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उत्तराखंड में बारिश बनी काल, 35 से ज्यादा लोगों की हो चुकी है मौत; 25 फीट ऊंची शिव मूर्ति भी हुई जल मग्न
उत्तराखंड में बारिश बनी काल है। 35 से ज्यादा लोगों की हो मौत हो चुकी है। 25 फिट ऊंची शिव मूर्ति भी जल मग्न हुई।

देहरादून, एबीपी गंगा। उत्तराखंड में आफत की बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है। आलम यह है कि उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों पर रहने वालों का जीवन दुश्वार हो गया है, लिहाजा लोग खतरे के साये में जीने को मजबूर हैं। ये आफत की बारिश प्रदेश के 35 से अधिक लोगों की जान ले चुकी है। बीते कुछ दिनों से लगातार हो रही भारी बारिश ने उत्तराखंड के तमाम रास्तों को बाधित कर रखा है। यही नहीं, कई रास्ते ऐसे हैं, जहां प्रशासन ने मानसून सीजन शुरू होने से पहले ही तमाम व्यवस्थाएं की थी और किसी भी तरह की आपदा से निपटने के लिए प्रशासन ने दावे तो खूब किए थे, लेकिन मौजूदा हालत कुछ और ही बयां कर रहे है।
भारी बारिश के कारण पहाड़ी रास्ते बाधित हो रखे हैं। जहां चमोली जिले के क्षेत्रपाल, कोडिया और लामबगड़ के बदरीनाथ 'राष्ट्रीय राजमार्ग 58' पूरी तरह बाधित हो रखा है। लिहाजा चारधाम की यात्रा करने आने वाले यात्रियों और स्थानीय निवासियों को कुछ दूरी तक पैदल ही रास्ता तय करना पड़ रहा है।
सीधे कहें, तो आसमान से बरस रही भारी बारिश से ना सिर्फ आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो रखा है, बल्कि तमाम छोटी-बड़ी नदियों ने भी विकराल रूप धारण कर लिया है। जिससे आसपास के रहने वाले लोगों में दहशत का माहौल है। नदियों के विकराल रूप धारण करने के साथ ही कई क्षेत्रों में बादल फटने जैसी घटनाओं के बाद से बरसाती नदियां भी उफान पर आ गई हैं। जिसके चलते कई जगहों पर नदियों में मवेशियों के भी बहने की सूचना मिली है।
25 फिट ऊंची शिव की मूर्ति हुई जल मग्न
यही नहीं, उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश के चलते यहां बहने वाली अलकनंदा, मंदाकिनी, भागीरथी सहित सभी नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। इसके साथ ही, रुद्रप्रयाग में बहने वाली अलकनंदा नदी अपने पूरे रौद्र रूप में आ गई है। जिस वजह से अलकनंदा नदी के तट पर नमामि गंगे के तहत बना घाट पूरी तरह से डूब गया है। अलकनंदा नदी का रौद्र रूप बस इतने में ही शांत नहीं हुआ, बल्कि घाट पर बने 25 फुट ऊंची शिव मूर्ति भी पूरी तरह नदी में समा गई है। शिव मूर्ति का मात्र 3 फुट हिस्सा ही पानी की सतह के बाहर दिखाई दे रहा है। ऐसे में कहीं न कही नदियों का ये विकराल रूप, उत्तराखंड में 2013 में आयी भीषण आपदा की तस्वीर को जहन में ताजा कर रही है। जिससे स्थानीय निवासियों के मन मे भय का माहौल बना हुआ है।
हर साल मानसून सीजन में पहाड़ों पर आपदा जैसी स्थिति पैदा हो जाती है, जिसको देखते हुए प्रशासन पहले से ही बद्रीनाथ के आस-पास, अमूमन बंद होने वाले रास्तों पर क्रेन के साथ एनएच कंपनी मलवा हटाने को व्यवस्था करता है। हालांकि, इसके बावजूद भारी बारिश के कारण बंद हो जाने वाले रास्तों पर यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। बारिश की वजह से चमोली जिले के कई क्षेत्रों से जगह-जगह पर पहाड़ों से पत्थर और मलबा गिरने की भी सूचना आ रही है।
भारी बारिश के चलते पहाड़ों पर बन रहे दहशत के माहौल के सवाल पर सूबे के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए। उन्होंने प्रकृति के साथ समझौते और जागरूक होने की बात भी कही है। साथ ही, उन्होंने लोगो को नसीहत देते हुए कहा कि आग और पानी खतरनाक हो सकता है। लिहाजा बरसाती नदी नालों में नहाने या वहां घूमने न जाए और सावधानी पूर्वक ही इससे बचाव किया जा सकता है।
वहीं, अगर आपदा प्रबंधक विभाग की मानें, तो अभी तक करीब 35 लोगों की मौत हो चुकी है। आपदा प्रबंधन विभाग के निदेशक पीयूष रौतेला का कहना है कि पिछले साल की तुलना में इस साल कम बारिश हुई है। उनका कहना है कि इस साल अगर कम वर्षा होती है तो आने वाले समय में फसलों के लिए दिक्कत पैदा हो सकती है, लेकिन इस मौसम में बारिश का होना ठीक-ठाक है। उन्होंने कहा कि जितनी अधिक बारिश होगी, उससे भू-जल भी रिचार्ज होगा और आने वाले समय में पानी की दिक्कतें भी कम होगी।
वहीं, बादल फटा की नहीं फटा इस सवाल के जवाब ने उन्होंने बताया कि इसकी सूचना न मौसम विभाग जानता है और न ही आपदा विभाग, लेकिन अगर तकनीकी रूप से देखें, तो अगर एक घंटे के भीतर 100 मिलीलीटर से बारिश होती है तो उसे बादल फटना कहा जाता है।
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