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पीलीभीत: गेंहू खरीद का लक्ष्य पूरा करने के लिए अफसर कर रहे जी हजूरी, फिर भी नहीं आ रहे किसान

किसानों को सरकार द्वारा मिलने वाले एसपी से अधिक ₹100 से लेकर ₹200 तक फायदा खुले बाजार में फसल बेचने से मिल रहा है. लेकिन सरकार के नुमाइंदे अफसर कभी मंडी पहुंचकर आरतियों का घेराव कर दे रहे हैं.

Pilibhit News: अनाज का कटोरा कहे जाने वाले पीलीभीत में इन दिनों सरकारी क्रय केंद्रों पर गेंहू खरीद की लक्ष्य को पूरा करने के लिए असफरों को किसानों की खुशामत करनी पड़ रही है। तस्वीरों को आप जरा गौर से देखिए सरकार की नीति में शामिल गेहूं खरीद के लिए बनाए गए सरकारी क्रय केंद्र सूने पड़े हैं. दूसरी तरफ आढ़तियों और खाद्यान्न व्यापारियों के पास गेहूं के ढेर लगे हैं. 

दरअसल, अन्नादाता किसानों की हितैषी कही जाने वाली सरकार में किसानों के गेंहू का समर्थन मूल्य तय 2425 रुपये तय किया है. इसको लेकर किसानों को क्रय केंद्रों पर अपनी गेंहू की फसल लाने के लिए 20 से 25 रुपए छनाई सफाई देनी पड़ती है. उसके बाद उन्हें उनकी खून पसीने की फसल का 2430 रुपए सरकार से मिलता है और खुली बजार में गेंहू का भाव तेजी पकड़ता नजर आ रहा है.

क्या है वजह
इसे किसान मंडी में आढ़तियों और बीज भंडारण वाले व्यपारियों को 2480 से लेकर 2600 रुपए तक बेंच रहे है. मतलब साफ है कि किसानों को सरकार द्वारा मिलने वाले एसपी से अधिक ₹100 से लेकर ₹200 तक फायदा खुले बाजार में फसल बेचने से मिल रहा है. लेकिन सरकार के नुमाइंदे अफसर कभी मंडी पहुंचकर आरतियों का घेराव कर दे रहे हैं तो कभी किसानों से उनकी फसल को सरकारी क्रय केंद्रों पर तौल करने के लिए गुजारिश करते दिख रहे हैं.

सरकार से मिले एक लाख 11 हजार 500 मीट्रिक टन के लक्ष्य को पूरा किया जा सके. इसको लेकर कभी अपर जिलाधिकारी रितु पुनिया किसानों के खेतों में उतरकर उनके साथ गेहूं की फसल को काटने में उतर जा रही हैं. वहीं मंडी किसानों के लिए सबसे सस्ते दामों में ₹30 में अलग-अलग तरह के व्यंजन पौष्टिक भोजनालय की व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा कराई गई है, ताकि किसान की खुशामद और प्यार से क्रय केंद्रों पर अपना गेहूं की तौल करवा सके और सरकार के लक्ष्य की पूर्ति हो सके.

अफसर कर रहे किसानों का घेराव
लेकिन किसान मानने को तैयार नहीं, वह अपना गेहूं काम एमएसपी रेट पर सरकारी क्रय केंद्रों पर क्यों तौलवाएगा जब उसे खुली बाजार में क्रय केंद्रों से अधिक दामों पर 100 से ₹200 प्रति कुंतल पर मुनाफा हो रहा है. इसको लेकर सरकार के अफसर लगातार किसानों का घेराव करने में जुटे हैं, ताकि वह कम दामों में अपना गेहूं क्रय केंद्रों पर बेच दें.

इसको लेकर कभी खाद्य विभाग के अधिकारी से लेकर एडीएम तक जो जिला खरीद अधिकारी हैं. कभी आढ़तियों का घेराव कर खरीद का लक्ष्य पूरा कराए जाने के लिए बैठक कर रही हैं तो कभी किसने की खुशामद लेकिन किसान सरकार के मिलने वाले दामों से खुश नहीं है और अपना दम खुली बाजार में फसल बेचकर अपना फायदा काम ले इसको लेकर भी सरकार के अफसर किसान के पीछे पड़े हैं.

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क्या बोलीं एसडीएम
एसडीएम ऋतू पूनिया ने बताया कि गेहूं खरीद शुरू हो चुकी है, आज मंडी के मंडी सचिव खाद्य विपणन अधिकारी के साथ आये है. गंगवार आढ़ती संघ के अध्यक्ष के साथ मौके पर सभी के सहयोग से गेंहू खरीद की जा रही है. यहां  लोग अपना गेंहू बेचने आए हैं. सरकार का रेट है, 2425 है, प्लस 20 रूपये छनाई उतराई है. 2445 रूपये है, हम किसानों को 24 घंटे में भुगतान देंगे. इस बार किसानों के लिए बेहतर सुविधा है, हम अपने सरकारी ट्रक उनके घर भेज कर फसल खरीदने का काम किया जा रहा है. 

किसान ग्रांड नंबर दो गांव से आए किसान सुखविंदर ने बताया कि हम अपना गेंहू मंडी में खुली मंडी में बेंच रहे हैं. सरकारी रेट 2445 है, बाहर 2475 है तो हम क्रय केंद्र पर नहीं बेचेंगे, व्यपारी को बेचेंगे. धान वैसे भी भीग गया बर्बाद हो गया कटाई में वैसे ही लेट हो गए. आफताब ने बताया देखिए यदि 2500 रुपए प्रति क्विंटल से ऊपर बिकेगा तो क्रय केंद्र पर देंगे, वरना बाजार आढ़तियों को देंगे ताकि जहां कगीत दाम मिलेगा वही देंगे.

महेंद्र पाल ने बताया आढ़तियों और व्यपारियों से अच्छा रेट मिल रहा है तो हम क्रय केंद्रों पर नहीं बेचेंगे, अपनी फसल प्राइवेट में बेचेंगे. किसान के गेहूं की फसल का खुला मार्केट में अच्छा दाम मिल रहा है और सरकारी क्रय केंद्रों पर ₹100 से लेकर 150 रुपए 200 रुपए प्रति कुंतल पर कम है. तब आखिर किसान अपना गेहूं का फसल क्रय केंद्र पर क्यों बचेगा, सीधे तौर पर आढतीयों पर बेंच कर बेहतर धाम ले रहा है तो सरकार के अफसर उसे केंद्र पर ले जाने का तरीका ढूंढ रहे हैं.

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