संभल दंगा: आजम खान और बर्क के दबाव में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने केस वापस लिए थे? दोबारा होगी जांच
सूत्रों के मुताबिक 1978 के सांप्रदायिक दंगों के 02 गवाहों और 04 आरोपियों के अभी जिंदा होने की जानकारी मिली है. जिनकी खोजबीन की जा रही है. दंगों के समय संभल मुरादाबाद जनपद का हिस्सा हुआ करता था.

UP News: उत्तर प्रदेश के संभल में 1978 में हुए सांप्रदायिक दंगों से जुड़े आठ मुकदमे 1993 में तत्कालीन सपा सरकार ने वापस ले लिए थे जिनकी फाइलें मुरादाबाद में खंगाली जा रही हैं. सूत्रों के मुताबिक न्यायालय के पुराने रिकॉर्ड तलाश करने पर अब तक 10 मामलों की फाइलें तो मिल चुकी हैं, लेकिन हत्या से जुड़े मूल मामले की फाइल अभी तक नहीं मिल पाई है.
इन फाइलों की जांच करने से पता चला है कि कई मामलों में जांच करने वाले अधिकारियों के बयान तक नहीं लिए गये और एक तरफा बयानों के आधार पर रिपोर्ट लगा कर केस बंद कर दिए गये थे. सूत्र बताते हैं कि फाइलों में 1978 के दंगे का रिकॉर्ड 1983 तक तो मिलता है लेकिन उसके बाद का अभी नहीं मिल पा रहा है. रिकॉर्ड खंगालने पर पता चला है कि दंगों के सारे गवाह होस्टाइल हो गये थे.
सूत्रों के मुताबिक 1993 में यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की सपा सरकार ने अपनी कैबनेट के प्रस्ताव से 1978 के संभल के साम्प्रदायिक दंगों से जुड़े 08 मुकदमे वापस लेने का फैसला लिया था. इसके पीछे सपा नेता आजम खान और पूर्व सांसद डॉ शफीकुर्रहमान बर्क की अहम भूमिका बताई जाती है.
जिंदा आरोपियों की तलाश जारी
23 दिसम्बर 1993 को आर डी शुक्ला विशेष सचिव न्याय विभाग उत्तर प्रदेश शासन ने मुरादाबाद के जिला अधिकारी को पत्र लिख कर संभल नगर में 30 मार्च 1978 में हुए दंगे से सम्बंधित 16 मुकदमों में से 08 मुकदमों को शासन द्वारा वापस लेने के निर्णय से अवगत कराया था. यही बात योगी सरकार को खटक गयी है. सूत्रों के मुताबिक 1978 के सांप्रदायिक दंगों के 02 गवाहों और 04 आरोपियों के अभी जिंदा होने की जानकारी मिली है. जिनकी खोजबीन की जा रही है.
दंगों के समय संभल मुरादाबाद जनपद का हिस्सा हुआ करता था. मार्च 1978 में संभल में साम्प्रदायिक दंगा भड़का था जिसमें कई लोगों की हत्या हुई थी. हिन्दू और मुस्लिम दोनों पक्षों की तरफ कई प्राथमिकी दर्ज कराई गयी थीं. हालाँकि कोई भी मुकदमा सजा तक नहीं पहुंचा और गवाह भी मुकर गये थे. दंगों के बाद कई पीड़ित परिवार और गवाह संभल छोड़ कर अन्य शहरों को पलायन कर गए थे जिनकी जानकारी जुटाई जा रही है.
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दोबारा हो सकती है जांच
अब एक बार फिर से 1978 में संभल में हुए सांप्रदायिक दंगों की फाइलें तलाशी जा रही हैं और योगी सरकार के आदेश पर जल्द ही इसकी दोबारा जांच शुरू हो सकती है. संभल के 1978 के साम्प्रदायिक दंगों के जिन दस मुकदमों में 2010 में आरोपियों को सबूतों के अभाव में कोर्ट ने बरी कर दिया गया था उन 10 मामलों की फाइलें तो मिल गयी हैं. लेकिन अभी बाकी की फाइल नहीं मिल पा रही हैं.
इन फाइलों में राज्य बनाम रिजवान, राज्य बनाम मुनाजिर और राज्य बनाम वाजिद आदि केस की फाइल हैं. इनमें धारा 147, 148 ,149, 395, 397, 436 और 307 आईपीसी की धाराओं में केस दर्ज हुए थे. मुरादाबाद मंडल के कमिश्नर आंजनेय कुमार सिंह ने बताया की 1978 के दंगों से जुड़े तथ्यों की खोजबीन लगातार जारी है. अभी तक हमें 10 मुकदमों की फाइलें मिल चुकी हैं. सरकार इस मामले में जो भी दिशा निर्देश हमें देगी उसके मुताबिक आगे की कार्यवाही की जाएगी.
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Source: IOCL





















