UP Politics: BSP दफ्तर में मायावती को अनहोनी का डर? इस वजह से कर रही हैं नया कार्यालय देने की मांग
बीएसपी की मुखिया मायावती लगातार समाजवादी पार्टी पर हमलावर है. अब उन्होंने बीएसपी के कार्यालय पर अनहोनी होने की संभावना जताई है, जिसके कारण वो वहां पर बैठकें नहीं करती हैं.

UP News: आगामी लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन में बसपा के शामिल होने और न होने की उहापोह के बीच अखिलेश यादव बयान दिया था. जिसपर मायावती लगातार समाजवादी पार्टी पर हमलावर हो रही हैं. मायावती ने एक्स पर पोस्ट करते हुए समाजवादी पार्टी को दलित विरोधी बताया है. मायावती ने गेस्ट हाउस कांड की भी याद दिलाई और बसपा कार्यालय के सामने बने पुल को भी षड्यंत्र का हिस्सा बताया. मायावती ने कहा कि अराजक तत्व कभी भी पुल के माध्यम से उनके कार्यालय को हानि पहुंचा सकते हैं.
मायावती ने लिखा कि सपा अति-पिछड़ों के साथ-साथ जबरदस्त दलित-विरोधी पार्टी भी है, हालांकि बीएसपी ने पिछले लोकसभा आमचुनाव में सपा से गठबंधन करके इनके दलित-विरोधी चाल, चरित्र व चेहरे को थोड़ा बदलने का प्रयास किया. लेकिन चुनाव खत्म होने के बाद ही सपा पुनः अपने दलित-विरोधी जातिवादी एजेंडे पर आ गई और अब सपा मुखिया जिससे भी गठबंधन की बात करते हैं.
उनकी पहली शर्त बसपा से दूरी बनाए रखने की होती है, जिसे मीडिया भी खूब प्रचारित करता है. वैसे भी सपा के 2 जून 1995 सहित घिनौने कृत्यों को देखते हुए व इनकी सरकार के दौरान जिस प्रकार से अनेकों दलित-विरोधी फैसले लिये गये हैं. जिनमें बीएसपी यूपी स्टेटआफिस के पास ऊँचा पुल बनाने का कृत्य भी है. जहाँ से षड्यन्त्रकारी अराजक तत्व पार्टी दफ्तर, कर्मचारियों व राष्ट्रीय प्रमुख को भी हानि पहुँचा सकते हैं.
उन्होंने आगे लिखा, 'जिसकी वजह से पार्टी को महापुरुषों की प्रतिमाओं को वहाँ से हटाकर पार्टी प्रमुख के निवास पर शिफ्ट करना पड़ा साथ ही, इस असुरक्षा को देखते हुए सुरक्षा सुझाव पर पार्टी प्रमुख को अब पार्टी की अधिकतर बैठकें अपने निवास पर करने को मजबूर होना पड़ रहा है, जबकि पार्टी दफ्तर में होने वाली बड़ी बैठकों में पार्टी प्रमुख के पहुंचने पर वहां पुल पर सुरक्षाकर्मियों की अतिरिक्त तैनाती करनी पड़ती है. ऐसे हालात में बीएसपी यूपी सरकार से वर्तमान पार्टी प्रदेश कार्यालय के स्थान पर अन्यत्र सुरक्षित स्थान पर व्यवस्था करने का भी विशेष अनुरोध करती है, वरना फिर यहाँ कभी भी कोई अनहोनी हो सकती है. साथ ही, दलित-विरोधी तत्वों से भी सरकार सख़्ती से निपटे, पार्टी की यह भी माँग है.'
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क्या है पुल विवाद?
आपको बता दें कि इस वक्त मौजूदा बीएसपी दफ्तर के सामने कैंट को जाने वाली रोड पर बसपा कार्यालय के बाहर पुल का निर्माण हुआ है. पुल का निर्माण होने के बाद बीएसपी ने इसका काफी विरोध किया था, जिसके बाद प्लास्टिक के शीट को पुल की रेलिंग के किनारे लगा के ढका गया. जिससे आने जाने वाले लोगों को कार्यलय न दिखें.
सपा और बसपा में इस तरीके की रार काफी पुरानी है. सपा के कार्यकाल में मायावती द्वारा किए गए कामों की अनदेखी हुई तो बसपा में सपा कामों की. सपा के कार्यकाल में अंबेडकर पार्क की दुर्दशा हुई थी, वहीं बसपा के कार्यकाल में लोहिया पार्क बदहाल हुआ. गोमती नगर में लोहिया अस्पताल में लोहिया की मूर्ति के उद्घाटन के लिए मुलायम सिंह यादव को जाने की अनुमति नहीं मिली, वह वहां पहुंचे मूर्ति का कपड़ा हटाने तो बसपा ने सीढ़ी तक खिंचवा ली थी.
बीएसपी पहले भी कई बार सपा पर आरोप लग चुकी हैं कि समाजवादी पार्टी ने बीएसपी का कार्यालय खराब करने के लिए पुल बनाया है. कई बार बीएसपी की मुखिया ने यह बयान भी दिया कि उनकी सरकार आएगी तो समाजवादी पार्टी कार्यालय के सामने भी पुल बनवाएंगी हालांकि 2012 के बाद बसपा सत्ता में नहीं आ पाई.
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