Rajasthan News: उदयपुर में बन रही दुनिया में सबसे ऊंची पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा, इस तरह का होगा आकार
Udaipur News: उदयपुर ने विश्व की सबसे ऊंची पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा बनने जा रही है. इसका शिलान्यास शनिवार को होगा. यह दो साल में बनकर तैयार होगी. यह 151 फिट ऊंची होगी.

Rajasthan News: झीलों की नगरी उदयपुर एक और इतिहास बनाने की शुरुआत करने वाली है. यहां विश्व की सबसे ऊंची पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा बनाने की शुरुआत होने जा रही है.एक और इतिहास इसलिए क्योंकि हालही में विश्व की सबसे ऊंची भगवान शिव की प्रतिमा भी यहीं यानी राजसमन्द जिले के नाथद्वारा में बनी है.अब हनुमान जी की बनने जा रही है.यह प्रतिमा शहर से करीब 30 किलोमीटर दूर कुराबड़ तहसील के शिशवी गांव में बनेगी.24 जून को इसकाा शिलान्यास होगा. शिलान्यास असम के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया और पूर्व राजघराने के सदस्य लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ करेंगे.प्रतिमा पंचमुखी बालाजी विकास समिति की तरफ से बनवाई जा रही है.
इतनी दूर से भी दिखाई देगी गी प्रतिमा
यह प्रतिमा 151 फिट की ऊंची पहाड़ीनुमा टीले पर बनेगी. यह 15 किलोमीटर दूर से भी दिखाई देगी.इसमें सड़क से 10 फिट ऊपर दो मंजिला इमारत होगी. इसमें सत्संग सहित अन्य धार्मिक आयोजन किए जाएंगे.खास बात यह है कि इसकी डिजाइन प्रसिद्ध मूर्तिकार पद्मश्री राम माथुर ने तैयार की है. माथुर ने ही गुजरात मे नर्मदा तट पर सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा डिजाइन की है.इसके आर्किटेक्ट तरुण कुमार पालिवाल हैं. ट्रेवर्स इंफ्रा नाम की कंपनी इसका निर्माण करवा रही है.
यहां भी हैं हनुमान जी की ऊंची प्रतिमाएं
- महाराष्ट्र के बुलढाणा में 105 फिट ऊंची हनुमान जी की प्रतिमा है.
- शिमला के प्रसिद्ध जाखू मंदिर की पहाड़ी पर 108 फिट ऊंची हनुमान जी की प्रतिमा है.
- उड़ीसा के कोरापुट में 108 फिट ऊंची हनुमान जी की प्रतिमा है.
- आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा के पास वीरअभय अंजनी हनुमान जी की 135 फिट ऊंची प्रतिमा है.
अंदर से नहीं होगा जाने का रास्ता,बाहर से बनेगी सीढ़ियां
गुरुधाम प्रेम नगर शिशवी के महंत मनोहर गिरधारी दास महात्यागी ने बताया कि 108 पंचमुखी बालाजी विकास समिति के सान्निध्य में प्रतिमा का निर्माण कराया जा रहा है. प्रतिमा की तीन परत होगी. इसमें पहले लोहे के बड़े-बड़े खंभे,गर्डर और पोल लगाए जाएंगे.इसके बाद फाइबर ग्लास और फिर सीमेंट, रेत और कंकरीट होगा.मंदिर अंदर से भरा हुआ होगा,यानी अंदर से ऊपर तक जाने की कोई व्यवस्था नहीं होगी.बाहर से सीढ़ियां लगाई जाएंगी ताकि धार्मिक मान्यताओं का अपमान ना हो.
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Source: IOCL






















