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Kedarnath Yatra 2023: तीर्थयात्रियों के लिए आसान नहीं है राह! लगभग 25 फीट के ग्लेशियरों के बीच से होकर जाना होगा धाम

Chardham Yatra 2023: पहले चरण की केदारनाथ यात्रा (Kedarnath Yatra) शुरू होने के बाद तीर्थयात्रियों को इन ग्लेशियर से होकर गुजरना पड़ेगा हालांकि श्रद्धालुओं के लिए यह सफर रोमांच भरा रहने वाला है.

Kedanath News: केदारनाथ धाम (Kedarath Dham) के कपाट 25 अप्रैल को आम श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिए जाएंगे. यात्रा शुरू होने में महज एक हफ्ते का समय ही बाकी रह गया है. केदारनाथ यात्रा के आधार शिविर गौरीकुंड से बाबा केदारनाथ की 18 किमी पैदल यात्रा शुरू होती है. यहां से भक्त घोड़े-खच्चर, डंडी-कंडी और पालकी के सहारे केदारनाथ धाम की यात्रा करते हैं. कपाट खुलने को लेकर जहां स्थानीय लोगों में उत्साह बना हुआ है, वहीं ये लोग तैयारियों में जुटे हुए हैं. 

गौरीकुंड को मिनी नेपाल के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि इस स्थान पर ज्यादा संख्या में होटल व्यवसाय में नेपाल मूल के लोग हैं, जो सदियों से यहां पर रहकर होटल, घोड़ा-खच्चर, डंडी-कंडी  और पालकी का व्यवसाय करते हैं. साथ ही गौरीकुंड से कुछ दूरी पर घोड़ा-खच्चरों के लिए प्रीपेड काउंटर भी लगा हुआ है, जहां से तीर्थयात्री घोड़े-खच्चरों का किराया देकर बाबा केदारनाथ की यात्रा कर सकते हैं. प्रशासन की ओर से इस बार घोड़े-खच्चरों के मालिक और हॉकर पर सख्त निगरानी रखी जाएगी, जिससे पैदल मार्ग पर तीर्थयात्रियों के साथ कोई अप्रिय घटना घटित ना हो. 

तीर्थयात्रियों के लिए की गई ये व्यवस्था
गौरीकुंड से निकलने के बाद पैदल पड़ाव पर चार किमी दूरी तय करने के बाद सबसे पहले जंगलचट्टी स्थान पड़ता है.जहां पर स्थानीय लोगों ने दुकानें खोल दी हैं.साथ ही यहां पर इस बार पशु पालन विभाग ने घोड़े-खच्चरों के लिए गर्म पानी की व्यवस्था की है और तीर्थयात्रियों के लिए भी गर्म पानी की व्यवस्था की गयी है.वैसे मवेशियों के लिए यात्रा मार्ग पर जगह-जगह गर्म पानी की व्यवस्था की गयी है. 

केदारनाथ यात्रा में तीर्थयात्रियों को स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएं देने के लिए जगह-जगह स्वास्थ्य केन्द्र स्थापित किये गये हैं.इन स्वास्थ्य केन्द्रों में प्रशासन ने सभी प्रकार की सुविधाएं देने के दावे किये हैं, जिससे कोई अप्रिय घटना घटने के बाद शीघ्रता से तीर्थयात्री का इलाज किया जा सके.अभी तक स्वास्थ्य विभाग की टीम इन स्वास्थ्य केन्द्रों में नहीं पहुंची हैं हालांकि इन्हें रंग-रौबन से जरूर सजाया गया है. 

गौरीकुंड-केदारनाथ के 18 किमी पैदल मार्ग पर जगह-जगह अव्यवस्थाएं देखने को मिली.पैदल मार्ग के रामबाड़ा से कुछ दूरी पर पिछली बरसात में ध्वस्त हुई पुलिया के स्थान पर आज तक नयी पुलिया का निर्माण नहीं हो पाया है, जिस कारण तीर्थयात्रियों को इस स्थान पर जान हथेली पर रखकर सफर तय करना पड़ सकता है.खासकर घोड़े-खच्चर मालिकों को यहां पर दिक्कतें हो सकती हैं.इसके साथ ही अभी तक कई जगहों पर रैन शेल्टर का काम भी पूरा नहीं हो पाया है. 

केदारनाथ पैदल मार्ग पर लिनचैली से आगे दो से तीन स्थानों पर बड़े-बड़े ग्लेशियर बने हुए हैं. जिनको काटकर प्रशासन ने रास्ता तैयार किया है. यहां पर एक स्थान पर 10 से 15 फीट तो दूसरे स्थान 20 से 25 फीट तक ग्लेशियर देखे जा सकते हैं. प्रथम चरण केदारनाथ यात्रा शुरू होने के बाद तीर्थयात्रियों को इन ग्लेशियर से होकर गुजरना पड़ेगा हालांकि श्रद्धालुओं के लिए यह सफर रोमांचित भरा रहेगा, लेकिन इन ग्लेशियरों के टूटने का भी खतरा बना रहता है. ऐसे में तीर्थयात्रियों को सावधानी बरतने की खास आवश्यकता है. 

केदारनाथ यात्रा मार्ग के लिनचैली से लेकर बेस कैंप तक स्थानीय लोगों को लॉटरी के माध्यम से टैंट, ढाबा और स्वयं सहायता समूह को रोजगार को लेकर जगह आवंटित की जाती हैं, जिससे वह उस जगह पर रोजगार शुरू कर सकें, लेकिन इस बार लोगों के सामने असंमजस की स्थिति बनी हुई है. पिछले साल जिन लोगों को दुकानें लॉटरी के माध्यम से मिली, वे अब उस स्थान को छोड़ने को तैयार नहीं हैं. साथ ही जो आपदा प्रभावित क्षेत्र हैं उन्हें भी अब तक रोजगार नहीं मिल पाया है. इसके साथ ही स्वास्थ्य और पेयजल की समस्या अभी तक दुरूस्त नहीं हो पायी है जिससे रोजगार शुरू करने वाले लोगों के सामने दिक्कतें बनी हुई हैं. 

पुनर्निर्माण कार्यो में की जा रही है तेजी 
केदारनाथ धाम में इन दिनों मौसम साफ है. मौसम साफ रहने के चलते पुनर्निर्माण कार्यो में भी तेजी देखने को मिल रही हैं, जबकि इन निर्माण कार्यो के चलते यात्रा तैयारियों में दिक्कतें हो रही है. इस बार मार्च महीने में बर्फबारी नहीं हुई और अप्रैल महीने के पहले हफ्ते में जमकर बर्फबारी होने के बाद पुनर्निर्माण कार्य देरी से शुरू हुए हैं. ऊपर से केदारनाथ यात्रा भी इस बार दो हफ्ते पहले से शुरू हो रही है. जिस कारण केदारनाथ मंदिर मार्ग पर जीर्ण-शीर्ण भवनों को तोड़ने के बाद अव्यवस्था फैल गयी है. 

इन भवनों को तोड़ने के बाद नये भवनों का निर्माण इन्हीं स्थानों पर किया जायेगा. ये भवन 2013 की आपदा के बाद जीर्ण-शीर्ण हालत में थे. जिन्हें अब ध्वस्त कर दिया गया है. इसके अलावा धाम में अन्य कार्यो को भी किया जा रहा है. केदारनाथ धाम में यात्रा व्यवस्थाओं को लेकर श्री बद्री-केदार मंदिर समिति भी तैयारियों में जुट गई है. मंदिर समिति की ओर से केदारनाथ मंदिर की साफ-सफाई का कार्य किया जा रहा है. इसके साथ ही बाबा केदारनाथ की डोली के स्वागत को लेकर भी तैयारियां की जा रही हैं. मंदिर से पुराने फूलों को निकालकर नये फूलों को लगाया जायेगा.

केदारनाथ धाम में आईटीबीपी के जवान भी तैनात हैं, जो शीतकाल में भी बाबा की सुरक्षा में डटे रहते हैं. अब इनके सामने यात्रा सीजन में तीर्थयात्रियों को बेहतर ढंग से दर्शन कराने का जिम्मा है. साथ ही धाम में तीर्थयात्रियों की सेवा में भी आईटीबीपी के जवान हर समय तत्पर रहते हैं, जहां शीतकाल में केदारनाथ धाम में रहना मुश्किल हो जाता है, तो वहीं इन जवानों ने धाम की सुरक्षा करते हुए अपनी ड्यूटी का निर्वहन किया है. 

केदारनाथ धाम में अभी भी स्वास्थ्य और पेयजल को लेकर कोई कार्य नहीं किया गया है, जबकि रहने के लिए प्रशासन की ओर से टैंट नहीं लगाये गये हैं. इस बार जीएमवीएन की ओर से 200 टैंट लगाकर 2 हजार तीर्थयात्रियों की धाम में रहने की व्यवस्था की जानी है, मगर धाम में अभी तक इन टैंटों को लगाये जाने को लेकर कोई व्यवस्था नहीं की गयी है.ऐसे में शुरूआती चरण की यात्रा में श्रद्धालुओं को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है. 

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