मौलाना कल्बे जव्वाद का दावा- यूपी की ये सरकारी इमारतें वक्फ की जमीन पर, नहीं मिल रहा हक
मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा कि आज वक्फ की 80 प्रतिशत जमीनों पर सरकार का कब्जा है और मुसलमानों को उनका हक नहीं मिल रहा है.

Lucknow News: वक्फ कानून में संशोधन को लेकर राजधानी लखनऊ में शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद ने कड़ी नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वक्फ कानून का असली उद्देश्य वक्फ की जमीनों पर स्थायी रूप से कब्जा करना है. मौलाना ने कहा कि इस कानून से सिर्फ मुसलमानों की ही नहीं, बल्कि हर धर्म के वक्फ की संपत्ति को खतरा है.
मौलाना जव्वाद ने आरोप लगाया कि लखनऊ के प्रतिष्ठित इंद्रा भवन और जवाहर भवन, जो सरकार के बड़े कार्यालय हैं, वक्फ की जमीन पर बनाए गए हैं. उन्होंने कहा कि “यह जमीनें वक्फ की हैं और कांग्रेस सरकार ने इन्हीं जमीनों पर ये भवन बनवाए थे. अब बीजेपी उन्हीं पदचिन्हों पर चल रही है.”
उन्होंने कहा कि आज वक्फ की 80 प्रतिशत जमीनों पर सरकार का कब्जा है और मुसलमानों को उनका हक नहीं मिल रहा है. मौलाना के अनुसार, “सरकारें वक्फ संपत्तियों पर कब्जा कर रही हैं और मुसलमान आज भी पंचर बनाने जैसे छोटे-मोटे कामों तक सीमित हैं.”
हुसैनाबाद ट्रस्ट पर गंभीर आरोप
मौलाना कल्बे जव्वाद ने लखनऊ स्थित हुसैनाबाद ट्रस्ट की संपत्ति और आमदनी पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि, “पिछले 24 सालों से यह ट्रस्ट डीएम की निगरानी में है. करोड़ों की आमदनी होती है, लेकिन उसका कोई लाभ मुसलमानों को नहीं दिया गया.” उन्होंने यहां तक आरोप लगाया कि इमामबाड़े की सोने-चांदी की चीजें डीएम की देखरेख में बेच दी गईं.
‘कांग्रेस मुसलमानों की सबसे बड़ी दुश्मन’
मौलाना ने कांग्रेस पार्टी पर भी निशाना साधा और कहा कि “मुसलमानों की सबसे बड़ी दुश्मन कांग्रेस रही है. बीजेपी उसकी ही नकल कर रही है.” उन्होंने बीजेपी को कांग्रेस का ‘शिष्य’ बताते हुए कहा कि दोनों पार्टियां वक्फ की संपत्तियों पर कब्जे की नीति में समान हैं.
पंचर बनाने की टिप्पणी पर दी सफाई
मौलाना जव्वाद ने अपनी ‘मुसलमान पंचर बना रहा है’ वाली टिप्पणी को लेकर सफाई भी दी और कहा कि “सिर्फ मुसलमान ही नहीं, हर धर्म के लोग पंचर का काम करते हैं.” उन्होंने यह बात उस संदर्भ में कही थी जब वह यह बता रहे थे कि कैसे वक्फ संपत्तियों का लाभ मुसलमानों तक नहीं पहुंचता.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने हाल ही में वक्फ अधिनियम में कुछ संशोधन प्रस्तावित किए हैं, जिनका कई मुस्लिम संगठनों ने विरोध किया है. इन संशोधनों को लेकर दावा किया जा रहा है कि इससे वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता प्रभावित होगी और सरकारी नियंत्रण बढ़ जाएगा.
मौलाना जव्वाद लंबे समय से वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और उनके सही उपयोग के पक्ष में आवाज उठाते रहे हैं. उनका मानना है कि अगर वक्फ की संपत्तियों का सही से प्रबंधन हो तो मुसलमानों की शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार जैसी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है.
उनकी इस हालिया प्रतिक्रिया ने एक बार फिर वक्फ कानून और सरकार की नीयत को लेकर बहस छेड़ दी है.
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