अनोखा ‘ताड़का वध’, हाथी ने पैरों से कुचलकर किया प्रतीकात्मक वध, हजारों की संख्या में आए भक्त
UP News: झांसी के मावली माता मंदिर प्रांगण में हर साल नवमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तक चलने वाले मेले का मुख्य आकर्षण विशालकाय ताड़का का प्रतीकात्मक वध, जो एक सजीव हाथी के माध्यम से कराया जाता है.

Jhansi News: बुंदेलखंड की धरती पर आस्था और परंपरा का अद्भुत संगम देखने को मिला जब झांसी जनपद के मऊरानीपुर तहसील स्थित ग्राम भदरवारा में चैत्र नवरात्रि के अवसर पर आयोजित ऐतिहासिक ‘ताड़का वध’ मेले में हजारों की संख्या में लोग जुटे. मावली माता मंदिर प्रांगण में हर साल नवमी तिथि से लेकर पूर्णिमा तक चलने वाले इस विशेष मेले का मुख्य आकर्षण रहा. विशालकाय ताड़का का प्रतीकात्मक वध, जो एक सजीव हाथी के माध्यम से कराया गया.
शनिवार की शाम ताड़का रूपी पुतले को मंदिर परिसर में युवाओं ने कंधों पर उठा कर पूरे मैदान में घुमाया और फिर हाथी से उसे प्रतीकात्मक रूप से कुचलवाया गया. इसके बाद ताड़का का दहन किया गया, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से हजारों श्रद्धालु पहुंचे. इस पूरे आयोजन में बैंड-बाजे, डीजे और धार्मिक जयकारों की गूंज ने वातावरण को पूरी तरह भक्तिमय बना दिया.
पुरानी परंपरा को जीवंत रखने की कोशिश
मंदिर के पुजारी विजय तिवारी ने बताया कि यह परंपरा कई वर्षों से चली आ रही है और बुंदेलखंड के धार्मिक व सांस्कृतिक इतिहास में इसका विशेष स्थान है. ताड़का का प्रतीकात्मक वध रावण वध की ही तरह एक दैत्यानी का अंत दर्शाता है, जो असत्य, अधर्म और अज्ञानता का प्रतीक मानी जाती है.
ग्राम प्रधान शिवा जी ने बताया कि यह आयोजन गांव की एकजुटता और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है. न सिर्फ गांव के लोग, बल्कि आस-पास के गांवों से भी लोग यहां शामिल होते हैं और इस परंपरा को आगे बढ़ाने में सहयोग करते हैं.
परंपरा का धार्मिक महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार ताड़का एक राक्षसी थी, जिसे भगवान राम ने अपने वनवास काल के दौरान मारा था. उसी पौराणिक घटना को प्रतीकात्मक रूप से इस मेले में दोहराया जाता है. बुंदेलखंड क्षेत्र में इस आयोजन को एक विशिष्ट धार्मिक उत्सव के रूप में देखा जाता है, जहां आसुरी शक्तियों पर दिव्य विजय का संदेश दिया जाता है.
भदरवारा गांव का यह ‘ताड़का वध’ उत्सव सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि सांस्कृतिक विरासत का ऐसा पर्व बन चुका है जो लोगों को जोड़ता है, धार्मिक भावना को बल देता है और बुंदेलखंड की संस्कृति को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाने का कार्य करता है.
यह भी पढ़ें- डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य बोले- 'सपा का PDA मतलब परिवार डेवलपमेंट एसोशिएशन'
Source: IOCL






















