Mukhtar Ansari: बांदा जेल में आज भी वैसे ही पड़ा ही मुख्तार अंसारी का सामान, 1 साल बाद खुलेगी बैरक
Mukhtar Ansari News: मुख्तार का सामान आज भी बांदा जेल में उसकी बैरक में रखा हुआ है. उसके परिजन ये सामान लेने नहीं आए. जिसे लेकर कोर्ट ने आदेश दिया है उसका सामान को परिवार को दे दिया जाए.

Mukhtar Ansari News: पूर्वांचल का बाहुबली माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की मौत को एक साल पूरा हो गया. पिछले साल 28 मार्च को बांदा के रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज में मुख्तार अंसारी की हार्ट अटैक से मौत हो गई थी. जिस समय मुख्तार अंसारी की मौत हुई उस समय वह बांदा के मंडल कारागार में अपने गुनाहों की सजा काट रहा था. मुख्तार का सामान आज भी उसकी बैरक में है जिसे लेकर कोर्ट ने आदेश दिया है उसके सामान को परिजनों को वापस दे दिया जाए.
मुख्तार की मौत के बाद बाँदा जेल के बैरक नंबर 16 को जहां मुख्तार कैद था उसे सील कर दिया गया था जहां आज भी मुख्तार का सारा सामान वैसे ही पड़ा है. मुख्तार अंसारी की मौत के बाद से उसके परिवार का कोई भी सदस्य उसका सम्मान लेने के लिए बांदा जेल नहीं आया. लेकिन, अब लोअर कोर्ट ने यह आदेश दिया है कि मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में एक टीम बनाकर मुख्तार के बैरक को खोलकर उसका सामान परिजनों को दे दिया जाए साथ ही इस पूरी प्रक्रिया की वीडियो ग्राफी भी कराई जाएगी.
परिजनों को सौंपा जाएगा मुख्तार का सामान
बांदा मंडल कारागार के जेल अधीक्षक अनिल कुमार गौतम ने बताया कि मुख्तार अंसारी की विगत 28 मार्च को मृत्यु हो गई थी तब से उसके बैरक को सील कर दिया गया था मुख्तार का सारा सामान भी बैरक में ही बंद है. क्योंकि मामला कोर्ट में विचाराधीन था जांच चल रही थी. लेकिन अब लोअर कोर्ट ने उसमें डायरेक्शन दिए हैं कि उस बैरक की सील को खुलवाया जाए और उसकी प्रॉपर वीडियो ग्राफी कराई जाए जिसके लिए मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित होगी जिसके सामने बैरक से सारा समान निकाला जाएगा और उनके परिजनों के सुपुर्द कर दिया जाएगा.
जेल अधीक्षक ने कहा कि इसके क्रम में उनके द्वारा जिलाधिकारी को इस प्रक्रिया के लिए मजिस्ट्रेट नामित करने के संबंध में पत्राचार किया जा चुका है. मुख्तार अंसारी की मृत्यु के पश्चात उनका कोई भी परिजन यहां नहीं आया उनके द्वारा कई बार मुख्तार के परिजनों से पत्राचार भी किया गया कि मुख्तार के कस्टडी सर्टिफिकेट और पोस्टमार्टम से संबंधित कागजातों को आकर ले जाए लेकिन परिजनों ने सुरक्षा में खतरा बताते हुए यहां आने से इनकार कर दिया और सभी जरूरी कागज व सामान को रिसीव करने के लिए अपने वकील को नामित कर दिया है. कोर्ट के आदेश पर मुख्तार की बैरक को खुलवाकर उसका सारा सामान परिजनों को उपलब्ध करा दिया जाएगा.
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