाई की हुई दवा आइवरमेकटिन एंड फेनबेंडाजोल बोलस को दो साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है. दवाएं सप्लाई करने वाली फर्म को नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांगा गया है.

Scam in the Purchase of Medicines: उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग में करोड़ों का घोटाला सामने आया है. घोटाला 2021-22 में राष्ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम योजना के अंतर्गत सामान की खरीद में हुआ है. प्रथम दृष्टया खरीद में गड़बड़ी मिलने के बाद मामले की जांच का जिम्मा समन्वय विभाग के विशेष सचिव रामसहाय यादव को सौंपी गई है. जांच रिपोर्ट 1 महीने के अंदर शासन को सौंपने का आदेश मिला है. एक अनुमान के मुताबिक करीब 50 करोड़ का घोटाला हो सकता है.
50 हजार की जगह 1 लाख 27 हजार में खरीद
शुरुआती जांच में पाई गई गड़बड़ी के मुताबिक पशुपालन विभाग के अधिकारियों ने विभिन्न उपकरणों की खरीद ढाई गुना कीमत पर की. मध्य प्रदेश में 50 हजार से कम में खरीदा गया कोल्ड बॉक्स उत्तर प्रदेश में विभाग ने 1 लाख, 27 हजार 700 रुपए में खरीद की. चहेती फर्मों को फायदा पहुंचाने के लिए टेंडर प्रक्रिया में भी धांधली की गई. हरी झंडी के लिए सारे नियम ताक पर रख दिए गए. सभी सामान की खरीद तत्कालीन निदेशक रोग नियंत्रण डॉ आरपी सिंह और डॉ इंद्रमणि के कार्यकाल में की गयी. उस समय जेम बायर डॉ जेपी वर्मा रहे.
सामग्री की खरीद के लिए जनपदों से मांग पत्र संबंधी कोई अभिलेख उपलब्ध नहीं है. जनपद स्तर पर इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री की आपूर्ति सीधे जनपदों को ना करा कर पशुपालन विभाग के मुख्यालय पर कराई गई. ऐसे में मुख्यालय से सामग्री संबंधित जनपद को उपलब्ध कराने में अतिरिक्त खर्च आए. जेम पर खरीद किए जाने की न्यूनतम अवधि 10 दिन की होती है लेकिन कोविड की शर्त दिखाकर सिर्फ 5 दिन की बिड की गई. ये सामग्री कोविड की जरूरत के अंतर्गत नहीं आती.
सामग्री की खरीद के लिए टेंडर की निर्धारित समय सीमा का पालन नहीं किया गया. मिसाल के तौर पर गॉगल्स की खरीद के लिए 26 जून 2021 को बिड की गई और इसी दिन तकनीकी बिड खोली गई. आइस लाइन्ड रेफ्रिजरेटर के लिए 5 जुलाई 2021 को बिड की गई और इसकी तकनीकी बिड 10 जुलाई जबकि फाइनेंशियल बिड 12 जुलाई को खोली गई. इसी तरह कई और सामग्रियों की तकनीकी निविदाएं 7 दिन के पहले ही खोल दी गईं. एक ही आइटम दो बार अलग-अलग दरों पर खरीदा गया.
जानबूझकर 5 लाख की सीमा में मांग पत्र तैयार
कई सामग्रियों की खरीद 4.90 लाख से ऊपर और 5 लाख से कम पर की गई. आशंका है कि जानबूझकर 5 लाख की सीमा के अंतर्गत रहने के लिए मांग तैयार की गयी. वॉक इन कुलर / कोल्ड रूम एक बार 88 खरीदे गए और दोबारा 10. लेकिन बिड में एक आइटम दिख रहा है, दर में भी अंतर है. एक्टिव कोल्ड बॉक्स 48 और 52 जेम पोर्टल पर बिड ऑर्डर 821 से किया गया. लेकिन भुगतान मैनुअल किया गया और 0.5 फीसदी जेम का भुगतान नहीं हुआ.
सामग्री की आपूर्ति निदेशालय स्तर पर 26 जुलाई 2021 से 26 अगस्त 2021 के बीच कराई गई. लेकिन जनपदों को लगभग 8 महीने बाद 22 मार्च 2022 तक भेजी गई. आपूर्ति जगदीश इंटरप्राइजेज / अभिनीश ट्रेडर्स ने की. जगदीश और अभिनीश फॉर्म के स्टेटस और संलिप्तता की भी जांच हो रही है. कोल्ड बॉक्स को 1,27,770 प्रति नग की दर से खरीदा गया. जबकि इसी अवधि में मध्य प्रदेश में पशुपालन विभाग ने 47,250 से 49,500 और जम्मू एंड कश्मीर में 59 हजार की दर से खरीदा गया.
एक्टिव कोल्ड बॉक्स की बिड में L2 द्वारा प्राइस मैच होने के बाद एल-1 को 48 फीसदी जबकि एल-2 को 52 फीसदी परचेस आर्डर दिया गया. इसमें अभिनीश ट्रेडर्स से 352 यूनिट और जगदीश इंटरप्राइजेज से 369 यूनिट कुल 721 यूनिट की खरीद 18 जुलाई 2021 को की गई. एक्टिव कोल्ड बॉक्स के मैनुअल परचेज ऑर्डर जारी किए जाने पर अनुमोदन 18 जुलाई को मिला लेकिन इससे पहले ही 17 जुलाई को जगदीश इंटरप्राइजेज को 52 यूनिट का परचेज ऑर्डर जारी कर दिया गया.
दवा सप्लाई करनेवाली फर्म को शो कॉज जारी
आईस लाइनर रेफ्रिजरेटर की खरीद दो निविदाओं से हुई जिनके बीच में 1 महीने का अंतर था. दोनों बार खरीद के दाम में 75000 का अंतर आया. अभिनीश ट्रेडर्स से N-95 मास्क बहुत अधिक दर 96.50 रुपये से खरीदा गया. पशुपालन विभाग में खरीदी गयी दवाएं भी गड़बड़ मिली हैं. कुछ दवाएं तय मानक से कमतर पाई गई हैं. घटिया दवाओं के मामले में भी कार्रवाई शुरू कर दी गयी है. पशुपालन निदेशालय ने सभी जिलों को पत्र लिखकर दवाओं के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. इसके अलावा दवाएं सप्लाई करने वाली फर्म को नोटिस भेजकर स्पष्टीकरण मांगने के साथ ही वसूली के निर्देश भी दिए जा रहे हैं.
इन दवाओं की कीमत भी लाखों में बताई जा रही है. इस मामले में जम्मू की फर्म के जरिए सप्लाई की हुई दवा आइवरमेकटिन एंड फेनबेंडाजोल बोलस को दो साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया गया है. साथ ही फर्म को निर्देश दिए गए हैं कि संबंधी बैच की विभाग में जितनी दवा सप्लाई हुई है उसके लिए विभाग की तरफ से किए गए भुगतान को तत्काल वापस किया जाये. ऐसा न करने पर भू राजस्व की तरह वसूली होगी. इसी तरह डोरामेकटिन इंजेक्शन में गड़बड़ी पर सप्लाई करने वाली उत्तराखंड की फर्म और फेनबेंडाजोल एंड आइवरमेकटिन बोलस सप्लाई करने वाली जम्मू की एक अन्य फर्म को नोटिस भेजा गया है.

मामले में पशुपालन निदेशालय के निदेशक रोग नियंत्रण और प्रक्षेत्र डॉ. जीवन दत्त ने एबीपी गंगा को बताया कि शासन स्तर पर जांच की गई थी. कुछ कमी पाए जाने के बाद जांच कमेटी का गठन किया गया. मानक से कमतर पाई गई दवाई पर नियमानुसार कार्रवाई की जा रही. अधोमानक दवाई की कीमत की रिकवरी का नियम है. दवाओं की कीमत निकलवाई जा रही है. वसूली होने के बाद कंपनी को ब्लैक लिस्ट किया जाएगा.
अभी तक 3 तरह की दवाएं संज्ञान में आई हैं. ये सब स्टैंडर्ड मानक हैं. हालांकि फर्म ने कोलकाता स्थित सेंट्रल लैब में चुनौती दी है. कोलकाता से रिपोर्ट आना बाकी है. कुछ जांचों में हमसे दस्तावेज मांगे गए थे, हमने उपलब्ध करा दिए हैं. फिलहाल हमारी तरफ से उन दवाओं पर रोक लगा दी गई है. सामग्री खरीद में जो भी जानकारी मांगी जा रही है निदेशालय स्तर पर दे रहे हैं.
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