UCC को चुनौती देने वाली याचिका पर 22 अप्रैल को होगी सुनवाई, हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दिया समय
Uttarakhand News: अब सभी मामलों की सुनवाई 22 अप्रैल को होगी. इससे पहले हुई सुनवाई में राज्य सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का समय मांगा था, जिसे स्वीकार कर लिया गया.

Uniform Civil Code: नैनीताल हाईकोर्ट में समान नागरिक संहिता (UCC) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने अगली सुनवाई के लिए 22 अप्रैल की तिथि तय की है. राज्य सरकार ने अपना पक्ष रखने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया.
हाईकोर्ट में नैनीताल निवासी प्रो. उमा भट्ट और सुरेंद्र सिंह नेगी समेत कई लोगों ने जनहित याचिका दायर कर इस कानून को चुनौती दी है. अब तक इस मामले में कई याचिकाएं दायर हो चुकी हैं, जिनमें मुख्य रूप से लिव-इन रिलेशनशिप और मुस्लिम विवाह पद्धति में किए गए बदलावों को लेकर आपत्तियां जताई गई हैं. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि लिव-इन रिलेशन में रहने वाले जोड़ों को पंजीकरण के दौरान निजी जानकारी देनी पड़ रही है.
किसने क्या किया दावा
याचिका में कहा गया है कि इससे उनकी निजता का उल्लंघन हो रहा है और उन्हें जानमाल का खतरा भी हो सकता है. वहीं, मुस्लिम और पारसी समुदाय से जुड़े कुछ लोगों ने भी अपनी याचिकाओं में आरोप लगाया है कि यूसीसी में उनके धार्मिक रीति-रिवाजों की अनदेखी की गई है.
सुनवाई के दौरान प्रभावित जोड़ों ने कोर्ट से आग्रह किया कि उनका पक्ष सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और रामचंद्रन रखेंगे, इसलिए उन्हें अगली सुनवाई की तिथि दी जाए. साथ ही, उन्होंने मांग की कि उनकी कई याचिकाएं सूचीबद्ध नहीं हो पाई हैं, उन्हें भी एक साथ सुनवाई के लिए लाया जाए. कोर्ट ने सभी याचिकाओं को एक साथ लिस्ट करने के आदेश उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री विभाग को दिए हैं.
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सरकार की मांग स्वीकार
अब सभी मामलों की सुनवाई 22 अप्रैल को होगी. इससे पहले हुई सुनवाई में राज्य सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए एक दिन का समय मांगा था, जिसे स्वीकार कर लिया गया. कोर्ट ने सरकार को जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय प्रदान करते हुए अगली सुनवाई 22 अप्रैल को करने का फैसला किया.
उत्तराखंड में लागू की गई समान नागरिक संहिता को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है. खासतौर पर लिव-इन रिलेशनशिप, मुस्लिम निकाह प्रक्रिया, पारसी समुदाय के रीति-रिवाजों और अन्य धार्मिक प्रथाओं से जुड़े प्रावधानों को लेकर सवाल उठ रहे हैं. अब 22 अप्रैल को हाईकोर्ट में इस मामले में विस्तृत सुनवाई होगी, जिसमें सरकार और याचिकाकर्ताओं की ओर से तर्क रखे जाएंगे.
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Source: IOCL





















