खेतों में 'स्मार्ट' क्रांति: उत्तर प्रदेश में तकनीक कैसे बन रही किसानों का सहारा? जानिए
Uttar Pradesh News: यूपी की कृषि में स्मार्ट तकनीक की क्रांति आ गई है, जहां ड्रोन, IoT, AI और सोलर पंप से किसान सटीक खेती कर पैदावार बढ़ा रहे हैं. इनके इस्तेमाल से किसानों को मदद मिल रही है.

Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश, जिसे भारत का 'अन्न भंडार' कहा जाता है. आज एक बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है. यहां की उपजाऊ मिट्टी और सदियों पुरानी पारंपरिक खेती अब आधुनिक तकनीक (Smart Agriculture) के साथ हाथ मिला रही है. 'तकनीक से तरक्की' के इस दौर में यूपी का किसान अब केवल मानसून के भरोसे नहीं. बल्कि डेटा और सेंसर के भरोसे अपनी फसल उगाने की ओर बढ़ रहा है
परंपरा और आधुनिकता का मेल
उत्तर प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था में गन्ना, गेहूं और धान की प्रमुखता रही है. पारंपरिक रूप से किसान अपने अनुभवों के आधार पर बुवाई और सिंचाई करते आए हैं, लेकिन अब इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) जैसी तकनीकों ने इस अनुभव को 'सटीकता' (Precision) में बदल दिया है. 'सटीक खेती' के माध्यम से किसान अब यह जान पा रहे हैं कि खेत के किस हिस्से को कितने पानी या उर्वरक की आवश्यकता है.
ड्रोन और डेटा का जादू
उत्तर प्रदेश सरकार और निजी एग्री-टेक स्टार्टअप्स के सहयोग से राज्य में ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है. कीटनाशक छिड़काव: जहाँ पहले 1 एकड़ में छिड़काव करने में घंटों लगते थे. अब ड्रोन मात्र 10-15 मिनट में यह काम सुरक्षित तरीके से कर देते हैं. मृदा स्वास्थ्य (Soil Health): डिजिटल सॉइल हेल्थ कार्ड के जरिए किसान मोबाइल पर ही जान पा रहे हैं कि उनकी मिट्टी में किस पोषक तत्व की कमी है.
स्मार्ट सिंचाई और सौर ऊर्जा
'पीएम कुसुम योजना' और राज्य सरकार की सब्सिडी के कारण यूपी के खेतों में अब पारंपरिक डीजल इंजनों की जगह सोलर पंप ले रहे हैं. इसके साथ ही. ड्रिप इरिगेशन (टपक सिंचाई) तकनीक से पानी की 40-50% तक बचत हो रही है. जो बुंदेलखंड जैसे जल-अभाव वाले क्षेत्रों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है.
चुनौतियां और भविष्य
हालांकि, यह बदलाव इतना आसान नहीं है. छोटे किसानों के लिए तकनीक का खर्च और डिजिटल साक्षरता अभी भी एक बड़ी चुनौती है. लेकिन. 'फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन' (FPO) के माध्यम से किसान अब सामूहिक रूप से तकनीक का लाभ उठा रहे हैं. उत्तर प्रदेश का लक्ष्य अपनी कृषि आधारित अर्थव्यवस्था को 1 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने की ओर ले जाना है. जिसमें 'स्मार्ट एग्रीकल्चर' की भूमिका सबसे अहम होगी.
जब हल चलाने वाले हाथों में स्मार्टफोन और खेतों के ऊपर ड्रोन नजर आते हैं तो यह साफ है कि उत्तर प्रदेश की कृषि का भविष्य उज्ज्वल है. तकनीक ने परंपरा को खत्म नहीं किया. बल्कि उसे और ज्यादा सशक्त और लाभदायक बना दिया है.
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Source: IOCL






















