क्या मंदिर रोजगार नहीं देते? हिंदू सम्मेलन में संत समाज के महामंत्री ने दिया जवाब
Uttar Pradesh News: गाजीपुर में हिंदू सम्मेलन के दौरान अखिल भारतीय संत समाज के राष्ट्रीय महामंत्री जितेंद्र आनंद ने मंदिरों की अर्थव्यवस्था, रोजगार और विपक्ष के सवालों पर अपनी बात रखी.

भारत देश मंदिरों का देश कहा जाता है फिर भी बहुत सारे कट्टरपंथी और विपक्ष के लोग कहते हैं कि मंदिर क्या रोजगार देगा? इसी मामले को लेकर अखिल भारतीय संत समाज के राष्ट्रीय महामंत्री जितेंद्र आनंद गाजीपुर में हिंदू सम्मेलन में शामिल हुए जहां उन्होंने बताया कि देश की अर्थव्यवस्था 5 ट्रिलियन है और आज देश में बने मंदिरों में भी करीब पांच ट्रिलियन का सोना पड़ा हुआ है. इसके बावजूद लोग कहते हैं कि क्या मंदिर रोजगार देगा? इस दौरान उन्होंने मस्जिद और गुरुद्वारे से भी रोजगार के बारे में पूछा कि उन लोगों ने कितना रोजगार दिया है?
जितेंद्र आनंद ने कहा कि हमारे देश में हजारों साल से मंदिर केंद्रित अर्थव्यवस्था संचालित है, लेकिन इसको लेकर अफवाह फैलाया गया कि मंदिरों से सिर्फ ब्राह्मणों के पेट भरते हैं, मंदिर क्या रोजगार देगा. लेकिन किसी ने यह नहीं पूछा कि चर्च कितना रोजगार देता है? मस्जिदों के हाजी कितना रोजगार देते हैं?
आजादी के बाद 30000 मस्जिद आज 3 लाख से अधिक हो गई हैं. इनको रोजगार से देश के जीडीपी में क्या योगदान है? इनसे पूछने की हिम्मत किसी भी अर्थशास्त्री की नहीं हुई, लेकिन राम जन्मभूमि मंदिर निर्माण के समय बार-बार विपक्ष के द्वारा यही सवाल किया जा रहे थे की मंदिरों से किसी को रोजगार मिलेगा क्या?
इतिहास और मंदिरों की भूमिका
महामंत्री ने कहा कि आज पाकिस्तान में लोग मंदिर नहीं तोड़े होते तो 84 करोड़ हिंदुओं को 2019 के कोरोना काल से 5 किलो अनाज पूरे हिंदुस्तानियों को देखकर उनका पेट पाल रही है. पाकिस्तानियों का भी पेट पाल लेते, कोई कोई दिक्कत नहीं होती. लेकिन तुम लोगों ने तो अलग देश बनाया और मंदिर भी तोड़े थे.
भारत में चार लाख मंदिर सरकार के कब्जे में हैं और सरकार की 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था मौजूदा समय में है. 2016 में वर्ल्ड गोल्ड एजेंसी ने कहा था कि भारत के मंदिरों में एक ट्रिलियन का सोना है लेकिन 1976 की काली रात में विपक्ष के नेताओं को जेल में डालकर जो अपने संविधान में सेकुलरिज्म और सोशलिज्म घुसेड़ा है उसे निकाल दीजिए और कह दीजिए कि भारत हिंदू राष्ट्र है तो हम मंदिरों का सोना पूरा देश को चलाने के लिए देने को तैयार हैं.
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Source: IOCL






















