उत्तराखंड के अल्मोड़ा के जागेश्वर में ये कैसा विकास? बिबड़ी गांव में सड़क के लिए उजाड़ दिए खेत
Uttarakhand News: ग्राम पंचायत धुराटांक के बिबड़ी गांव में सड़क निर्माण के लिए किसानों के खेतों की बली दे दी गई है. ग्रामीणों को अभी तक इसका मुआवजा नहीं मिला है.

पहाड़ी क्षेत्रों में विकास के बड़े-बड़े दावों की जमीनी सच्चाई ग्राम पंचायत धुराटांक के बिबड़ी गांव में साफ नजर आ रही है. यहां सड़क निर्माण तो हो गया, लेकिन इसकी कीमत ग्रामीणों को अपने उपजाऊ खेत गंवाकर चुकानी पड़ रही है. गांव पहुंचे संवाद टीम को खेतों में फैला मलबा, सूखी पड़ी सिंचाई नहरें और नाराज ग्रामीण सरकार व संबंधित विभागों से जवाब मांगते दिखाई दिए.
ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आया कि लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) द्वारा गैरी गधेरे के ऊपर बनाई जा रही सड़क का मलबा बरसात के दौरान बहकर सीधे गांव के खेतों में पहुंच गया. इससे गांव के 25 से अधिक सीढ़ीनुमा खेत पूरी तरह मलबे से पट गए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि ये खेत ही गांव की खाद्य सुरक्षा का मुख्य आधार थे.
मलबे की वजह से खड़ी फसल खराब
मोहन चंद्र जोशी, ललित मोहन, शिवदत्त, बसंत बल्लभ और जगदीश चंद्र बताते हैं कि मलबे की वजह से खेतों में खड़ी फसल नष्ट हो गई और वर्षों में तैयार हुई उपजाऊ मिट्टी भी बह गई. खेतों के साथ-साथ सिंचाई नहरें भी क्षतिग्रस्त हो गई हैं, जिससे आगे की खेती पर भी संकट गहरा गया है.
मलबा नहीं हटाने से ग्रामीणों में आक्रोश
ग्रामीणों का आरोप है कि कई बार शिकायत करने के बावजूद अब तक कोई भी जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा. न तो नुकसान का आकलन किया गया और न ही मलबा हटाने की कोई कार्रवाई शुरू हुई. इससे ग्रामीणों में भारी रोष है.
उत्तराखंड के सैकड़ों गांवों को चुकानी पड़ी विकास की कीमत
बिबड़ी गांव की यह स्थिति केवल एक गांव की कहानी नहीं है, बल्कि उत्तराखंड के सैकड़ों पहाड़ी गांवों की सच्चाई को उजागर करती है. जहां सड़क जैसी बुनियादी सुविधा तो पहुंच गई, लेकिन उसके बदले खेत, पानी के स्रोत और लोगों की आजीविका खतरे में पड़ गई.
ग्रामीणों ने की ये मांग
ग्रामीणों ने मांग की है कि जल्द से जल्द मलबा हटाकर खेतों को बचाया जाए, नुकसान का मुआवजा दिया जाए और भविष्य में सड़क निर्माण के दौरान सुरक्षा उपायों को अनिवार्य किया जाए, ताकि विकास के नाम पर गांव उजड़ने से बच सकें.
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Source: IOCL






















