यूपी में BJP के इस फैसले से बढ़ सकती है सपा की टेंशन? इन दावों से लखनऊ से दिल्ली तक सियासी हलचल
UP Politics: यूपी में बीजेपी के अध्यक्ष को लेकर जारी चर्चाओं के बीच अब दावा है कि पार्टी सपा चीफ अखिलेश यादव के पिच पर खेल सकती है!

भारतीय जनता पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई वर्ष 2026 में प्रस्तावित पंचायत और वर्ष 2027 में विधानसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए एक बड़ा फैसला लेने वाली है. पार्टी की यूपी इकाई के अध्यक्ष को लेकर करीब 1 साल से अधिक समय से चर्चा चल रही है. वर्ष 2024 में संपन्न हुए लोकसभा चुनाव के कुछ महीनों बाद से अध्यक्ष पद पर शुरू हुई चर्चा के बारे में दावा किया गया था कि महाकुंभ 2025 के पहले यह ऐलान हो जाएगा.
फिर अनाधिकृत जानकारियां आईं थीं कि संक्रांति 2025 के बाद ऐलान होगा. इस बीच 29 जनवरी 2025 को महाकुंभ में मची भगदड़ ने पार्टी को यह ऐलान करने से रोक दिया. इसके बाद पार्टी ने कथित तौर पर आंतरिक फैसला किया बिहार विधानसभा चुनाव के बाद इस पर निर्णय होगा. इस बीच पार्टी ने जिलाध्यक्षों के ऐलान किए ताकि संगठनात्मक प्रक्रिया जारी रहे.
बीते ही दिनों यूपी की बीजेपी इकाई ने 14 जिलों के अध्यक्ष घोषित किए. यूपी में बीजेपी के 98 संगठनात्मक जिलों में से अब तक 84 की घोषणा हो चुकी है जो अध्यक्ष चुनने के लिए कोरम पूरा करने की संख्या से बहुत ज्यादा है. अब माना जा रहा है कि राज्य बीजेपी के अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया को फिर से रफ्तार मिलेगी.
अब दावा किया जा रहा है कि बीजेपी, यूपी इकाई समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के पीडीए की काट खोजने के लिए अध्यक्ष पद पर ऐसा फैसला ले सकती है जो सबको चौंका सकती है.
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बीजेपी की यूपी इकाई में ब्राह्मण या महिला को राज्य की कमान सौंपी जा सकती है. बीजेपी द्वारा घोषित किए गए जिलाध्यक्षों की सूची देखें तो 84 में से 45 सवर्ण, 32 ओबीसी और 7 अनुसूचित जाति से आते हैं. बीजेपी इसके जरिए जिलों में सपा के पीडीए की काट निकालने की कोशिश में है.
बीजेपी देगी ब्राह्मण चेहरा?
वर्ष 2017 में बीजेपी ने यूपी में राज्य अनुमानित 12 फीसदी आबादी वाले ब्राह्मणों को साधने के लिए महेंद्र नाथ पांडेय को अध्यक्ष बनाया था. दरअसल, यूपी में हर चुनाव से पहले विपक्षी दल ऐसा नैरेटिव बनाते हैं जिससे यह माहौल बनता है कि ब्राह्मण यूपी से नाराज हैं. इसका हालिया उदाहरण वर्ष 2022 का चुनाव है. उस चुनाव में सरकार बीजेपी की ही बनी लेकिन 2017 के मुकाबले सीटों की संख्या कम थी. कई ब्राह्मण बहुल सीटों पर बीजेपी को कड़ी लड़ाई का सामना करना पड़ा.अब वर्ष 2027 के चुनाव को ध्यान में रखते हुए बीजेपी, राज्य में ब्राह्मण अध्यक्ष चुन सकती है.
साध्वी का नाम चर्चा में कैसे आया?
ब्राह्मण के अलावा यूपी में महिला अध्यक्ष चुने जाने की भी चर्चा है. चर्चा है कि पूर्व सांसद साध्वी निरंजन ज्योति को बीजेपी यह जिम्मेदारी दे सकती है. इसके जरिए बीजेपी न सिर्फ महिला बल्कि ओबीसी प्रतिनिधित्व और हिन्दुत्व के मुद्दे को धार देने का संकेत दे सकती है. बीजेपी ने अपने गठन के बाद से अभी तक कभी भी यूपी इकाई की कमान महिला अध्यक्ष को कमान नहीं सौंपी है.
दरअसल, साध्वी का नाम उस वक्त चर्चा में आया जब बिहार में बीजेपी विधायक दल का नेता चुनने की प्रक्रिया में पूर्व सांसद को बतौर सह पर्यवेक्षक पटना भेजा गया. उसके बाद से ही दावे किए जाने लगे कि साध्वी को यूपी में बीजेपी अहम जिम्मेदारी दे सकती है.
यूपी बीजेपी चीफ की रेस में कौन से नाम?
राज्य में महिला अध्यक्ष चुने जाने की चर्चा इसलिए भी है क्योंकि बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए को महिलाओं ने अभूतपूर्व समर्थन दिया. इसको देखते हुए यूपी की महिलाओं को भी अपने पाले में करने के लिए बीजेपी महिला अध्यक्ष चुन सकती है.
इन सब कयासों और अटकलों के बीच माना जा रहा है कि नए साल के बाद बीजेपी कभी भी यूपी के अध्यक्ष की घोषणा कर सकती है. इस क्रम में कई नाम भी बीते डेढ़ साल से चर्चा का केंद्र बने हुए हैं.
ब्राह्मण चेहरे के तौर पर असम प्रभारी और राज्य स्थित बस्ती लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से पूर्व सांसद हरीश चंद्र द्विवेदी का नाम सबसे आगे माना जा रहा है. वहीं ओबीसी वर्ग से योगी सरकार में मंत्री धर्मपाल सिंह, केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा, सांसद बाबूराम निषाद का भी नाम चर्चा में है. उधर, अगर पार्टी दलित के हाथ में नेतृत्व सौंपने का फैसला करती है तो इसके लिए रामशंकर कठेरिया, एमएलसी विद्या सागर सोनकर का नाम रेस में है.
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Source: IOCL





















