Agra News: कैलाश शिव मंदिर में विराजमान हैं 2 शिवलिंग, महाशिवरात्रि पर होता है भव्य आयोजन
Agra News: आगरा में स्थित प्राचीन कैलाश महादेव मंदिर का इतिहास भगवान परशुराम से जुड़ा हुआ है. मंदिर के महंत ने बताया कि इसका इतिहास दस हजार वर्षों पुराना है. मंदिर को इस खास दिन सजाया जाता है.

Agra Kailash Temple News: आगरा ही नहीं, बल्कि पूरे देश का यह इकलौता ऐसा शिव मंदिर है, जहां एक साथ दो शिवलिंग विराजमान हैं. प्राचीन कैलाश मंदिर का बहुत मान्यता है, जिसके चलते बड़ी संख्या शिवभक्त कैलाश मंदिर पहुंचते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं. अपने देश के शिवालयों के दर्शन किए होंगे. देशभर के सभी शिवालयों में देवों के देव महादेव पिंडी रूप में विराजमान हैं और लगभग सभी शिवालयों में एक ही पिंडी विराजमान हैं, जिनके दर्शन का लाभ भक्त लेते हैं
भगवान शिव की महिमा का उल्लेख सभी शिवालयों में है और देवों के देव महादेव के भक्त पिंडी रूप में भगवान शिव के दर्शन करते हैं. पर क्या आपने ऐसे शिवालय के दर्शन किए हैं, जहां एक नहीं बल्कि दो शिवलिंग एक साथ एक ही स्थान पर विराजमान हैं. एक साथ दो शिवलिंग भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण कर रही हैं. यमुना नदी के किनारे स्थित यह मंदिर देश में इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां एक साथ दो शिवलिंग के दर्शन का लाभ मिलता है. इस मंदिर का नाम प्राचीन कैलाश महादेव मंदिर है और यह मंदिर आगरा के सिकंदरा क्षेत्र के कैलाश गांव में विराजमान है.
कैलाश महादेश मंदिर के महंत ने दी अहम जानकारी
प्राचीन कैलाश महादेव मंदिर का अपना प्राचीन इतिहास है. बताया जाता है कि प्राचीन कैलाश महादेव मंदिर का इतिहास भगवान परशुराम से जुड़ा हुआ है. कैलाश महादेव मंदिर के महंत गौरव गिरी ने बताया कि कैलाश मंदिर का इतिहास दस हजार वर्षों से भी पुराना है और यह एक दुर्लभ संयोग है, जहां दो शिवलिंग एक साथ विराजमान हैं.
एक साथ दो शिवलिंगों को लेकर ये है मान्यता
भगवान परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि कैलाश पर्वत पर तप करने गए थे और वर्षों तक कठिन तपस्या की. तपस्या से खुश होकर भगवान शिव ने वरदान मांगने को कहा तो भगवान परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि ने भगवान शिव से अपने साथ चलने और हमेशा साथ रहने की मांग की तो भगवान शिव ने दोनों को एक एक शिवलिंग भेंट स्वरूप दिया.
दोनों शिवलिंग को लेकर भगवान परशुराम और उनके पिता वापस आ गए. रेणुका धाम पहुंचने से पहले इसी स्थान पर रात्रि विश्राम किए. फिर सुबह यमुना स्नान करने के बाद फिर से शिवलिंग को उठाना चाहा पर दोनों शिवलिंग यहां स्थापित हो चुके थे, जिसके बाद भगवान परशुराम और उनके पिता ऋषि जमदग्नि ने दोनों शिवलिंग की पूजा अर्चना की और यही स्थापना कर दी. तब से इस स्थल का नाम कैलाश महादेव मंदिर पड़ गया.
इस दिन मंदिर पर होता है खास आयोजन
आगरा के प्राचीन कैलाश महादेव मंदिर पर महाशिवरात्रि पर विशेष आयोजन होते है. महाशिवरात्रि पर मंदिर को भव्य सजाया जाता है. महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान के दर्शन को पहुंचते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक कर पूजा अर्चना करते हैं. श्रावण माह के तीसरे सोमवार पर कैलाश महादेव मंदिर पर विशाल मेला लगता है और यह पहला मौका होता है, जब कैलाश मंदिर मेला के अवसर पर स्थानीय छुट्टी रहती है.
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Source: IOCL





















