'इश्क हो जाए किसी से कोई चारा तो नहीं...', शायराना अंदाज में अब किस मुद्दे पर बोले आजम खान?
Azam Khan on I Love Mohammed Row: आजम खान ने 'आई लव मोहम्मद' विवाद को छोटी चिंगारी से शोला बनने पर हैरानी जताई. उन्होंने कहा कि प्रशासन चाहता तो बातचीत से हल निकल सकता था.

समाजवादी पार्टी के सीनियर नेता और लंबे समय बाद जेल से बाहर आए आजम खान ने 'आई लव मोहम्मद' पर छिड़ी बहस पर हैरानी जताई. उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे को 'एक छोटी सी चिंगारी' कहेंगे और उन्हें इस बात का ताज्जुब होता है कि कैसे एक छोटी सी बात इतना बड़ा 'शोला' बन गई.
जब उनसे बरेली में हुए विवाद और तौकीर रजा की गिरफ्तारी पर सवाल किया गया तो आजम खान ने कहा, "अगर जिला इंतेजामिया चाहता तो मसला बातचीत से हल हो जाता. बात कितनी भी बढ़ जाए, रास्ता टेबल पर बैठ कर ही निकलता है. आप किसी भी जंग के फैसले देख लीजिए. पहले विश्व युद्ध का या सेकंड वर्ल्ड वॉर का नतीजा देख लीजिए."
टेबल पर बैठ कर हल किया जा सकता था मसला- आजम खान
सपा नेता ने आगे कहा, "आधी दुनिया जिस समय मारी जा चुकी थी, उस समय जब संधि और समझौता हुआ, तो टेबल पर बैठकर ही हुआ और अच्छे माहौल के बीच हुआ. अगर हम बातों को बहुत बिगड़ने से पहले ही संभालने की कोशिश करें और संवाद का सिलसिला खत्म न करें, तो खतरनाक से खतरनाक मसले का हल निकाला जा सकता है और यह तो आपसी सौहार्द को बिगाड़ने का एक षड्यंत्र था."
#WATCH | Rampur, UP | On 'I Love Muhammad' row, Samajwadi Party leader Azam Khan says, "Even if I were to call it a spark, how did this small matter become such a raging fire? Had the district administration wanted, the issue could have been resolved through dialogue. No matter… pic.twitter.com/WXwidMbFgT
— ANI (@ANI) October 21, 2025
'आई लव मोहम्मद' पर चर्चा करते हुए आजम खान ने कहा, "जाहिर है कि अगर कोई किसी से मोहब्बत करता है, तो यह उसका इख्तियार है. उसका पैदाइशी हक है. मुझे कुंवर महेंद्र सिंह बेदी का शेर याद आ रहा है- 'इश्क हो जाए किसी से कोई चारा तो नहीं... सिर्फ मुस्लिम का मोहम्मद पे इजारा तो नहीं.' हमें इस एहसास को वापस लाना पड़ेगा."
किसी एक धर्म के लिए नहीं आते पेशवा
आजम खान ने आगे बड़ी बात कही. उन्होंने कहा, "कुंवर महेंद्र सिंह एक सिख थे, लेकिन वह क्या बात कह गए. जो मजहबी पेशवा होते हैं, वो किसी एक मजहब के नहीं होते. वो इंसानियत के लिए आते हैं, हर धर्म हर मजहब के लिए आते हैं. हम उनके नाम पर कोई बिगाड़ खड़ा नहीं कर सकते, लेकिन यह उसूल केवल एक धर्म या मजहब पर लागू नहीं होता. तमाम धर्मों पर लागू होता है."
Source: IOCL






















