UP Politics: यूपी में नया सियासी समीकरण! अखिलेश यादव को कांग्रेस का सहारा, लेकिन मायावती से किनारा
Lok Sabha Elections 2024: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर नए सियासी समीकरण बनने के संकेत मिलने लगे हैं. अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को अब कांग्रेस (Congress) का साथ मिलने लगा है.
UP News: कांग्रेस (Congress) ने गुरुवार को सिद्धारमैया (Siddaramaiah) को कर्नाटक (Karnataka) का अगला मुख्यमंत्री नामित किया. जबकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) को उपमुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी. अब दोनों 20 मई को दोपहर साढ़े 12 बजे अपने-अपने पद की शपथ लेंगे. इसके लिए जरिए कांग्रेस यूपी में भी नया सियासी समीकरण बनाना शुरू कर दिया है.
दरअसल, 20 मई को होने वाले इस शपथ ग्रहण समारोह के लिए कांग्रेस ने यूपीए के लगभग सभी दलों को निमंत्रण भेजा है. ऐसे में कांग्रेस ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव को भी निमंत्रण भेजा है. हालांकि कांग्रेस बीएसपी चीफ मायावती से किनारा करती नजर आ रही है. पार्टी ने शपथ ग्रहण में आने के लिए बसपा चीफ को निमंत्रण नहीं भेजा है. इसके जरिए कांग्रेस ने राज्य में नए सियासी समीकरण के पूरे संकेत दे दिए हैं.
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क्या है संदेश?
कांग्रेस ने ये कदम ऐसे वक्त में उठा है, जब कर्नाटक में पार्टी की जीत के बाद बीजेपी के कई विरोधी दलों का कांग्रेस के प्रति रुख नरम पड़ा है. आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर कई दलों ने कांग्रेस को समर्थन देने की बात कही है. हालांकि अखिलेश यादव पहले यूपी में किसी भी दल से गठबंधन करने से इनकार कर रहे थे. लेकिन कर्नाटक चुनाव के नतीजों ने उनके भी रुख को बदल दिया है.
अब अखिलेश यादव ने अपने ताजा बयान में कांग्रेस को समर्थन देने के संकेत दिए हैं. जबकि इससे पहले उन्होंने कांग्रेस के गढ़ अमेठी और रायबरेली में लोकसभा चुनाव के दौरान उम्मीदवार उतारने के संकेत दिए थे. हालांकि दूसरी ओर देखा जाए तो अभी कांग्रेस ने मायावती को लेकर कोई फैसला नहीं किया है. लेकिन सूत्रों की मानें तो पार्टी मायावती शपथ ग्रहण में आने का निमंत्रण नहीं भेजेगी. यानी कांग्रेस का स्पष्ट संदेश है कि अगर अखिलेश यादव फिर से साथ आते हैं तो पार्टी तैयार है.
गौरतलब है कि 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और सपा ने गठबंधन किया था. हालांकि पार्टी को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद 2019 के लोकसभा चुनाव में सपा और बीएसपी एक साथ आए थे. लेकिन चुनाव के नतीजे आने के बाद दोनों ने गठबंधन तोड़ दिया था.