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Ayodhya News: रामचरित मानस रामायण- श्रीमद्भागवत गीता को धार्मिक ग्रंथ घोषित करने की उठी मांग, संतों ने भी भरी हुंकार
UP News: रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के आवास पर साधु-संत एक साथ होकर मित्र मंच के समर्थन में ग्रंथों को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने के लिए हुंकार भरी है.
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Ayodhya News: रामचरितमानस और श्रीमद्भागवत गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने के लिए अयोध्या में अभियान तेज हो गया है. ग्रंथों को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने के लिए विशेष अभियान को अब अयोध्या के साधु संतों का भी समर्थन मिलने लगा है. रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास के आवास पर साधु-संत एक साथ होकर मित्र मंच के समर्थन में ग्रंथों को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने के लिए हुंकार भरी हैं.
आपको बता दे की वरिष्ठ बीजेपी नेता व मित्र मंच के राष्ट्रीय प्रमुख शरद पाठक "बाबा" ने रामचरितमानस सहित धार्मिक ग्रंथों को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने के लिए जन जागरण अभियान शुरू किया है. अभियान के पहले दिन कचहरी में अधिवक्ताओं और वार्ड कार्यों को पत्रक बांटकर जागरूक किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में अधिवक्ताओं का समर्थन भी मिला है. इसके बाद अभियान के दूसरे दिन इस मांग के समर्थन में रामलला के मुख्य पुजारी सहित अयोध्या के साधु संतों ने भी हुंकार भरी है. संतों का कहना है कि आए दिन रामचरित मानस जैसे धार्मिक ग्रंथों पर आपत्तिजनक टिप्पणियां की जाती है और उनकी प्रतियां जलाई जाती है. यदि इन ग्रंथों को राष्ट्रीय ग्रंथों का दर्जा दिया जाता है तो इसके प्रति आपत्तिजनक टिप्पणी करने वालों को सजा मिलेगी. सजा के डर से लोग इन पर किसी भी तरह की टिप्पणी नहीं कर सकेंगे.
'सभी चाहते हैं कि हमारा धर्म सुरक्षित हो'
शरद पाठक बाबा (बीजेपी के वरिष्ठ नेता, मित्र मंच प्रमुख )ने कहा की संत जो हैं हमारे मार्गदर्शक हैं. हम उनसे मार्गदर्शन लेकर के इस मुहिम को और भी तेज करना चाहते हैं. हमारे ग्रंथों से ही हम लोगों को जीवन जीने की सीख मिलती है. करोड़ों हिंदू सनातनी हिंदू जो हमारे देश में है या विदेशों में है. वह सभी चाहते हैं कि हमारा धर्म सुरक्षित हो. हमारे लोगों सुरक्षित हो. लेकिन जैसा कि महाराज जी ने बताया की कितनी पीड़ा हम लोगों को है. हमारे ग्रंथों की प्रतियां फाड़ी जाए, जलाई जाए, इसलिए एक छोटे से देश में जहां हिंदुओं की आबादी है, सनातनी हिंदू की आबादी 0.02 प्रतिशत है. वहां का धर्म ग्रंथ जो है रामायण हो सकता है. हमारे यहां भारत की भूमि है अयोध्या यहां मथुरा यहां काशी यहां हजारों तीर्थ स्थल यहाँ पर हैं. ऐसी देव भूमि पर हमको अपने धर्म ग्रंथों को राष्ट्रीय ग्रंथ बनाने के लिए जो लड़ाई लड़नी पड़ रही है. हम सरकार से मांग करते हैं यथाशीघ्र हमारे धर्म ग्रंथों को राष्ट्रीय ग्रंथ का दर्जा दिलाया जाए.
'आए दिन धर्म ग्रंथ के ऊपर टिप्पणी किया जाता है'
आचार्य सत्येंद्र दास (मुख्य पुजारी रामलला) ने कहा कि श्रीरामचरितमानस रामायण और श्रीमद्भागवत गीता यह राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाए, ऐसी इनकी मांग है. यह मांग अपने आप में अद्वितीय है, बहुत ही महत्वपूर्ण है. क्योंकि आए दिन धर्म ग्रंथ के ऊपर टिप्पणी किया जाता है. इस प्रकार से उस पर आरोप लगाया जाता है. समस्त राम भक्तों को रामचरितमानस को रामायण और गीता को पढ़ने वाले जानने वाले को बहुत ही दुख और बहुत ही कष्ट होता है. यह कष्ट का निवारण एक ही रास्ता है कि जैसा कि शरद पाठक जी ने कहा है. इसको सरकार धार्मिक ग्रंथ के रूप में घोषित करें. यह राष्ट्रीय ग्रंथ के रूप में हो जाएगा तो कोई भी उस पर आरोप यदि करता है तो उसमें विधान होता है कि उसको तुरंत दंड दिया जाए.
'राष्ट्रीय ग्रंथ होता तो फाड़ने वाले लोग जेल के अंदर होते'
सत्येंद्र दास वेदांती (संत अयोध्या) कहा कि हमारे ग्रंथों पर हमारी संस्कृति पर जो लोग भी अनाप सनाप बोलते है उन्हें इसके बारे में जरा सी भी जानकारी नहीं है. अज्ञानता बस मूर्खता बस है इस कार्य को करते हैं.जो लोग इसे जलाने का कार्य करते हैं, फाड़ने का काम करते हैं, आज का जो दृश्य जो आज शरद पाठक जी ने यह मुहिम चलाई है इसको बहुत पहले तो होनी चाहिए थी. हमारे स्वामी करपात्री जी महाराज ने मांग किया था, आज इसमें जन-जन तक पहुंचाने का काम हमारे शरद पाठक बाबा जी ने जो किया है यह बहुत ही सराहनीय कार्य है. इसको बहुत पहले किया जाना चाहिए था. इसमें बहुत ही विलंब किया. आज यह राष्ट्रीय ग्रंथ होता तो लखनऊ की धरती पर रामचरितमानस के पन्ने फाडे नहीं गए होते. आज राष्ट्रीय ग्रंथ होता तो फाड़ने वाले लोग जेल के अंदर होते. यह जब राष्ट्रीय ग्रंथ हो जाएगा तब हमारा राष्ट्रीय ग्रंथ सदा सदा के लिए सुरक्षित हो जाएगा.
'यह मुहिम है आने वाले समय में मील का पत्थर होगा'
नारायण मिश्रा ( रामचंद्र परमहंस समाधि स्थल व्यवस्थापक ) ने कहा कि रामचरितमानस जो है वह राष्ट्रीय ग्रंथ है. श्रीमद्भागवत गीता राष्ट्रीय ग्रंथ है. इसको सिर्फ घोषित करने की आवश्यकता है. इसलिए आवश्यकता है कि जो राष्ट्र विरोधी लोग हैं और जो सनातन विरोधी लोग हैं वह इस पर कुठाराघात कर रहे हैं. रामायण के पतियों को जला रहे हैं लोग इस पर टिप्पणी कर रहे हैं इसलिए इसकी आवश्यकता है कि जल्द से जल्द राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाए. मैं उत्तर प्रदेश सरकार से भारत सरकार से मांग करता हूं कि इसे राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया जाए. जिससे जो राष्ट्रीय विरोधी ताकतें हैं सनातन विरोधी जो धर्म ग्रंथ है उसको जलाने का जो काम कर रहे हैं यह हमेशा हमेशा के लिए बंद हो. शरद पाठक का जो यह मुहिम है आने वाले समय में मील का पत्थर होगा और यह राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित होगा यह मुझे पूर्ण विश्वास है. इसको दुनिया की ताकत कभी भी रोक नहीं सकती.
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