UP News : बिजली कंपनियां झेल रहीं करोडों का घाटा, पॉवर कॉरपोरेशन ने सभी जिलों के डीएम को लिखा पत्र
उत्तर प्रदेश में उपभोक्ता विद्युत संकट का सामना कर रहे हैं वहीं यहां बिजली वितरण कंपनियां (DISCOM) करोड़ों का घाटा झेल रही हैं. इस बीच जिला प्रशासन के अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है.

UP News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में एक तरफ बिजली वितरण कंपनियां (DISCOM) लगभग एक लाख करोड़ का घाटा झेल रही हैं और उपभोक्ता विद्युत संकट झेल रहे हैं तो दूसरी तरफ अधिकारियों की ढिलाई और लापरवाही से ऊर्जा विभाग के करीब 12,353 करोड़ से अधिक की वसूली नहीं हो पा रही. ये वो रकम है जिसके लिए रिकवरी सर्टिफिकेट यानी आरसी जारी की जा चुकी है. इसे लेकर अब पॉवर कॉरपोरेशन के एमडी पंकज कुमार ने सभी डीएम को पत्र भेजकर वसूली में तेजी लाने के लिए कहा है.
पॉवर कारपोरेशन के एमडी के पत्र में आरसी की वसूली से जुड़े जो आंकड़े दिए गए हैं वो बताने के लिए काफी हैं कि जिला प्रशासन इसमें किस कदर लापरवाही कर रहा है. इसकी सजा उन उपभोक्ताओं को भुगतनी पड़ रही है जो ईमानदारी से अपना बिल भुगतान करते हैं. बीते तीन साल में करीब 6 लाख बकायेदारों से वसूली के लिए 13,743 करोड़ से अधिक के रिकवरी सर्टिफिकेट जारी किए जा चुके हैं. लेकिन इनमे से महज 530 करोड़ के करीब ही वसूली हो पाई है.
आकंड़ों से समझे वसूली का गणित
आंकड़ों के हिसाब से अगर देखें कि तो बीते तीन सालों में वसूली में गिरावट आ रही है. वित्त वर्ष 2019-20 में 2483.95 करोड़ की आरसी जारी हुई लेकिन वसूली सिर्फ 274 करोड़ यानी 11.03 फीसदी ही वसूली हुई. अगले वित्त वर्ष 2020-21 में 3561.80 करोड़ की आरसी जारी हुई लेकिन 193.81 करोड़ यानी 05.44 फीसदी ही वसूली हो पाई, जबकि 2021-22 में 7697.70 करोड़ की आरसी जारी हुई और वसूली 62.90 करोड़ ही हो पाई.
आंकड़ों को देखें तो वसूली की रफ़्तार साल दर साल कम ही होती जा रही है. इन तीन साल में आरसी जारी होने की रकम बढ़ती जा रही है तो वसूली घटती जा रही है. नतीजा ये कि 2021-22 में कुल जारी आरसी के एक फीसदी से भी कम वसूली हुई है. पॉवर कॉरपोरेशन एमडी ने डीएम के नाम चिट्ठी में कहा है कि 4 मई तक के आंकड़ों के अनुसार, पूरे प्रदेश में आरसी के 5, 89,146 मामले लंबित हैं जिनमे 12,353.49 करोड़ रुपये की वसूली होनी है. इस पत्र में पॉवर कारपोरेशन के ख़राब वित्तीय हालात का भी हवाला दिया गया है.
वसूली न होने से बिजली आपूर्ति में अड़चन
पत्र में यह आशंका भी जताई गई है कि वसूली न होने पर रोस्टर के हिसाब से बिजली देने में अड़चन आ सकती है. असल में पॉवर कॉरपोरेशन के पास पैसा न होने पर कोयला कंपनियों को समय से भुगतान, ऋण के ब्याज का भुगतान और अन्य खर्चे पूरा करना मुश्किल होता है. इस वजह से बिजली ख़रीदने में मुश्किल आती है और नतीजतन बिजली संकट पैदा होता है.
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