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कर्नल आशुतोष शर्मा में वर्दी के लिये था जुनून...तो मां के लिये कोमल ह्रदय वाला बेटा...पढ़ें शहीद की कहानी

कर्नल आशुतोष शर्मा आतंकियों से लोहा लेते हुये अपने प्राणों की तनिक परवाह नहीं की और देश के नाम शहादत दी

नई दिल्ली, एबीपी गंगा। जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में शहीद हुये कर्नल आशुतोष शर्मा की बहादुरी के किस्से अब फिजाओं में तैर रहे हैं। रविवार को आतंकियों से मोर्चा लेते हुये कर्नल समेत सेना के पांच जवान शहीद हो गये थे। लंबे अरसे के बाद आतंकियों के साथ एनकाउंटर में कोई कर्नल शहीद हुआ है। परिवार वालों के मुताबिक वर्दी के प्रति उनका जुनून देश सेवा तक ले गया। उनकी पत्नी का कहना है कि उनके न रहने की खबर पर आंसू बहाना शहादत का अपमान है। यही नहीं अपने कर्नल आशुतोष शर्मा सीमा पर सख्त प्रहरी थे तो मां के लिये मन में कोमल भाव वाले पुत्र। कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपनी मां को याद करते हुये भावुक कर देने वाली एक कविता लिखी थी।

'वो अक्सर घर को सम्भालती, संवारती रहती है

मेरी मां मेरे घर आने की राह निहारती रहती है

लौट कर आऊंगा मैं भी पंछी की तरह मैं भी एक दिन

वो बस इसी उम्मीद में दिन गुजारती रहती है

उससे मिले हुए हो गया पूरा एक साल लेकिन

उसकी बातों में मेरे सरहद पर होने का गुरूर दिखता है।'

कर्नल आशुतोष शर्मा बेहद जिंदादिल इंसान थे। सभी के बीच आसानी से घुल-मिल जाते थे। अपने से जूनियर अधिकारियों से हंसी मजाक में कोई कोर कसर बाकी नहीं रखते थे। लेकिन जब अनुशासन की बात हो तो उतने ही कड़क अफसर की भांति व्यवहार करते थे। किसी भी ऑपरेशन में वे सक्रिय रहते हुये अपने साथी जवानों की हौसला बढ़ाने में पीछ नहीं रहते थे।

पत्नी के कहा-आंसू बहाना शहादत का अपमान

शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा की पार्थिव देह सोमवार को जयपुर लाई जाएगी और यहीं सैनिक सम्‍मान के साथ उनके पार्थिव शरीर का अंतिम संस्कार किया जाएगा। मूल रूप कर्नल शर्मा उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले थे। उनके बड़े भाई पीयूष शर्मा, पत्नी पल्लवी शर्मा और 12 साल की बेटी तमन्ना जयपुर में ही रहते हैं। हंदवाडा के एनकाउंटर में आशुतोष शर्मा के शहीद होने की खबर रविवार सुबह उनके परिवार को मिली। खबर सुनने के बाद परिवार को झटका लगा लेकिन सभी को उनकी शहादत पर गर्व है।

सेना की वर्दी उनके लिए जुनून थी

पत्नी पल्लवी शर्मा का कहना है कि सेना की वर्दी उनके लिए जुनून थी और उन्होंने जो किया है, वह उनका निर्णय था। ऐसे में हमें कोई हक नहीं बनता कि हम उनके सर्वोच्च बलिदान पर आंसू बहाएं। हमें उनकी शहादत पर गर्व है। उन्होंने बताया कि एक मई को आखिरी बार उनसे बात इुई थी। उस दिन उनकी रेजिमेंट का स्थापना दिवस था। दोपहर में लंच के समय बात हुई। इसके बाद शाम पांच बजे उनका मैसेज था कि वे बाहर हैं।

21 आरआर ने 20 साल बाद खोया कर्नल

कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों का नेतृत्व कर रही 21 राष्ट्रीय राइफल ने 20 साल बाद कर्नल रैंक का अधिकारी खोया है। इससे पहले 21 अगस्त 2000 को सेना की 21 राष्ट्रीय राइफल के तत्कालीन सीओ कर्नल राजेंद्र चौहान व ब्रिगेडियर बीएस शेरगिल जाचलदारा गांव में आइईडी धमाके में शहीद हो गए थे। इसके करीब 20 साल बाद कर्नल आशुतोष शर्मा रविवार सुबह शहीद हुए।

सेना में जाने का जुनून...13वें प्रयास में हुये कामयाब

शहीद कर्नल आशुतोष शर्मा के बड़े भाई पीयूष शर्मा के मुताबिक वह जो ठान लेते थे जरूर करते थे। सेना में जाने का संकल्प उन्होंने मन में कर लिया था। पीयूष ने बताया कि सेना में भर्ती होने के लिये तकरीबन साढ़े छह साल प्रयास किया और आखिरकार 13वें प्रयास में उन्होंने कामयाबी हासिल की।

जयपुर में एक दवा कंपनी में काम करने वाले पीयूष ने कहा, उनका एकमात्र सपना थल सेना में भर्ती होना था, कुछ और नहीं। पीयूष ने कहा, 13 वें प्रयास में सफलता हासिल करने तक वह थल सेना में शामिल होने के लिए जी-जान से जुटे रहे थे। कर्नल शर्मा अपने बड़े भाई पीयूष से तीन साल छोटे थे।

अपने भाई के साथ एक मई को हुई बातचीत को याद करते हुए पीयूष ने कहा, यह राष्ट्रीय राइफल्स का स्थापना दिवस था और उसने हमें बताया कि उन लोगों ने कोविड-19 महामारी के बीच इसे कैसे मनाया।

गौरतलब है कि उत्तर कश्मीर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ के दौरान रविवार सुबह शहीद होने वाले पांच सुरक्षाकर्मियों में कर्नल शर्मा भी शामिल हैं। आतंकियों का मुकाबला करने के दौरान अपने प्राण न्यौछावर करने वाले वह 21 वीं राष्ट्रीय राइफल्स के दूसरे कमांडिंग ऑफिसर हैं।

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