Basti News: बस्ती में थानाध्यक्ष के बंगले पर एंटी करप्शन का छापा, 15 हजार रिश्वत लेते सिपाही गिरफ्तार
UP News: एंटी करप्शन की टीम ने थानाध्यक्ष के आवास में दबिश देकर सिपाही को 15 हजार रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया है. थानाध्यक्ष और सिपाही के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम में मुकदमा दर्ज किया गया है.

उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की 'जीरो टॉलरेंस' नीति के दावों के बीच बस्ती जनपद के वाल्टरगंज थाने से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसने खाकी को शर्मसार कर दिया है. भ्रष्टाचार के इस खेल में केवल एक खाकीधारी ही नहीं, बल्कि थाने का प्रभारी भी सीधे तौर पर रडार पर आ गया है. बस्ती पहुंची एंटी करप्शन की टीम की कार्रवाई ने उस समय हड़कंप मचा दिया, जब उन्होंने सीधे थानाध्यक्ष के सरकारी आवास पर दबिश देकर रिश्वतखोरी के एक बड़े नेटवर्क का भंडाफोड़ किया.
वाल्टरगंज थाना क्षेत्र के रहने वाले मनीष कुमार से अवैध खनन को बिना रोक-टोक चलने देने के एवज में थाना प्रभारी जयवर्धन सिंह के द्वारा 25 हजार रुपये की मांग की गई थी. सौदेबाजी के बाद 15,000 रुपये की पहली किस्त देना तय हुआ. मनीष ने इसकी सूचना भ्रष्टाचार निवारण संगठन को दी.
एंटी करप्शन की टीम ने सिपाही को रंगे हाथों पकड़ा
योजना के मुताबिक, मनीष जैसे ही थानाध्यक्ष जयवर्द्धन सिंह के आवास पर पहुंचा, वहां सिपाही राकेश चौहान पहले से मौजूद था. मनीष ने सिपाही को नोटों की गड्डी थमाई, और ठीक उसी वक्त सादे कपड़ों में तैनात एंटी करप्शन की टीम ने राकेश को दबोच लिया. केमिकल लगे हाथों के लाल होते ही सिपाही के चेहरे का रंग उड़ गया. एंटी करप्शन टीम ने थानाध्यक्ष और सिपाही के खिलाफ भ्रष्टाचार अधिनियम में मुकदमा दर्ज करवा दिया है.
ट्रांसफर के बाद किसकी शह पर रुका था सिपाही?
इस पूरे कांड का सबसे चौंकाने वाला पहलू सिपाही राकेश चौहान का 'थाना मोह' है. पुलिस सूत्रों के अनुसार, राकेश चौहान का तबादला जिले के अन्य क्षेत्र में एक सप्ताह पहले ही हो चुका था. नियमानुसार उसे तत्काल कार्यमुक्त होकर नई जगह ज्वाइन करना था, लेकिन वह "वसूली मिशन" को पूरा करने के लिए थाने में ही डटा हुआ था. सवाल उठ रहे हैं कि आखिर किसकी शह पर एक स्थानांतरित सिपाही थाने में रुककर वसूली का खेल खेल रहा था? वह भी थाना प्रभारी के आवास को वसूली का अड्डा बनाया गया था, जहां से सिपाही रंगे हाथ गिरफ्तार हुआ.
बस्ती पुलिस के इतिहास में यह संभवतः पहला मौका है जब किसी थानाध्यक्ष के विरुद्ध पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सीधे प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई है. पीड़ित का आरोप है कि रिश्वत की मांग सीधे थानाध्यक्ष द्वारा की गई थी और सिपाही केवल एक माध्यम था.
एंटी करप्शन टीम ने थानाध्यक्ष को बनाया आरोपी
एंटी करप्शन टीम ने सिपाही राकेश चौहान के साथ-साथ थानाध्यक्ष जयवर्द्धन सिंह को भी आरोपी बनाया है. दोनों के खिलाफ कोतवाली बस्ती में मुकदमा पंजीकृत किया गया है, आरोपी सिपाही गिरफ्तार किया जा चुका है जबकि थाना प्रभारी अभी थाना छोड़ मौके से फरार है. देर शाम तक सिपाही को कोतवाली थाने में रखकर पूछताछ की गई.
भ्रष्टाचार निवारण संगठन के अधिकारियों का कहना है कि साक्ष्य पर्याप्त हैं और इस मामले में संलिप्त किसी भी अधिकारी को बख्शा नहीं जाएगा. अब सबकी नजरें पुलिस अधीक्षक बस्ती की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं, मुकदमा दर्ज होने और वसूली के आरोप के बाद अभी तक थानाध्यक्ष पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है और न ही उन्हें अभी तक गिरफ्तार किया गया है.
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